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बॉलीवुड अभिनेता दिलीप कुमार और एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी का निधन हो गया. ऐसे समय में भी सोशल मीडिया पर इन दोनों को लेकर फेक दावे किए गए. एक ओर जहां दिलीप कुमार और सायरा बानो का 8 साल पुराना वीडियो इस गलत दावे से शेयर किया गया कि ये दिलीप कुमार के निधन से पहले का उनका आखिरी वीडियो है.
तो वहीं दूसरी ओर यूपी के एटा जिले के एक अस्पताल में इलाज के दौरान जंजीर से बंधे एक बुजर्ग कैदी की फोटो इस गलत दावे से शेयर की गई कि ये फादर स्टेन स्वामी हैं.
इन झूठे दावों के साथ-साथ और भी बेबुनियाद दावे इस हफ्ते सोशल मीडिया पर वायरल हुए. बिहार के एक गांव के नाम से एक साइन बोर्ड की एडिटेड फोटो में बीजेपी कार्यकर्ताओं को चेतावनी, राहुल गांधी के नाम से 'इस्लामिक देश' पर फेक फोटो और मस्जिद में अजान की बजाय कोरियाई बैंड का गाना बजने जैसे कई फेक दावे भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए.
क्विंट की वेबकूफ टीम ने सभी दावों की पड़ताल की. एक नजर में जानिए सभी का सच.
दिलीप कुमार को खाना खिलाती उनकी पत्नी सायरा बानो का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. दावा किया गया कि ये वीडियो दिलीप कुमार के निधन से पहले का है.
हमने वीडियो को कीफ्रेम में बांटकर उन पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें Indian Express पर 24 सितंबर 2013 को पब्लिश एक स्टोरी मिली. इसकी हेडलाइन है'Dilip Kumar likely to be discharged in two days' यानी दिलीप कुमार की 2 दिन में हो सकती है अस्पताल से छुट्टी.
यहां से मिली जानकारी के बाद हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च करके देखा. हमें 'MouthShut.com' नाम के चैनल पर 22 सितंबर 2013 को अपलोड किया गया यही वीडियो मिला. ये चैनल दिलीप कुमार के करीबी फैसल फारूकी का है.
हमें उनके ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर भी यही वीडियो मिला. इसे 22 सितंबर 2013 को ट्वीट किया गया था.
मतलब साफ है कि दिलीप कुमार का करीब 8 साल पुराना वीडियो हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है.
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आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी का सोमवार, 5 जुलाई को निधन हो गया. वो 85 साल के थे. तबीयत खराब होने पर बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
ऐसे में सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर कर ये दावा किया गया कि फोटो में दिख रहे शख्स स्टेन स्वामी हैं. जिन्हें अस्पताल के बेड से बांधा गया है.
फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें NDTV की एक स्टोरी मिली. स्टोरी के मुताबिक, इस साल मई में यूपी के एटा जिले में 92 साल के कैदी बाबूराम सिंह को अस्पताल में इलाज के दौरान जंजीर से बांधा दिया गया था. बाबूराम हत्या का दोषी है.
मतलब साफ है कि यूपी में हत्या के दोषी बुजुर्ग को अस्पताल में बंधे हुए दिखाती फोटो, इस गलत दावे से शेयर की जा रही है कि वो फादर स्टेन स्वामी हैं.
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सोशल मीडिया पर एक गांव के बाहर लगे एक बोर्ड की एडिटेड फोटो वायरल हो रही है. इस फोटो में दिख रहे बोर्ड में लिखा है कि बिहार के भोजपुर के उगना जगदीशपुर गांव में बीजेपी से जुड़े लोगों का आना मना है. और अगर कोई बीजेपी वाला आता भी है तो उसके पैर तोड़ दिए जाएंगे.
बोर्ड के कई वर्जन शेयर हो रहे हैं, जिन्हें यूपी और बिहार के अलग-अलग गांवों से होने का दावा किया जा रहा है. इसमें कहा गया है कि : अगर BJP वाले आएंगे तो टांग तोड़ दी जाएगी. BJP वालों का इस गांव में आना सख्त मना है.
हमने फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें Ayushmaan Khari नाम के एक यूजर का ट्वीट मिला. 28 अक्टूबर 2018 को किए गए इस ट्वीट में ऐसी ही फोटो इस्तेमाल की गई थी.
इस ट्वीट में पोस्ट की गई फोटो में गांव की पहचान कचैड़ा वार्साबाद के तौर पर की गई है. इसमें लिखा है "सांसद महेश शर्मा द्वारा गोद लिया गया गांव". यूजर ने महेश शर्मा को टैग करके लिखा था कि अब उन्हें समझ में आना चाहिए.
हमने 'Mahesh Singh adopted village' जैसे कीवर्ड का इस्तेमाल करके गूगल पर सर्च किया. हमें Scroll की एक न्यूज रिपोर्ट मिली, जिसमें बताया गया था कि एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के विरोध में गांव वालों ने साल 2019 में करीब 6 महीनों तक एक साइन बोर्ड लगाया हुआ था.
ऊपर दी गई दोनों फोटो की तुलना करने पर पता चलता है कि यूपी के ग्रेटर नोएड क्षेत्र के कचैड़ा गांव के बाहर लगे एक साइन बोर्ड की फोटो को एडिट कर सोशल मीडिया पर बिना किसी संदर्भ के शेयर किया जा रहा है.
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ABP News के एक बुलेटिन का एडिट किया हुआ स्क्रीनशॉट शेयर कर दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि बीजेपी नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पारित करके देश को एक 'हिंदू राष्ट्र' बनाने की दिशा में काम कर रही है और हमारे पूर्वजों ने हमेशा एक 'इस्लामिक देश' के विचार में विश्वास किया था.
वायरल फोटो में लिखे टेक्स्ट में कहा गया है कि, राहुल गांधी ने ''अभी-अभी'' ट्वीट किया है कि वो भारत के 'हिंदू-राष्ट्र'' बनने के खिलाफ हैं और इसे ABP News पर प्रसारित किया गया है.
हमने यूट्यूब पर 'Rahul Gandhi tweet' कीवर्ड इस्तेमाल करके ABP News और ABP News Hindi के हैंडल पर सर्च करके देखा. हमें ABP News Hindi पर 10 दिसंबर 2019 को अपलोड किया गया एक न्यूज बुलेटिन मिला.
वायरल स्क्रीनशॉट और ABP News Hindi के बुलेटिन की आपस में तुलना करने पर, दोनों में लिखे टेक्स्ट का अंतर देखा जा सकता है.
वायरल स्क्रीनशॉट में इस्तेमाल किए गए फॉन्ट और ऑफिशियल बुलेटिन का फॉन्ट भी एक जैसा नहीं है.
इसके अलावा, हमें ABP News और ABP News Hindi के 2 जुलाई और 3 जुलाई के हालिया बुलेटिन भी मिले. ये बुलेटिन राहुल गांधी के ट्वीट पर थे. इनमें देखा जा सकता है कि चैनल का अभी का फॉर्मैट, वायरल स्क्रीनशॉट में दिख रहे फॉर्मैट से अलग है.
ABP News बुलेटिन
ABP News बुलेटिन
मतलब साफ है कि ABP News Hindi के बुलेटिन के स्क्रीनशॉट के साथ छेड़छाड़ करके शेयर किया जा रहा है.
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सोशल मीडिया पर न्यूज स्टोरी वाली एक फोटो वायरल हो रही है. इसकी हेडलाइन में लिखा है BTS के मुस्लिम फैन ने गलती से सुबह 4 बजे लाउडस्पीकर पर अज़ान के बजाय चलाया 'डायनामाइट'; किया गया गिरफ्तार.
स्टोरी के मुताबिक, यूपी के जौनपुर में आकिब अली नाम के एक 21 साल के लड़के को, मस्जिद के लाउडस्पीकर पर गलती से कोरियाई बैंड BTS का म्यूजिक बजाने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया.
स्टोरी में लिखा गया है कि अली ने अल्लाह से अपनी गलती के लिए माफी मांगी है. जिसे 3000 के जुर्माने के बाद छोड़ दिया गया है.
हमने 'Muslim BTS Fan Jaunpur' कीवर्ड से सर्च करके देखा. हमें ऐसी किसी घटना से जुड़ी कोई न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली. हालांकि, हमें फेसबुक पर कई पोस्ट मिलीं. इन पोस्ट में फोटो के दाईं और सबसे ऊपर कोने में एक लोगो दिखा. लोगो में 'REAL inshots' लिखा हुआ है.
हमने लोगो पर लिखे नाम को सर्च किया. हमें 'Real Inshots' नाम का एक इंस्टाग्राम अकाउंट मिला. इस पेज के डिस्क्रिप्शन में लिखा है कि ये भारत का ''सबसे काल्पनिक न्यूज सोर्स'' है. साथ में ये भी लिखा है कि इसमें मौजूद कोई भी कंटेंट सच नहीं है.
इस पेज पर हमें 28 जून 2021 को पब्लिश यही पोस्ट मिली.
इस अकाउंट ने स्पष्ट किया है कि ये घटना वास्तविक नहीं है. इंस्टाग्राम स्टोरी डालकर अकाउंट ने धार्मिक भावना आहत करने और मस्जिदों में सुबह की अज़ान के बारे में धारणा बनाने के लिए माफी भी मांगी है.
हमने जौनपुर में स्थित शाही अटाला मस्जिद को भी देखा और पाया कि ये वो मस्जिद नहीं है जिसे दावे के साथ फोटो में इस्तेमाल किया गया है.
मतलब साफ है कि न्यूज आर्टिकल में जिस घटना के बारे में बात की गई है, वो सच नहीं है. न तो आर्टिकल सच है और न ही किसी BTS फैन ने मस्जिद में अजान के बजाय गाना चलाया.
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