सोशल मीडिया पर एक गांव के बाहर लगे एक बोर्ड की एडिटेड फोटो वायरल हो रही है. इस फोटो में दिख रहे बोर्ड में लिखा है कि बिहार के भोजपुर के उगना जगदीशपुर गांव में अगर बीजेपी (BJP) से जुड़े लोगों का आना मना है. और अगर कोई बीजेपी वाला आता भी है तो उसके पैर तोड़ दिए जाएंगे.
इस फोटो के एक दूसरे वर्जन में गांव का नाम बदलकर क्योटापट्टी किशनपुर दिखाया गया है. बाकी, नीचे बीजेपी के लोगों के लिए वही चेतावनी लिखी नजर आ रही है.
हालांकि, यूपी के ग्रेटर नोएडा के एक गांव कचैड़ा वार्साबाद के बाहर लगे एक बोर्ड में लिखा गया है कि इस गांव को बीजेपी विधायक महेश शर्मा ने गोद लिया था और बीजेपी सदस्यों का यहां आना मना है. इस बोर्ड को एडिट कर इसमें ये लाइन जोड़ दी गई हैं कि बीजेपी सदस्य अगर गांव आएंगे तो उनके पैर तोड़ दिए जाएंगे.
दावा
बोर्ड के कई वर्जन शेयर हो रहे हैं, जिन्हें यूपी और बिहार के अलग-अलग गांवों से होने का दावा किया जा रहा है. इसमें कहा गया है कि : अगर BJP वाले आएंगे तो टांग तोड़ दी जाएगी. BJP वालों का इस गांव में आना सख्त मना है.
पड़ताल में हमने क्या पाया
हमने फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें Ayushmaan Khari नाम के एक यूजर का ट्वीट मिला. 28 अक्टूबर 2018 को किए गए इस ट्वीट में ऐसी ही फोटो इस्तेमाल की गई थी.
इस ट्वीट में पोस्ट की गई फोटो में गांव की पहचान कचैड़ा वार्साबाद के तौर पर की गई है. इसमें लिखा है "सांसद महेश शर्मा द्वारा गोद लिया गया गांव". यूजर ने महेश शर्मा को टैग करके लिखा था कि अब उन्हें समझ में आना चाहिए.
हमने 'Mahesh Singh adopted village' जैसे कीवर्ड का इस्तेमाल करके गूगल पर सर्च किया. हमें Scroll की एक न्यूज रिपोर्ट मिली, जिसमें बताया गया था कि एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के विरोध में गांव वालों ने साल 2019 में करीब 6 महीनों तक एक साइन बोर्ड लगाया हुआ था.
ग्रामीणों से 2010 में एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के लिए जमीन ली गई थी. जिसके लिए ग्रामीण ज्यादा मुआवजे की मांग कर रहे थे. उन्होंने ये आरोप भी लगाया था कि सड़कों, साफ पानी और अस्पतालों का वादा किया गया था, लेकिन डेवलपर ने सिर्फ कुछ ही सड़कों का निर्माण इस क्षेत्र में करवाया.
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीणों का आरोप था कि शर्मा सहित कोई भी बीजेपी नेता उनकी मदद के लिए कभी नहीं आया. हमें इस घटना से संबंधित NDTV की भी एक रिपोर्ट मिली. जिसमें इस बारे में बताया गया था. ये रिपोर्ट 2019 के लोकसभा चुनावों के पहले पब्लिश हुई थी.
मतलब साफ है कि यूपी के ग्रेटर नोएड क्षेत्र के कचैड़ा गांव के बाहर लगे एक साइन बोर्ड की फोटो को एडिट कर सोशल मीडिया पर बिना किसी संदर्भ के शेयर किया जा रहा है.
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