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कोरोना और वैक्सीन को लेकर फेक न्यूज का सिलसिला जारी है. वैक्सीन को लेकर अफवाहें तो सोशल मीडिया के बाजार में पहले से मौजूद थीं. अब वैक्सीनेशन के आंकड़ों को लेकर भी भ्रामक दावों का सिलसिला शुरू हुआ है. राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने दावा कर दिया कि देश में पिछले 7 सालों में टीकाकरण 30% बढ़ा है. जब इस आंकड़े की पड़ताल की गई तो दावा भ्रामक निकला.
कोरोना वायरस और 5जी का कनेक्शन बताती फेक न्यूज ने इस हफ्ते दोबारा सिर उठाया. एक वीडियो शेयर कर झूठा दावा किया गया कि 5जी टॉवर की इंस्टॉलेशन किट में कोविड19 लिखा होता है. किसी ने केरल के विधायक की कार पर लगे राजनीतिक पार्टी IUML के झंडे को पाकिस्तान का झंडा बताकर माहौल खराब करने की कोशिश की. तो कहीं सोनिया गांधी और राहुल गांधी की फोटो भ्रामक दावे से शेयर हुई.
इस सप्ताह सोशल मीडिया पर किए गए इन सभी दावों का सच जानिए एक नजर में.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 जून, 2021 को राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि सरकार देशभर में वैक्सीनेशन (टीकाकरण) का कवरेज 90% तक पहुंचाने में कामयाब रही है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा,
2014 में भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60% के आसपास था. हमारी दृष्टि में ये बहुत चिंता की बात थी. इस रफ्तार से देश को शत प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने में 40 साल लग जाते. सिर्फ 5-6 साल में ही वैक्सीनेशन कवरेज 60% से बढ़कर 90% से ज्यादा हो गई.
पीएम मोदी का ये दावा भ्रामक है. क्योंकि 2014 तक 60% वैक्सीनेशन के कवरेज वाला आंकड़ा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-4) से लिया गया है. वहीं 90% वैक्सीनेशन का आंकड़ा हेल्थ मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन (HMIS) सिस्टम से लिया गया है, जिसे एक्सपर्ट विश्वसनीय नहीं मानते.
पीएम मोदी के दावे में देश में वैक्सीनेशन की असली तस्वीर नहीं दिख रही है. असल में पिछले चार सालों से भारत वैक्सीनेशन के 90% के आंकड़े को छूने में असफल रहा है. इसके अलावा NFHS-5 की साल 2019-20 की रिपोर्ट में केवल 22 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े हैं. इनमें से भी केवल 17 ही राज्य ऐसे हैं, जो 70% से ज्यादा वैक्सीनेशन कवरेज करने में सफल रहे हैं.
12 दिसंबर, 2020 को ‘नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे’ की रिपोर्ट जारी करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा था NFHS-4 और NFHS-5 की रिपोर्ट्स की तुलना करें तो कई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में वैक्सीनेशन में बढ़ोतरी देखी गई है. 22 में से 11 राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश में 10% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. वहीं बाकी के 4 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में ये बढ़ोतरी 5 से 9% के बीच है. इसका श्रेय 2015 में शुरू हुए इंद्रधनुष मिशन को जाना चाहिए.
नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर टी सुंदरम कहते हैं,
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) की 2019-20 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, देश में वैक्सीनेशन की स्थिति का आकलन तीन तरीकों से किया जाता है.
इन तीनों में NFHS डेटा सबसे विश्वसनीय सोर्स है. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेस (IIPS) के डायरेक्टर केएस जेम्स के मुताबिक, NFHS का डेटा विश्वसनीय है, क्योंकि HMIS जैसे सोर्स सिर्फ 9-11 महीने के आयु वर्ग वाले बच्चों के वैक्सीनेशन का डेटा दिखाते हैं.
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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की उनके बेटे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की एक पुरानी फोटो इस झूठे दावे से शेयर की जा रही है कि फोटो में दिख रहा शख्स राहुल गांधी नहीं, बल्कि इटली का एक बिजनेसमैन ओत्तावियो क्वात्रोची है. क्वात्रोची का नाम बोफोर्स घोटाले में आया था.
क्विंट की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला. इस फोटो में सोनिया गांधी के साथ क्वात्रोची नहीं, बल्कि राहुल गांधी दिख रहे हैं. फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें New Indian Express और Latestly के आर्टिकल मिले, जिनमें इस फोटो का इस्तेमाल किया गया था.
इन आर्टिकल्स में इस फोटो के साथ कैप्शन में लिखा है, ''एसपीजी के स्थापना दिवस समारोह में कांग्रेस अंतरिम प्रमुख सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी,". और इन आर्टिकल में फोटो के लिए PTI को क्रेडिट दिया गया है.
ओत्तावियो क्वात्रोची इटली का बिजनेसमैन था. क्वात्रोची पर आरोप थे कि उसने बोफोर्स मामले में दलाली की थी. यानी रिश्वत की लेन-देन में मध्यस्थ का काम किया था.
1980 और 1990 के दौरान भारत सरकार और स्वीडन की हथियार निर्माता बोफोर्स एबी के बीच हथियारों के कॉन्ट्रैक्ट में क्वात्रोची की अहम भूमिका मानी जाती थी.
कथित तौर पर जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे उस दौरान क्वात्रोची का परिवार गांधी परिवार का करीबी था. इससे 1987 में घोटाले की खबर आने के बाद, पार्टी की छवि खराब हुई. क्वात्रोची की 2013 में मौत हो गई, इसके 2 साल पहले ही यानी 2011 में CBI ने क्वात्रोची पर लगे सारे आरोप हटा लिए.
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सोशल मीडिया पर ATM से तय सीमा से ज्यादा निकासी को लेकर एक दावा काफी शेयर हो रहा है. दावे में केंद्र सरकार को सवालों के घेरे में लेते हुए बताया गया है कि 1 जून से अगर आप बैंक की ओर से तय सीमा से ज्यादा बार ATM से कैश निकालते हैं तो 150 रुपये टैक्स के साथ 23 रुपये सर्विस चार्ज मिलाकर कुल 173 रुपये चार्ज के तौर पर वसूले जाएंगे.
शेयर हो रहे इस मैसेज में लिखा है कि: 'हो गई अच्छे दिन की शुरआत. ATM से 4 बार से अधिक पैसा निकलने पर 150 रु टैक्स और 23 रुपये सर्विस चार्ज मिलाकर कुल 173 कटेंगे .. एक और तोहफा। 1 जून से बैंक में 4 ट्रांसेक्शन के बाद हर ट्रांसेक्शन पर 150 रुपये चार्ज लगेगा। जनता के गले पर एक बार में छुरा क्यों नहीं फेर देते??कमाओ तो टैक्स , बचाओ तो टैक्स और तो और बैंक में जमा कराओ तो टैक्स फिर वापस निकालो तो टैक्स ( आप सभी से आग्रह इसे आगे फ़ॉरवर्ड करें ) चुप बैठ कर न सहें ।'
ATM ट्रांजैक्शन से जुड़ी फीस और चार्ज की जानकारी के लिए हमने सबसे पहले RBI का साइट पर देखा. हमें जनवरी 2020 की एक गाइलाइन मिली जिसके मुताबिक, मुफ्त ट्रांजैक्शन की निर्धारित संख्या से ज्यादा बार ट्रांजैक्शन करने पर, ट्रांजैक्शन से संबंधित फीस ली जा सकती है. लेकिन बैंक की ओर से ये फीस 20 रुपये (और सेवाकर, अगर कोई हो) से ज्यादा नहीं वसूली जा सकती.
RBI के गाइडलाइन के मुताबिक, RBI ने बैंकों के लिए न्यूनतम जरूरी मुफ्त ट्राजैंक्शन की संख्या तय की है, जिसे बैंक अपने विवेक से बढ़ा सकते हैं. गाइडलाइन में लिखा है..
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सोशल मीडिया पर एक मर्सिडीज कार की फोटो शेयर की जा रही है. इस कार में आगे एक झंडा लगा हुआ है और नंबर प्लेट के ऊपर 'MLA' लिखी एक प्लेट लगी हुई है. इसे शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ये कार कासरगोड मुस्लिम लीग के विधायक नेल्लिककुन्नू अब्दुल खादर अहमद कुंजी की है, जिन्होंने अपनी कार में पाकिस्तान का झंडा लगाया हुआ है.
कार की इस फोटो के शेयर कर दावे में लिखा जा रहा है: 'केरल की कार में झंडा कहाँ का? कासरगोड मुस्लिम लीग के विधायक नेल्लिककुन्नू अब्दुल खादर अहमद कुंजी!'
'आदर्श व्यवस्था निर्भीक संविधान' नाम के फेसबुक पेज से शेयर किए गए इस दावे को आर्टिकल लिखते समय तक करीब 200 लाइक और 98 बार शेयर किया जा चुका है.
हमने सबसे पहले कार में लगे झंडे और पाकिस्तान के झंडे के बीच तुलना करके देखा. दोनों का मिलान करने पर हमने पाया कि कार में जो झंडा लगा हुआ है वो IUML पार्टी का है. दोनों झंडों के बीच तुलना नीचे देखी जा सकती है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) भारत में एक रजिस्टर्ड पार्टी है.
ऊपर दी गई दोनों फोटो को देखकर दोनों झंडों के बीच का अंतर पता लगाया जा सकता है. चांद और तारे का डायरेक्शन और उनकी जगह अलग-अलग है. इसके अलावा, पाकिस्तान के झंडे में एक सफेद पट्टी भी है जो IUML पार्टी के झंडे में नहीं है.
IUML पार्टी के ऑफिशियल फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल पर भी इस झंडे को देखा जा सकता है.
हमने दावे से जुड़ी जानकारी के लिए हमने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय महासचिव कुन्हाली कुट्टी से भी संपर्क किया. उन्होंने वेबकूफ से बातचीत में पुष्टि की कि झंडा पाकिस्तान का नहीं बल्कि IUML का ही है..
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सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर हो रहा है जिसमें मोबाइल फोन नेटवर्क इंजीनियर जैसे कपड़े पहने एक शख्स 5G टॉवर में लगाने के लिए COVID19 लिखे एक इंस्टॉलेशन किट के बारे में बात करता नजर आ रहा है. वीडियो में ये शख्स दावा कर रहा है कि वो टावरों में 5G से जुड़ी किट लगा रहे हैं, जबकि इस समय हर कोई लॉकडाउन में है और उन्हें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इन किटों को न खोलें.
क्रोम के वीडियो वेरिफिकेशन एक्सटेंशन InVID का इस्तेमाल करके हमने वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उन पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा.
हमें ‘How To Start a Conspiracy Theory – Heydon Prowse’ शीर्षक वाला एक वीडियो मिला. इसे 5 जून 2020 को ‘Don’t Panic London’ नाम के एक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था.
वीडियो में ब्रिटिश एक्टिविस्ट और जर्नलिस्ट हेडन प्राउज और लंदन की क्रिएटिव एजेंसी Don’t Panic ने साथ में काम किया है, ताकि उस तरह की कॉन्सपिरेसी थ्योरी बनाई जा सके जिससे ये दिखाया जा सके कि 5G नेटवर्क से कोरोनावायरस होता है. और उन्होंने ऐसा इसलिए किया, ताकि लोगों को समझाया जा सके कि झूठी जानकारी फैलाना कितना आसान है.
वायरल वीडियो के बारे में समझाने वाले वीडियो के पब्लिश होने के 5 दिन बाद हेडन प्राउज ने भी इसे ट्वीट किया था.
प्राउज के इस कॉन्सपिरेसी वीडियो के सेकंड हाफ वाले भाग में वो पहले से पका हुआ और पैकेज्ड खाना दिखाते हुए दावा करते हैं कि ये दुश्मनों के लैसग्ना (एक तरह का खाने वाला आइटम) को निशाना बनाने और पकाने के लिए तैयार की गई विशेष युद्धक्षेत्र तकनीक है, जो उनके खाने को पूरी तरह से पकाने में कामयाब रही है और ये लैसग्ना 'बीच में गर्म भी है'. वीडियो के इस हिस्से को अलग-अलग दावों के साथ एडिट कर शेयर किया गया था.
इसके बाद वो वीडियो में ये दिखाते हैं कि कैसे उन्होंने एक पुराने सेट टॉप बॉक्स के सर्किट बोर्ड और बच्चों के इस्तेमाल किए जाने वाले स्टिकर का उपयोग करके 'COV19' मार्किंग वाली '5G किट' बनाई.
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