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(वीडियो देखने से पहले आपसे एक अपील है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और असम में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर फैल रही अफवाहों को रोकने के लिए हम एक विशेष प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर संसाधनों का इस्तेमाल होता है. हम ये काम जारी रख सकें इसके लिए जरूरी है कि आप इस प्रोजेक्ट को सपोर्ट करें. आपके सपोर्ट से ही हम वो जानकारी आप तक पहुंचा पाएंगे जो बेहद जरूरी हैं.
धन्यवाद - टीम वेबकूफ)
स्क्रिप्ट - स्निग्धा नलिनी ओरिया
वीडियो एडिटर - राजबीर सिंह
सीनियर एडिटर- वैशाली सूद
दुनिया भर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोग कोरोना संक्रमण से रीकवर हो गए, रिपोर्ट भी नेगेटिव आ गई पर उनमें अब भी COVID के कुछ लक्षण दिखाई दे रहे हैं. ऐसे लक्षण, जिनके चलते लोग पूरी तरह स्वस्थ्य महसूस नहीं कर रहे.
क्या ऐसा आपके या आपके नजदीकी के साथ भी ऐसा कुछ हुआ है? अगर हां, तो फिर इस वीडियो में दी जा रही जानकारी आपके काम की है. ऐसे लक्षण दिखने पर घबराने की जरूरत नहीं है, विशेषज्ञों ने इन मामलों को लॉन्ग कोविड कहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, लॉन्ग कोविड उसे कहते हैं जब लोगों में कोरोना संक्रमण होने के तीन महीने बाद भी दो महीने या उससे ज्यादा समय के लिए कोरोना के लक्षण दिखते हैं.
काफी लोगों में कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद लम्बे समय तक कोरोना के लक्षण दिखते हैं. कुछ लोगों के लिए ये लक्षण कोरोना से ठीक होने के एक महीने से लेकर चार या उससे ज्यादा महीने के लिए भी दिख सकते हैं. पर गौर करने की बात ये है कि एक महीने तक दिखने वाले लक्षण लॉन्ग कोविड नहीं हैं.
क्योंकि कोरोना हर किसी को अलग तरीके से प्रभावित करता है, इसलिए लोगों के लिए लॉन्ग कोविड के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर भी हो सकते हैं. सबसे आम लक्षण है कोई भी काम करने के बाद सांस फूलना, खांसी, छाती में दर्द, थकान, हदन दर्द, वजन में बदलाव, स्वाद और सुगंध की कमी या फिर चक्कर आना.
शारीरिक लक्षणों के साथ कुछ लोगों में मानसिक स्थिति में भी बदलाव देखे गए हैं. जैसे कि चीजें भूल जाना, ध्यान ना लग पाना, जिसे हम ब्रेन फॉग भी कहते हैं या फिर तनाव और अवसाद होना. ऐसे लोग जिन्हें कोरोना संक्रमण की वजह से ICU में भर्ती होना पड़ा हो, उनमें पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रैस डिसऑर्डर (PTSD) के भी लक्षण दिख सकते हैं.
क्योंकि कोविड हर किसी के प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) पर अलग तरह से हमला करता है, इसलिए कोई एक वजह नहीं है जिससे लोगों को लॉन्ग कोविड हो रहा हो.
डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस पर रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन उनका मानना है कि पूरी दुनिया में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि लॉन्ग कोविड का खतरा उन्हें ज्यादा है जिनकी इम्यून शक्ति पहले से कम है या फिर जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है. बच्चों में लॉन्ग कोविड के मामले देखे तो गए हैं, लेकिन ये बड़ों की तुलना में काफी कम हैं.
डॉक्टर कहते हैं कि जिन्हें दोनों वैक्सीन लग चुकी हैं, उन्हें लॉन्ग कोविड का खतरा उनसे कम है जिन्हें सिर्फ एक वैक्सीन लगी हो या फिर वैक्सीन लगी ही न हो.
हर व्यक्ति के लिए कोरोना संक्रमण के बाद रीकवरी का समय अलग होता है. क्योंकि हर इंसान का इम्यून सिस्टम भी अलग होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि गंभीर स्थिति से बाहर आने के बाद पोष्टिक भोजन, आराम और थोड़ा-थोड़ा व्यायाम (एक्सरसाइज) के जरिए वापस अपने रुटीन में आ सकते हैं.
डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना संक्रमण के तुरंत बाद अपने पुराने रुटीन में न लौटें, हो सके तो ऐसा काम जिन में बाहर जाने की जरूरत पड़े उनके लिए किसी और की सहायता लें. जब तक हम इस महामारी की चपेट में हैं, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें और वैक्सीन जरूर लगवाएं.
अगर आपने अब तक वैक्सीन नहीं लगवाई है तो फौरन अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या वॉक इन सेंटर से वैक्सीन लगवाएं. अगर आप वैक्सीन के लिए एलिजिबल हैं तो अपना तीसरा डोज यानी प्रीकॉशनरी डोज लेना न भूलें.
(ये वीडियो क्विंट के COVID-19 और वैक्सीन पर आधारित फैक्ट चेक प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और असम राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है. हम इस काम को जारी रख सकें, इसके लिए हमें आपका सपोर्ट चाहिए. हमारे इस प्रोजेक्ट को सपोर्ट करने के लिए आप नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं)
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