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कोरोना की दूसरी लहर से देश जूझ रहा है और इसी बीच तीसरी लहर का भी खतरा मंडराने लगा है. लेकिन कोरोना के साथ-साथ फेक न्यूज भी उसी रफ्तार से फैल रही हैं. कहीं घरेलू नुस्खों से ही कोरोना ठीक करने के दावे किए जा रहे हैं. तो किसी का दावा है कि ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भटकने से बेहतर एक होम्योपैथिक दवा खाकर ही ऑक्सीजन लेवल बढ़ाया जा सकता है.
कोरोना के अलावा पश्चिम बंगाल में चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा को लेकर भी सोशल मीडिया में जमकर फर्जी खबरें तैर रही हैं. कोई हिंसा की घटनाओं को सांप्रदायिक अमली जामा पहनाने की कोशिश में जुटा है तो कोई ये साबित करने में जिंदा शख्स की फोटो पोस्ट कर रहा है कि उनका कार्यकर्ता मारा गया. इसके लिए पुराने वीडियो और तस्वीरों का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है, जिन्हें बंगाल से जोड़कर सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.
क्विंट की वेबकूफ टीम ने इन सभी भ्रामक दावों का सच आप तक पहुंचाया. जानें इस पूरे हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए दावे और उनका सच एक नजर में..
पश्चिम बंगाल बीजेपी के ऑफिशियल फेसबुक पेज से 5 मिनट का वीडियो शेयर कर TMC पर हिंसा का आरोप लगाया गया. वीडियो में कुछ लोगों की तस्वीरें हैं, बीजेपी का दावा है कि ये वो पार्टी कार्यकर्ता हैं, जिनकी पिछले 72 घंटों में TMC कार्यकर्ताओं ने हत्या की.
करीब 2 मिनट 35 सेकंड का वीडियो गुजरने के बाद एक युवक की तस्वीर आती है, जिसे वीडियो में मनिक मोइत्रो बताया गया है. बीजेपी ने दावा किया कि ये पार्टी कार्यकर्ता हैं और TMC से जुड़े कुछ लोगों ने इनकी हत्या कर दी.
असल में ये तस्वीर अभरो बनर्जी की है जो कि पत्रकार हैं और जीवित हैं. अभरो बनर्जी ने ट्विटर पर ये स्पष्ट किया है कि वे जीवित हैं और कोलकाता में नहीं हैं. अभरो ने ट्विटर पर लिखा
अभरो ने आगे बताया कि वे इस समय सीतलकुची से 1,300 किलोमीटर की दूरी पर हैं. अभरो बनर्जी की वो फोटो भी हमें फेसबुक पर मिली, जो बीजेपी के वीडियो में इस्तेमाल की गई. ये फोटो मार्च 2017 में अपलोड की गई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी का दावा है कि बंगाल में पार्टी कार्यकर्ता मनिक मोइत्रो की चुनाव के बाद हुई हिंसा में हत्या हुई है. पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक मनिक सीतलकुची के रहने वाले थे.
अभरो बनर्जी को फोटो को मनिक मोइत्रो का बताकर शेयर करने के कुछ घंटों बाद बीजेपी ने बयान जारी कर कहा कि अभरो बनर्जी की तस्वीर गलती से उस वक्त उपयोग कर ली गई, जब उनके लिखे एक आर्टिकल को सोर्स के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था.
स्पष्टीकरण के साथ ही बीजेपी ने अपने दावे पर कायम रहते हुए आगे बयान में कहा - मनिक मोइत्रो टीएमसी कार्यकर्ताओ द्वारा की गई हिंसा के चलते गंभीर रूप से घायल हो गए थे, इसके बाद उन्होंने दम तोड़ दिया.
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में ये दावा किया जा रहा है कि नींबू के रस को नाक में डालकर कोरोना को ठीक किया जा सकता है. इस वीडियो में एक शख्स कोरोना का इलाज बताते हुए ये भी दावा कर रहा है कि उसके बताए नुस्खे से लाखों लोग ठीक हो चुके हैं.
दावे की पुष्टि के लिए हमने फोर्टिस हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मौर्य से बात की. उन्होंने इस दावे को फेक बताया .
डॉ. मौर्या ने आगे बताया कि, “नाक में नींबू की बूंदें डालने से आपका कोरोना ठीक नहीं होगा. कोरोना रोकने के लिए एक चीज जो आप कर सकते हैं वो है सैनिटाइजेशन. मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. अगर आपकी नाक में चुभन हो रही है या फिर नाक बह रही है और आपको लगता है कि आपको कोविड हो सकता है, तो तुरंत टेस्ट कराएं. और तुरंत इलाज शुरू कर दें. जल्दी इलाज शुरू करने से कोरोना से लंग्स का नुकसान होने से बचाया जा सकता है.”
हमने निरोग स्ट्रीट में आयुर्वेद हेड डॉ. अनिरुद्ध से बात की. उन्होंने ये दावा खारिज करते हुए बताया कि ये गलत है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पहले भी स्पष्ट कर चुका है कि विटामिन-सी युक्त चीजें या फिर विटामिन सी से जुड़े सप्लीमेंट इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर हैं, लेकिन इन्हें कोरोना का इलाज नहीं माना गया है.
मतलब साफ है कि नींबू के रस को नाक में डालकर कोरोना ठीक नहीं किया जा सकता है. ये दावा भ्रामक और गलत है.
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सोशल मीडिया पर एक विचलित करने वाला वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो में एक युवती पास में पड़े शख्स के नजदीक जाते हुए रो रही है. वीडियो को फेसबुक और ट्विटर पर पश्चिम बंगाल हिंसा का बताकर शेयर किया जा रहा है. वीडियो शेयर करते हुए कुछ यूजर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रहे हैं.
वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया कि वीडियो असल में आंध्र प्रदेश के श्रीककुलम जिले का है. जहां संक्रमण के डर से एक बीमार मजदूर और उसके परिवार को गांव में नहीं घुसने दिया गया था. मजदूर की हालत बिगड़ती गई और उसने गांव के बाहर अपने परिवार के सामने ही दम तोड़ दिया.
वीडियो में दिख रही युवती मजदूर की बेटी है जो उसे पानी पिलाना चाहती है, लेकिन युवती की मां उसे संक्रमण के डर से पानी पिलाने से रोक रही है. लड़की अपनी मां से झगड़ते हुए पिता को पानी पिलाया. इसके कुछ देर बाद ही पिता ने दम तोड़ दिया.
एनडीटीवी, द न्यूज मिनट और इंडिया टुडे ने इस मामले को रिपोर्ट किया है. इन रिपोर्ट्स से पुष्टि होती है कि आंध्रप्रदेश में कोरोना संक्रमण पिता को मरता देख तड़प रही लड़की का वीडियो पश्चिम बंगाल हिंसा का बताकर शेयर किया जा रहा है.
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सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में कुछ लोग पुलिस की गाड़ी और पुलिसकर्मियों पर हमला करते देखे जा सकते हैं. दावा किया जा रहा है कि वीडियो पश्चिम बंगाल का है और पुलिस पर हमला करते दिख रहे लोग TMC कार्यकर्ता हैं. पड़ताल में सामने आया कि वीडियो पश्चिम बंगाल नहीं, आंध्रप्रदेश की 3 महीने पुरानी घटना का है.
Kalinga TV के वेरिफाइड यूट्यूब चैनल पर 13 जनवरी 2021 को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला. वीडियो के टाइटल से पता चलता है कि मामला ओडिशा के भदरक का है. जहां पुलिस कस्टडी में एक शख्स की मौत के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस वैन में आग लगा दी.
3 महीने पुराने इस वीडियो के विजुअल पूरी तरह वायरल वीडियो से मेल खाते हैं. पुलिस की गाड़ी और वीडियो में दिख रहे कुछ लोगों से पता चल रहा है कि दोनों वीडियो एक ही हैं. ओडिशा के क्षेत्रीय न्यूज चैनल कनक न्यूज पर भी हमें इस घटना का वीडियो मिला.
ओडिशा के क्षेत्रीय न्यूज चैनल कनक न्यूज पर भी हमें इस घटना का वीडियो मिला.
कनक न्यूज की वीडियो रिपोर्ट और वायरल वीडियो की लोकेशन एक ही है. इन विजुअल्स से समझिए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक बपी महालिक के रिश्तेदार से पूछताछ करने पहुंची थी. लेकिन, बपी अचानक पुलिस को देख डर गया और भागने लगा. पुलिस भी इस गलतफहमी में बपी के पीछे भागने लगी कि वही आरोपी है. भागते-भागते बपी एक तालाब में कूदा और डूबने से उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद स्थानीय लोग भड़क गए और पुलिस पर हमला कर दिया.
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सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि कोरोना संक्रमित मरीज का ऑक्सीजन लेवल गिरने की स्थिति में होम्योपैथिक दवा Aspidosperma Q 20 कारगर है.
वायरल हो रहा मैसेज है - ऑक्सिजन लेबल गिर रहा है तो ऑक्सीजन मिलने का इंतजार मत करो ASPIDOSPERMA Q 20 बूंद एक कप पानी मे देने से ऑक्सिजन लेबल तुरंत मेंटेन हो जाएगा जो हमेशा बना रहेगा। ये Homoeopathic medicine है
हमारी पड़ताल में सामने आया कि किसी भी दवा से शरीर में गिरे हुए ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाया नहीं जा सकता.
खासतौर पर पत्रकारों के लिए बनाए गए कोविड 19 से जुड़ी जानकारी देने वाले मेडिकल एक्सपर्ट्स के प्लेटफॉर्म Health Desk से हमने इस दावे के बारे में सही जानकारी जुटानी शुरू की. हेल्थ डेस्क के मुताबिक, Aspidosperma दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी मैक्सिको और वेस्टइंडीज में पाया जाने वाला फूलों का पौधा है. Aspidosperma की छाल और पत्तियों का इस्तेमामल कई बार होम्योपैथिक दवाइयों में भी किया जाता है.
हेल्थडेस्क के जवाब में आगे ये भी बताया गया कि अब तक ऐसे कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, जिनसे पुष्टि होती हो कि Aspidosperma का उपयोग ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने या किसी भी मर्ज की दवा के रूप में हो सकता है.
हमने दावे की पुष्टि के लिए कुछ होम्योपैथी के डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स से भी संपर्क किया. होम्योपैथी मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. भास्कर भट्ट के मुताबिक, ऑक्सीजन की जगह पर किसी भी दवाई का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
होम्योपैथिक डॉक्टर नितिन सामंत का कहना है कि ये दवा मरीज को ठीक से सांस लेने में मदद जरूर करती है. लेकिन, उन्होंने इसका उपयोग कोविड19 संक्रमित मरीजों के इलाज में नहीं किया.
हमने कुछ चेस्ट स्पेशलिस्ट और पल्मोनोलॉजिस्ट्स से भी इस दावे की पुष्टि के लिए संपर्क किया. लेकिन, उन्होंने इस दवा पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. हालांकि, आगे ये भी कहा कि सिर्फ दवाई ही ऑक्सीजन लेवल को बढ़ा दे, ऐसा अब तक नहीं देखा गया है .
केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने भी इस दावे को फेक बताया है कि Aspidosperma Q 20 से ऑक्सीजन लेवल बढ़ाया जा सकता है.
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