Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019'हाई-टेक धोखाधड़ी के शिकार': रूसी सेना से सेवा-मुक्ति की मांग क्यों कर रहे भारतीय?

'हाई-टेक धोखाधड़ी के शिकार': रूसी सेना से सेवा-मुक्ति की मांग क्यों कर रहे भारतीय?

Indians in Russian Army: रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2023 में रूसी सेना ने 100 से अधिक भारतीयों को भर्ती किया था.

प्रणय दत्ता रॉय
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>'हाई-टेक धोखाधड़ी के शिकार': रूसी सेना से सेवा-मुक्ति की मांग क्यों कर रहे भारतीय?</p></div>
i

'हाई-टेक धोखाधड़ी के शिकार': रूसी सेना से सेवा-मुक्ति की मांग क्यों कर रहे भारतीय?

फोटो: X/ असदुद्दीन ओवैसी

advertisement

भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोमवार, 26 फरवरी को कहा कि भारत सरकार (Indian Government) रूसी सेना (Russian Military) में सेवारत भारतीय पुरुषों से जुड़े मामलों की जांच कर रही है. नई दिल्ली (New Delhi) की मांग के बाद कई भारतीयों को रूसी सेना से सेवा-मुक्त कर दिया गया है.

विदेश मंत्रालय का यह बयान उन रिपोर्टों के जवाब में आया है जिनमें कहा गया है कि कुछ भारतीयों को जिन्हें यूक्रेन के जंग (Ukraine War) के मैदान में रूसी सेना के लिए सहायता और सुरक्षा एजेंट के रूप में नियुक्त करने का वादा किया गया था, उन्हें फ्रंटलाइन पर रूसी सैनिकों के साथ युद्ध में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया है.

विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित एक प्रेस विज्ञप्ति में मंत्रालय ने मामले पर बात करते हुए कहा, "हमने मीडिया में कई गलत रिपोर्टें देखी हैं जिसमें भारतीय रूसी सेना से सेवा-मुक्ति किए जाने के लिए गुहार लगा रहे हैं."

द हिंदू ने रूसी रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से जानकारी दी कि पिछले साल रूसी सेना ने करीब 100 भारतीयों की भर्ती मॉस्को केंद्र पर की थी.

“मॉस्को में भारतीय दूतावास के संज्ञान में लाए गए ऐसे हर एक मामले को रूसी अधिकारियों के साथ मजबूती से उठाया गया है. और मंत्रालय के संज्ञान में लाए गए मामलों को नई दिल्ली में रूसी दूतावास के साथ बातचीत की गई है. नतीजतन कई भारतीयों को पहले ही सेवा-मुक्त कर दिया गया है."

इससे पहले शुक्रवार को, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह रूसी सेना में सहायक कर्मचारियों के रूप में काम करने वाले भारतीयों की जल्द सेवा-मुक्ति के लिए मास्को के संपर्क में है और सरकार ने अपने नागरिकों से यूक्रेन में संघर्ष क्षेत्र से दूर रहने का आग्रह किया है.

ठगे जाने के बाद फंसे चार लोग

TOI की रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना के 22 वर्षीय मोहम्मद सूफियान सहित कर्नाटक के कलबुर्गी के तीन अन्य लोगों ने अपने परिवारों को एक जरूरी संदेश भेजा. संदेश में उनके रूस में फंसे होने की खबर थी. साथ ही उन्हें यूक्रेन के खिलाफ जंग में लड़ने के लिए सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया है.

सुफियान ने सेना की पोशाक पहनकर अपने परिवार को एक परेशान करने देने वाला वीडियो भेजा, जिसमें बताया कि उनका समूह नौकरी धोखाधड़ी का शिकार हो गया है.

सुफियान ने गुहार लगाई, "प्लीज हमें बचा लों, हम हाई-टेक धोखाधड़ी के शिकार हैं.

20 फरवरी को उनके परिवारों ने AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी से मदद मांगी. ओवैसी ने उन्हें तुरंत मदद का आश्वासन दिया. उन्होंने अगले दिन मीडिया को संबोधित किया और प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले को लेकर रूसी सरकार से बातकर भारतीय युवाओं को वापस लाने की अपील की.

ओवैसी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को लिखे पत्र में दावा किया कि तेलंगाना के तीन लोगों समेत दर्जनभर भारतीय फर्जी नौकरी एजेंटों के शिकार हुए हैं. एजेंटों ने शुरू में उन्हें रूस में सुरक्षा पदों का वादा किया था, लेकिन कथित तौर पर उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर किया.

उन्होंने सूफियान के साथ तीन भारतीयों की वापसी के लिए विदेश मंत्री जयशंकर से हस्तक्षेप का अनुरोध किया जो कथित नौकरी धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं.

साल 2023 में दुबई घुमने गए चारों भारतीय एजेंटों के संपर्क में आए थे. सुफियान तब वहां काम करता था. वहां कथित तौर पर इन्हें ज्यादा वेतन और फायदे की नौकरी का झांसा दिया गया था. नवंबर में वह भारत लौट आएं, जिसके एक महीने बाद टूरिस्ट वीजा पर कथित तौर पर तीनों चेन्नई से उड़ान भरकर रूस चले गए.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें रूस में सेना सुरक्षा सहायक के रूप में सेवा करने के लिए प्रति माह ₹2 लाख से अधिक वेतन की पेशकश की गई थी. परिवार के एक सदस्य ने बताया कि उन्होंने भर्ती एजेंटों को ₹3.5 लाख सिक्योरिटी के रूप में दिए थे.

परिवार जानकर हैरान रह गए कि जो युवक "सुरक्षा और सहायक" बनने के लिए रूस गए थे, वह अब रूस-यूक्रेन जंग फ्रंटियर थे. मुमकिन है कि यह भर्ती वैगनर ग्रुप द्वारा किया गया है. वैगनर ग्रुप एक प्राइवेट सैन्य कंपनी है जो रूस युद्ध में किराये के सैनिकों की बहाली करती है.

'मैनें ड्रोन देखा': यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ते हुए भारतीय युवक की मौत

हांलाकि, भारत सरकार रूस में लड़ रहे भारतीयों की सुरक्षा की दिशा में काम कर रही है. गुजरात का एक 23 वर्षीय युवक जो रूसी सेना में सुरक्षा सहयोगी के पोस्ट पर नौकरी कर रहा था उसकी 21 फरवरी को दुखद मौत हो गई. युवक की मौत रूस-यूक्रेन सीमा के डोनेट्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी हवाई हमले में हुई.

मृतक की पहचान सूरत जिले के हेमिल अश्विनभाई मंगुकिया के रूप में हुई है. हेमिल ने दिसंबर 2023 में रूस की यात्रा की थी और कर्नाटक और तेलंगाना के लोगों के जैसे ही रूसी सेना के साथ काम करना शुरू किया था.

कर्नाटक के गुलबर्गा निवासी समीर अहमद (23) ने कहा कि हमले के दौरान हेमिल मिसाइलों का शिकार हो गया और कहा कि उन्होंने "एक ड्रोन को उनके ऊपर मंडराते देखा."

"जब मैं एक खाई खोदने में लगा हुआ था, हेमिल लगभग 150 मीटर दूर फायरिंग का अभ्यास कर रहा था. दो अन्य भारतीयों और कई रूसी सैनिकों के साथ मैनें खाई में शरण ली थी. मिसाइलों के हमले से जमीन कांप उठती थी. कुछ देर बाद जब हम टेंट से बाहर आए तो मुझे हेमिल का मृत शरीर मिला."
- समीर अहमद

हेमिल के पिता ने 2 फरवरी को भारतीय वाणिज्य दूतावास को एक ईमेल भेजा, जिसमें उन्होंने सरकार से उनके बेटे की जान को खतरा बताते हुए उसकी वापसी की व्यवस्था करने की मांग की थी.

मॉडस ऑपरेंडी क्या है?

ओवेसी द्वारा विदेश मंत्री जयशंकर (S. Jaishankar) को लिखे पत्र के मुताबिक, भारतीय एजेंटों द्वारा गुमराह किए जाने और बिना किसी उचित प्रशिक्षण के रूसी सेना में शामिल किए जाने के बाद मोहम्मद असफान,अरबाब हुसैन और जहूर अहमद "हैदराबाद लौटने के लिए मदद मांग रहे हैं."

नागरिकों को कथित तौर पर रूस भेजा गया. यहां उन्हें मारियुपोल, खार्किव और डोनेट्स्क में युद्ध में धकेलने से पहले बुनियादी हथियार-हैंडलिंग ट्रेनिंग दी गई. ओवैसी ने कहा कि उन्हें सैन्य सेवा के लिए स्वेच्छा से काम करने के लिए गुमराह किया गया और युद्ध के मैदान में भेज दिया गया.

"तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर और उत्तर प्रदेश के बेरोजगार पुरुषों को रूस में एजेंटों द्वारा नौकरी का वादा किया गया था. जहां उन्हे बताया गया कि वे सुरक्षा एजेंट के रूप में काम करेंगे, लेकिन उन्हें धोखा दिया गया और युद्ध के मैदान में भेज दिया गया."
- प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए औवेसी ने कहा:

औवेसी ने कहा, "मैं पिछले साल दिसंबर में इन लोगों के परिवारों से मिला था, जिन्होंने मुझसे मदद मांगी थी. मैंने युवकों को वापस लाने के लिए रूस में भारत के राजदूत और विदेश मंत्री को पत्र लिखा है."

ओवैसी का आरोप है कि ऑपरेशन के पीछे का दिमाग फैसल खान है. फैसल अपने यूट्यूब चैनल 'बाबा व्लॉग्स' के लिए जाना जाता है. अपने यूट्यूब चैनल पर वह विदेश में नौकरी की पेशकश हासिल करने के टिप्स शेयर करता है और कथित तौर पर 300,000 से अधिक सब्सक्राइबर को वर्क परमिट दिलाने में मदद करता है.

उन्होंने कहा,"इन लोगों ने अपना वीडियो बनाकर अपनी आपबीती बताई. उन्हें फ्रंटलाइन पर रहने को मजबूर किया गया और युद्ध के मैदान में गोलियों का सामना करना पड़ा. यहां उनका एक साथी भी युद्ध में मारा गया है."

पिछले साल दिसंबर के एक वीडियो में फैसल खान ने यूरोपीय देशों से व्यक्तियों के लिए वर्क परमिट मिलने का दावा किया था. बाद में उन्होंने बताया कि, "रूसी सेना के साथ काम चल रहा है और सात लोगों को रूस के लिए वर्क परमिट मिला है."

24 फरवरी 2022 को, रूस ने 2014 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध को बढ़ाते हुए यूक्रेन पर हमला किया. यह हमला द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी यूरोपीय देश पर सबसे बड़ा हमला था. ऐसा अनुमान है कि इससे हजारों यूक्रेनी नागरिक और सैकड़ों हजार सैनिक हताहत हुए.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT