कर्नाटक (Karnataka) हिजाब विवाद (Hijab controversy) कक्षा में प्रवेश करने से मना करने से शुरु हुआ जो बाद में भगवा बनाम हिजाब हुआ और इसे साम्प्रदायिक रंग दिया गया. इसके बाद विरोध प्रदर्शन और हिंसा भी देखने को मिली. कई राज्यों में हिजाब को लेकर प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिलीं. यह मामला इतना बढ़ गया कि इसकी चर्चा पाकिस्तान समेत अंतर्राष्ट्रीय स्तर भी हुई. मामला हाई कोर्ट तक जिस पर फिलहाल सुनवाई सोमवार को होगी. लेकिन अब तक इस पूरे मामले में क्या हुआ जानते हैं पूरी कहानी...
कोर्ट में अब तक क्या हुआ है?
कब से शुरु हुई इस विवाद की कहानी?
कर्नाटक के उडुपी जिले के एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में जब कुछ छात्राओं को क्लासरूम में प्रवेश देने से मना किया गया तो उन छात्राओं ने इस बात का विरोध किया. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार कॉलेज के प्रिंसिपल रुद्र गौड़ा ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि 'हमारे कॉलेज में क़रीब एक हज़ार छात्राएं हैं, इनमें से 75 मुसलमान हैं. अधिकतर मुसलमान छात्राओं को हमारे नियमों से कोई दिक़्क़त नहीं है. सिर्फ़ ये छह छात्राएं ही विरोध कर रही हैं. हमने इन छात्राओं को हिजाब या बुर्क़ा पहनकर कॉलेज कैंपस में घूमने की अनुमति दी है. हम सिर्फ ये कह रहे हैं कि जब क्लास शुरू हो या लेक्चरर क्लास में आएं तो वो हिजाब उतार दें.'
तब प्रिंसिपल ने क्या कहा?
कॉलेज के प्रिंसिपल गौड़ा का कहना है कि किसी भी तरह के भेदभाव की संभावना को मिटाने के लिए कॉलेज में एक यूनीफॉर्म निर्धारित किया गया है.
छात्राओं का क्या कहना है?
वहीं विरोध करने वाली छात्राओं में से एक छात्रा अल्मास का कहना है कि 'फर्स्ट ईयर में हिजाब की अनुमति नहीं थी. जब हम कॉलेज आईं तो हमने देखा कि हमारी सीनियर छात्राएं हिजाब पहनती थीं. हमें लगा कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है. फिर हम हिजाब पहनकर स्कूल आईं. लेकिन स्कूल ने तर्क दिया कि हमारे अभिभावकों ने एडमिशन के समय एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. पिछले साल कोविड की वजह से ऑनलाइन क्लास हो रही थीं, लेकिन जब ऑफलाइन कक्षाएं शुरू हुईं और हमने ये मुद्दा उठाया तो स्कूल प्रबंधन ने अलग-अलग बहाने बनाए और कहा कि मिड-टर्म परीक्षाएं समाप्त होने दीजिए. वहीं जब हम हिजाब पहनकर 29 दिसंबर को आए तो हमें क्लास में बैठने नहीं दिया गया.'
हिजाब के लिए संघर्ष करने वाली छात्राओं में से एक का कहना है कि 'सभी को अपने रिवाज मानने की इजाज़त है, लेकिन हमें जो पहनने की इजाजत है, उस हक से हमें क्यों रोका जा रहा है.'
बाद में प्रिसिंपल की तरफ से यह भी कहा गया कि कुछ ही लड़कियों को हिजाब न पहनने से समस्या है. ये अनुशासनहीन हैं, इनमें कुछ ऐसी हैं जो देरी से कॉलेज आती हैं.
हिजाब पहनकर कर कक्षा में जिन लड़कियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा था उनका कहना है कि भले ही उन्हें हिजाब पहनकर क्लास में बैठने नहीं दिया जा रहा था लेकिन वे कॉलेज जा रहीं थीं ताकि बाद में कोई यह न कहे कि हमारी उपस्थिति नहीं है. जिनके बारे में कहा जा रहा है कि अनुशासनहीन हैं वे सब हरदिन समय पर कॉलेज आती हैं, वो अनुशासनहीन नहीं हैं.
क्या हिजाब पहनने का हक संविधान में दिया गया है?
रहमान फारूक द्वारा दायर रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि हिजाब पहनना लड़कियों की आवश्यक धार्मिक प्रथाओं का हिस्सा है और इसलिए उन्हें कॉलेज में एंट्री से इस आधार पर रोकना, अनुच्छेद 25 के तहत अपने धर्म का पालन करने के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 (समान व्यवहार का अधिकार) का भी उल्लंघन है.
लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. लड़कियों का तर्क था कि हिजाब पहनने की इजाजत न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन है.
हिजाब विवाद में अब तक क्या-क्या हुआ है?
2021 दिसंबर : उडुपी में छह छात्राओं को क्लास में हिजाब पहनकर आने से रोका गया.
3 जनवरी 2022 : कोप्पा, चिकमगलूर में गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज के हिंदू छात्रों ने भगवा स्कार्फ पहनकर धरना दिया. उनकी मांग थी कि अगर मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति दी जाती है, तो उन्हें भी भगवा स्कार्फ पहनने की अनुमति दी जाए.
6 जनवरी 2022 : ऐसा ही नजारा मेंगलुरु के पोम्पेई कॉलेज में देखने को मिला.
19 जनवरी 2022 : कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं, उनके माता-पिता और अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला.
27 जनवरी 2022 : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने विवाद को लेकर कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया.
31 जनवरी 2022 : उडुपी कॉलेज के छात्राओं ने हिजाब पहनकर कक्षाओं में शामिल होने के लिए अंतरिम राहत की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
2 फरवरी 2022 : हिंदू छात्रों की तरफ से भगवा स्कार्फ पहनने के बाद कुंडापुर सरकारी पीयू कॉलेज ने हिजाब पहनने वाले छात्रों के लिए अपने गेट बंद कर दिए. वहीं शिवमोग्गा जिले के भद्रावती स्थित सर एम विश्वेश्वरैया गवर्नमेंट आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला.
3 फरवरी 2022 : विरोध कुंडापुर के एक और कॉलेज में फैल गया.
4-5 फरवरी 2022 : कर्नाटक में सरकार के स्तर पर बैठक हुई. शिक्षा मंत्री नागेश ने कहा है कि परिसर में भगवा गमछे और हिजाब दोनों ही पर रोक लगनी चाहिए. मुख्यमंत्री बासवराज एस बोमई और राज्य के गृह मंत्री ने छात्रों के साथ ही सभी लोगों ने शांति बनाए रखने की अपील की है. इस मीटिंग के बाद सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को इस संबंध में हाईकोर्ट का आदेश आने तक मौजूदा यूनिफॉर्म नियमों का पालन करने का आदेश दिया.
7 फरवरी 2022 : सांप्रदायिक टकराव को रोकने के लिए कर्नाटक के विजयपुरा जिले के दो कॉलेजों में अवकाश घोषित किया गया.
8 फरवरी 2022 : कर्नाटक में कई जगहों पर झड़पें हुईं. कई जगहों से पथराव की खबरें भी आईं. मांड्या में बुर्का पहनी एक छात्रा से बदसलूकी की गई. उसके सामने भगवा गमछा पहने छात्रों ने 'जय श्री राम' के नारे लगाए.
8 फरवरी के दिन ही हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई. लेकिन सुनवाई से पहले सुबह से ही मामले ने हिंसक मोड़ ले लिया. पथराव और नारेबाजी की कुछ घटनाओं के बाद पुलिस ने हालात काबू कर लिए. कर्नाटक हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान जज ने लोगों से अमन-चैन बनाए रखने की अपील की. सुनवाई उस दिन पूरी नहीं हो सकी. आगे की तारीख दी गई. इसके साथ ही मामले की सुनवाई सिंगल बेंच से बड़ी बेंच को सौंप दिया गया यानी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को सौंप दिया गया.
10 फरवरी 2022 : हिजाब पहनने पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट के तीन जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की, शुरुआती दलीलें सुनने के बाद बेंच ने कहा कि अब अगले सोमवार को आगे की सुनवाई होगी. सुनवाई खत्म होने तक छात्रों को स्कूल-कॉलेज में किसी भी धार्मिक पोशाक को नहीं पहनने को कहा गया.
10 फरवरी को ही विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने हिजाब विवाद का मुद्दा प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच के सामने उठाते हुए इस पर तत्काल सुनवाई करने की मांग की. लेकिन सीजेआई ने इस मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अभी इस मामले की सुनवाई कर्नाटक हाई कोर्ट कर रहा है.
'भगवा स्कॉर्फ' की एंट्री कैसे हो गई?
उडुपी के कॉलेज में प्रदर्शन कर रही छात्राओं की तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तब उसके बाद कुछ अन्य कॉलेजों में हिंदू छात्रों ने भगवा शॉल पहनना शुरू कर दिया.
कर्नाटक के कुंडापुरा कॉलेज की 28 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास में आने से रोका गया था. इस मामले को लेकर छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा था कि इस्लाम में हिजाब अनिवार्य है, इसलिए उन्हें इसकी अनुमति दी जाए. इन छात्राओं ने कॉलेज गेट के सामने बैठकर धरना देना भी शुरू कर दिया था. वहीं लड़कियों के हिजाब पहनने के जवाब में कुछ हिंदू संगठनों ने लड़कों को कॉलेज कैंपस में भगवा शॉल पहनने को कहा था और हुबली में श्रीराम सेना ने कहा था कि जो लोग बुर्का या हिजाब की मांग कर रहे हैं, वे पाकिस्तान जा सकते हैं.
हिंदू छात्र-छात्राओं ने हिजाब पहनने वाली स्टूडेंट्स के खिलाफ विरोध करना शुरू कर दिया. कुछ शहरों में छात्रों द्वारा पत्थरबाजी और आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं. शिवमोगा जिले में छात्रों का एक समूह कॉलेज में भगवा झंडा फहराते हुए कैमरे में कैद हुआ. इसी दिन मंड्या जिले में हिजाब पहनी एक छात्रा मुस्कान को भगवा गमछे वाले युवकों की एक भीड़ ने घेरा और लगातार 'जय श्री राम' के नारे लगाए. इसके जवाब में मुस्कान ने तेज आवाज में 'अल्लाहु अकबर' का नारा लगाया. यह वीडियो देश ही नहीं दुनिया में भी वायरल हुआ.
बीबीसी की रिपोर्ट में अल्मास से जब पूछा गया कि क्या हिजाब की मांग से माहौल नहीं गरमा रहा तब उसने कहा कि 'ये तो हमारे एमएलए साहब के यह कहने के बाद धार्मिक और सांप्रदायिक हुआ जब उन्होंने कहा कि आज आपके बच्चे हिजाब पहन रहे हैं, कल हमारे बच्चे कहेंगे कि वे भगवा शॉल पहनेंगे. इससे कॉलेज का अनुशासन खराब होगा.'
हिजाब पर बाकी राज्यों में क्या हो रहा है?
कर्नाटक से शुरु हुए इस मामले ने अन्य राज्यों में भी अपना रंग दिखाना शुरु किया. महाराष्ट्र के बीड और मालेगांव में इस विवाद को लेकर बैनरबाजी और मोर्चे निकाले गए. उनमें लिखा गया है- ‘पहले हिजाब, फिर किताब. क्योंकि हर कीमती चीज़ पर्दे में होती है’.
मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि था कि 'हिजाब यूनिफॉर्म कोड का हिस्सा नहीं है, इसलिए अगर कोई पहनकर स्कूल में आता है, तो उस पर प्रतिबंध लगेगा. प्रदेश के सभी स्कूलों में एक ही ड्रेस कोड लागू होगा. लेकिन बाद में उन्होंने यूटर्न ले लिया.
उत्तरप्रदेश के जौनपुर के तिलकधारी महाविद्यालय (टीडी कॉलेज) में हिजाब पहनकर आने पर एक छात्रा के साथ प्रोफेसर ने दुर्व्यवहार किया. उसे फटकारा और क्लास से बाहर भी निकाल दिया. छात्रा के पिता की तरफ से पुलिस में शिकायत की बात कही वहीं कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है.
दिल्ली के शाहीनबाग में कुछ महिलाओं ने हिजाब पहनने वाली लड़कियों के समर्थन में मार्च निकाला.
मध्यप्रदेश के भोपाल के एक निजी कॉलेज में, लड़कियों ने हिजाब पहनकर फुटबॉल और क्रिकेट खेलकर कर्नाटक में हो रही घटनाओं का विरोध किया.
हैदराबाद में कई शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों ने भी इस घटना पर विरोध प्रदर्शन किया.
पश्चिम बंगाल में हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ और हिजाब के समर्थन में छात्राओं ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शन कर रही छात्राओं के हाथों में तिरंगा झंडा और तख्तियां थी. उन तख्तियों में लिखा हुआ था कि हिजाब उनका संवैधानिक अधिकार है और वे अपना अधिकार किसी को छीनने नहीं देगीं.
बिहार के कई इलाकों में हिजाब के समर्थन में प्रदर्शन किया गया.
पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों में हिजाब बहस का मुद्दा बन रहा है. पाकिस्तान, फ्रांस जैसे देशों से इस पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. विदेशी मीडिया इस पर काफी कुछ लिख रहा है.
हिजाब विवाद पर दुनिया क्या बोल रही है?
अल जजीरा ने कर्नाटक के मांड्या से एक लड़की के वायरल वीडियो पर रिपोर्टिंग करते हुए लिखा, "इस्लामिक हेडस्कार्फ पर प्रतिबंध ने मुस्लिम छात्रों को नाराज कर दिया है, जो कहते हैं कि ये भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान में निहित उनकी आस्था पर हमला है, जबकि हिंदू राइटविंग समूहों ने शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश को रोकने की कोशिश कर सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया है."
BBC ने भी लिखा कि भारत में इस बढ़ते गतिरोध ने अल्पसंख्यक मुसलमानों में भय और गुस्सा बढ़ा दिया है, जो कहते हैं कि देश का संविधान उन्हें अपनी मर्जी के मुताबिक पहनने की स्वतंत्रता देता है.
वॉशिंग्टन पोस्ट ने लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी की सरकार में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और हेट स्पीच में वृद्धि हुई है."
द गार्डियन ने लिखा, "दक्षिणी भारत में अधिकारियों ने स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है, क्योंकि मुस्लिम छात्रों को नाराज करने वाले इस्लामिक हेडस्कार्फ पर बैन का विरोध तेज हो गया है. कर्नाटक में इस गतिरोध ने अल्पसंख्यक समुदाय के बीच डर पैदा कर दिया है."
नोबल पुरस्कार विजेता और एक्टिविस्ट मलाला युसफजई ने ट्वीट कर इस बैन को भयावह बताया. मलाला ने लिखा, "कॉलेज हमें पढ़ाई और हिजाब के बीच में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर कर रहा है.'
फिलहाल मुद्दा गरमाया हुआ है. अब देखना है कोर्ट क्या फैसला सुनाती है.
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