वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022-23 पेश किया. उनसे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा गया कि आपने टैक्स स्लैब में कोई बदलाव क्यों नहीं किया. तब उन्होंने कहा कि 2 साल से टैक्स न बढ़ना ही राहत है. टैक्स स्लैब के अलावा बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का जिक्र किया गया. वित्त मंत्री ने कहा, किसी भी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर के बाद हुई कमाई पर 30% का टैक्स लगेगा. वर्चुअल करेंसी ट्रांसफर पर 1% का टीडीएस लगेगा.
ऐसे में दो सवाल उठते हैं पहला, टैक्स लगाने का मतलब क्या सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लीगल कर दिया है? दूसरा, टीडीएस लगाने के पीछे सरकार का क्या मकसद है?
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स क्या होता है?
पहले समझ लेते हैं कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स क्या होता है. आसान भाषा में कहें तो वह एसेट्स जो डिजिटल फॉर्मेट में इस्तेमाल की जाती हो. हां, डाटा को एसेट्स नहीं माना जाता है. आजकल डिजिटल एसेट्स में सबसे ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी और नॉन फंजिबल टोकन यानी एनएफटी चलन में है. आपने कई बार सुना होगा कि पेंटिंग की ऑनलाइन नीलामी हो रही है. नीलामी के वक्त एक डिजिटल टोकन मिलता है, जिन्हें एनएफटी कहते हैं. बजट के बाद क्रिप्टोकरेंसी या फिर एनएफटी पर जो भी कमाई होगी, उसपर 30% का टैक्स देना होगा. जैसे- किसी ने एक लाख रुपए की करेंसी ली और उसे 10 लाख रुपए में बेचा. अब 9 लाख रुपए पर सीधा-सीधा 30% टैक्स लगेगा. क्या टैक्स लगाने का मतलब है कि क्रिप्टोकरेंसी लीगल हो गई. जवाब है नहीं.
अवैध तरीके से की गई कमाई पर लग सकता है टैक्स
कोर्ट ने कई फैसलों में माना है कि अवैध गतिविधि से की गई कमाई पर भी टैक्स लग सकता है. अवैध तरीके से की गई कमाई का टैक्सबिलिटी पर कोई असर नहीं पड़ता है. ऐसे में बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स की कमाई पर टैक्स लगाने का ये मतलब नहीं है कि इसे लीगल कर दिया गया है. एक सवाल के जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा-
हम करेंसी पर टैक्स नहीं लगा रहे हैं. क्रिप्टो, करेंसी नहीं है. करेंसी केवल आरबीआई की तरफ से जारी की जा सकती है. बाकी सब एसेट हैं. हम सिर्फ उस एसेट्स के ऊपर कमाए गए मुनाफे पर ही टैक्स लगा रहे हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि आरबीआई ने डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर ली है. बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल करेंसी का ही एक रूप है. फर्क इतना भर है कि क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट करेंसी है और आरबीआई की पब्लिक करेंसी होगी. सरकार की करेंसी. क्रिप्टोकरेंसी का टैक्स के अलावा सरकार से कोई लेना देना नहीं है.
सरकार का मैसेज- क्रिप्टोकरेंसी पर नहीं लगने जा रही रोक?
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (क्रिप्टोकरेंसी) से कमाई पर टैक्स लगाने से एक बात तो साफ हो गई कि अभी सरकार इस पर रोक लगाने नहीं जा रही है. विंटर सेशन में कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा सकती है. इसी के चलते पिछले दो से तीन महीने में क्रिप्टो करेंसी के रेट काफी फ्लकचुएट हुए. कई इन्वेस्टर्स के पैसे डूब गए. लेकिन बजट में टैक्स लगाने की घोषणा के बाद इसे लेकर इन्वेस्टर्स में बैन होने का जो डर था, वह खत्म हो चुका है और अब क्रिप्टो करेंसी मार्केट में बूम आ सकता है.
क्रिप्टो एक्सचेंज बिनांस ने बजट के बाद खुशी जाहिर की और ट्वीट कर कहा, क्रिप्टो को भारत ने एक तरह से कानूनी मान्यता दे दी है. भारत सरकार ने क्रिप्टो एसेट को लेकर एक टैक्स कानून पेश किया है, जिसके जरिए भारत में क्रिप्टो को लेकर चल रही तमाम अटकलों पर विराम लग गया है.
क्रिप्टोकरेंसी की कमाई पर टैक्स लगाने के पीछे सरकार का एक मकसद इस सेक्टर को रेग्युलेट करना का हो सकता है. अभी तक वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का सेक्टर अनरेग्युलेटेड था. लेकिन अब सरकार टैक्स और टीडीएस लगाकर इसे रेग्युलेट करने की तरफ बढ़ रही है. बजट में वर्चुअल करेंसी ट्रांसफर पर 1% का टीडीएस लगाने के पीछे भी यही वजह हो सकती है. टीडीएस कटने से डिजिटल एसेट की पूरी जानकारी सरकार के पास होगी.
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