केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार, 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2022-23 (Union Budget 2022) पेश किया. यह चौथा मौका था जब निर्मला सीतारमण संसद में बजट प्रस्तुति कर रहीं थी जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पेश किया गया दसवां बजट था.
जहां एक तरफ सरकार इस बजट को ‘पीपल फ्रेंडली’ और ‘प्रोग्रेसिव’ बता रही है वहीं विपक्ष अपनी असंतुष्टि भी जता रहा है. हालांकि विपक्ष के अलावा एक और तबका किसान नेताओं का भी है जो बजट में किसानों के लिए किए गए प्रावधान को नाकाफी बता रहे हैं.
किसान नेता और स्वराज इंडिया के चीफ योगेंद्र यादव ने बजट 2022 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसान आंदोलन से हारी हुई सरकार ने बजट से बदला लिया है.
“किसान आंदोलन से हारी हुई सरकार तिलमिलाई हुई है, इतनी अपमानित है, इतनी गुस्सा है कि अब किसानों से बदला लेने पर उतारू है. पहले बजट में किसानों को कम-से-कम सुंदर डायलॉग मिला करते थे लेकिन इस बार न पैसे मिले, न नाम की घोषणाएं मिली न डायलॉग ही”
“चुप्पी मिली है इस बार किसानों को”
किसान आंदोलन के दौरान किसानों की मांग को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करते रहे स्वराज इंडिया के चीफ योगेंद्र यादव का कहना है कि सरकार बजट के माध्यम से किसानों को कह दिया है कि “आप भाड़ में जाओ”.
“किसानों को चुप्पी मिली है. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होनी थी, वित्त मंत्री 5 साल से इसका डमरू बजा रहीं हैं. लेकिन इस बार जब आय दोगुनी हो जानी चाहिए थी वो चुप हैं.”
योगेंद्र यादव ने आगे आरोप लगाए कि सरकार कृषि निवेश फंड, किसान सम्मान निधि, फसल बिमा योजना, मनरेगा जैसे विषयों पर चुप्पी साधे रखी.
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