ADVERTISEMENTREMOVE AD

जानिए एन चंद्रा की खासियत, जिसने उन्हें टाटा सन्स का बॅास बना दिया

ना सिर्फ उम्र उनके साथ है, बल्कि वो टाटा ग्रुप के सिद्धांतों, विचारधारा और कार्यशैली में रमे लीडर हैं.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

नटराजन चंद्रशेखरन, जिन्हें उद्योग जगत में चंद्रा के नाम से पुकारा जाता है, को टाटा सन्स का चेयरमैन बनाए जाने की घोषणा से शायद ही किसी को हैरानी हुई होगी. अक्टूबर के अंत में जब चंद्रा को टाटा सन्स के बोर्ड में शामिल किया गया था, तभी से इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि देश की सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों में से एक टाटा सन्स की कमान इस मैराथन मैन को दी जा सकती है. एन चंद्रशेखरन टाटा ग्रुप का एक भरोसेमंद नाम है. चंद्रशेखरन का टाटा ग्रुप में 30 साल लंबा करियर उपलब्धियों से भरा रहा है और उन्हें नई टेक्नोलॉजी पर बड़ी बाजी लगाने वाले एक टेक्नो-आंत्रप्रेन्योर के तौर पर जाना जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चंद्रा की लीडरशिप का ही कमाल था कि एक वक्त इंफोसिस से पीछे छूटती जा रही टीसीएस ने देश की सबसे बड़ी और कामयाब आईटी कंपनी के तौर पर अपनी पहचान पुख्ता कर ली है. चंद्रा साल 2009 से ही टाटा समूह का ताज माने जाने वाली कंपनी टीसीएस की अगुवाई कर रहे हैं. 46 साल की उम्र में जब उन्होंने टीसीएस की कमान संभाली थी तो वो टाटा समूह की कंपनियों में किसी भी कंपनी के सबसे युवा सीईओ थे.

अपने करियर की शुरुआत टीसीएस से ही एक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर के तौर पर करने वाले चंद्रशेखरन ने अपनी अगुवाई में कंपनी की कमाई को करीब साढ़े तीन गुना बढ़ा दिया. 2010 में टीसीएस की कमाई करीब 30,000 करोड़ रुपए थी, जो 2016 में बढ़कर 1.09 लाख करोड़ रुपए हो गई. यही नहीं, मुनाफा भी इस दौरान 7,093 करोड़ रुपए से बढ़कर 24,375 करोड़ रुपए तक पहुंच गया.

आज टीसीएस देश की सबसे बड़ी प्राइवेट एंप्लॉयर है जिसमें 3 लाख 71 हजार लोग काम करते हैं. अगर अब भी आप चंद्रशेखरन की कार्यकुशलता के कायल नहीं हुए तो ये भी जान लीजिए कि टीसीएस से ही टाटा संस की सभी कंपनियों से होने वाली कमाई का 70 पर्सेंट आता है. और तो और, साल 2014-15 में टाटा संस के खजाने में करीब 90% का योगदान टीसीएस ने ही किया था.
0

ग्लोबल इमेज और इंटरनेशनल आउटलुक वाले शख्स

स्वभाव से विनम्र लेकिन जुझारू चंद्रशेखरन से बेहतर विकल्प टाटा सन्स के लिए शायद नहीं हो सकता था. ना सिर्फ उम्र उनके साथ है, बल्कि वो टाटा ग्रुप के सिद्धांतों, विचारधारा और कार्यशैली में रमे लीडर हैं. रतन टाटा से नजदीकी और सबको साथ लेकर चलने वाले लीडर की छवि चंद्रशेखरन के चुनाव की बड़ी वजह रही हैं. उनके पक्ष में एक और बात गई उनका अंतर्राष्ट्रीय अनुभव.

टीसीएस के सीईओ के तौर पर उनका वास्ता दुनिया की बड़ी कंपनियों से रहा है, जो उनके क्लाइंट हैं. इन कंपनियों में जनरल इलेक्ट्रिक, जे पी मॉर्गन, वॉलमार्ट, एबीबी, सिस्को और वोडाफोन जैसे नाम शामिल हैं. 16.5 अरब डॉलर की कंपनी टीसीएस का सीईओ होना और 103 अरब डॉलर के टाटा ग्रुप का चेयरमैन होना दो बिलकुल अलग बातें हैं. एक ऐसे ग्रुप का मुखिया होने के लिए, जिसका करीब दो-तिहाई राजस्व अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से आता है, ग्लोबल इमेज और इंटरनेशनल आउटलुक वाले शख्स की जरूरत थी, जिस पर चंद्रा बिलकुल खरे उतरे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
ना सिर्फ उम्र उनके साथ है, बल्कि वो टाटा ग्रुप के सिद्धांतों, विचारधारा और कार्यशैली में रमे लीडर हैं.
(फोटो: द क्विंट)

मैराथन मैन

मूल रूप से तमिलनाडु के मोहनूर में पले-बढ़े चंद्रशेखरन ने दसवीं तक की पढ़ाई तमिल मीडियम के स्कूल से की थी. वो अपने पिता के साथ खेत में भी काम कर चुके हैं. यही वजह है जमीन से उनका जुड़ाव उनके स्वभाव में साफ महसूस किया जा सकता है. चंद्रशेखरन टाटा सन्स के ऐसे पहले चेयरमैन हैं, जो पारसी नहीं हैं, ग्रुप के शेयरहोल्डर नहीं हैं और टाटा परिवार से किसी भी तरह जुड़े नहीं हैं.

तो क्या ये विशेषताएं उनके आड़े आ सकती हैं?

अगर उनकी शख्सियत पर गौर करें तो जवाब होगा नहीं. चंद्रशेखरन की खूबी है कि वो जो ठान लेते हैं, उसे करके दिखाते हैं. उनके डॉक्टर ने सेहत दुरुस्त रखने के लिए उन्हें रोज 15,000 कदम चलने की सलाह दी थी. 31 मार्च 2007 को चंद्रा जब पहली बार जॉगिंग के लिए निकले तो 100 मीटर ही दौड़ सके थे. लेकिन, इसके 9 महीने बाद ही उन्होंने 42 किलोमीटर का फुल मैराथन पूरा किया. उसके बाद से चंद्रा दुनिया में कई मैराथन रेस में शामिल हो चुके हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस मैराथन मैन को दौड़ने के अलावा फोटोग्राफी और शास्त्रीय संगीत सुनने का भी शौक है. चंद्रशेखरन की पसंदीदा पेंटिंग है एक हाथी के नजदीक ध्यानमग्न बुद्ध.

इसके बारे में 2014 में एक इंटरव्यू में चंद्रा ने कहा था- "मुझे वो तरीका पसंद है जिससे एक विशाल जानवर शांतचित बुद्ध के सामने नतमस्तक हो जाता है."

शायद टाटा ग्रुप की हाथी के समान चुनौतियों को नियंत्रण में करने के लिए बुद्ध की तरह शांतचित चंद्रशेखरन ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प थे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×