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ऑनलाइन शॉपिंग के दिन गए, सुपरमार्केट की हो रही है वापसी?

बढ़ते कॉम्पिटिशन की वजह से लोगों को डिस्‍काउंट और कैशबैक देने की मजबूरी ने कंपनियों को घाटे में डुबा दिया.

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2003 में बिग बाजार ने अपना पहला स्टोर लॉन्च किया, तो बाजार के जानकारों ने कहा था कि ये स्टोर छोटे दुकानदारों का बिजनेस ठप कर देगा.

इसके बाद फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसे ई-कॉमर्स कंपनियों का बिजनेस तेजी से चमका और सवाल उठने लगा कि क्या अब बड़े रिटेलर्स का धंधा मंदा पड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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रिटेलर्स Vs ई-कॉमर्स


फ्यूचर ग्रुप और एवेन्यू सुपरमार्ट्स जैसे बड़े रिटेलर्स काफी तेजी से अपने कारोबार को फैला रहे हैं.

फूड और ग्रोसरी रिटेलर डी-मार्ट भारत की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनियों में से एक है. इसके मालिक राधाकृष्ण दमानी चर्चा में तब आए थे, जब उनकी कंपनी की शेयर मार्केट में लिस्टिंग हुई. इसके बाद से कंपनी के शेयर्स ढाई गुना तक बढ़ चुके हैं. ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक दमानी 20वें सबसे अमीर भारतीय हैं. दमानी की संपत्ति 4.10 बिलियन डॉलर है. ये ही नहीं वो दुनिया के 500 सबसे अमीर लोगों में भी जगह बना चुके हैं.

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इधर, ई कॉमर्स वेबसाइट फ्लि‍पकार्ट को अब तक की सबसे बड़ी 1.4 अरब डॉलर की फंडिंग मि‍लने के बाद भी कंपनी के को-फाउंडर्स सचि‍न बंसल और बि‍न्‍नी बंसल दोनों बि‍लि‍यनर्स क्‍लब से बाहर हो गए हैं.

हालांकि, फ्लि‍पकार्ट को मि‍लने वाली ये फंडिंग 23 प्रतिशत कम वैल्‍यूएशन 11.6 अरब डॉलर पर मि‍ली है. अगर दोनों फाउंडर्स की शेयर होल्‍डिंग में कोई बदलाव नहीं आया है तो इनकी नेट वर्थ गि‍रकर करीब 87 करोड़ डॉलर होगी.

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कुछ साल पहले देश में ई-कॉमर्स की शुरुआत हुई, तो ऑनलाइन शॉपिंग तेजी से की जाने लगी. बढ़ते कॉम्पिटिशन की वजह से लोगों को डिसकाउंट और कैशबैक देने की मजबूरी ने कंपनियों को घाटे में डुबा दिया.

इधर, रिटेल स्पेस में भी कंपनियां घाटे में ही रही हैं, लेकिन इसमें डी-मार्ट ऐसी कंपनी है जो मुनाफा में ही है. यही वजह है कि एवेन्यू सुपरमार्ट्स की मार्केट वैल्यू एक ही दिन में 39,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई.

दरअसल, राधाकृष्ण दमानी ने भारत में कुछ वैसा ही किया, जो वॉलमार्ट ने अमेरिका में किया था. उन्होंने जरूरत में आने वाले सामान की कीमतें वाजिब रखते हुए मुनाफा कमाया. उन्होंने ऐसे प्रोडक्ट्स पर फोकस नहीं किया जिसमें मुनाफा ज्यादा हो और बिक्री कम. डी मार्ट ने तेजी से बिकने वाले रोजमर्रा के सामानों पर डिसकाउंट तो दिया ही, ग्राहकों को क्वालिटी देकर अपने साथ रोककर भी रखा.

लेकिन, ई-कॉमर्स कंपनियां एेसा करने में नाकाम दिखीं. ग्राहकों को डिस्काउंट तो मिल रहा था लेकिन क्वालिटी से कॉम्प्रोमाइज किया जा रहा था.

दरअसल, ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग सिर्फ इसलिए करता है, क्योंकि उसे सामान कम कीमत पर मिलता है. इसके अलावा कोई दूसरी वजह नहीं दिखती. इधर, डी मार्ट में लोग इसलिए आने लगे क्योंकि उन्हें जरूरत का सामान आसानी से कम दाम पर मिलने लगा और क्वालिटी भी.

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यह भी पढ़ें: रातोंरात अंबानी-बजाज जैसे अमीर कैसे बन गए राधाकिशन दमानी

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