प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में एक बार फिर कहा है कि जीएसटी सिर्फ एक आर्थिक रिफॉर्म नहीं, बल्कि सामाजिक अभियान है. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि इस 'सफल' प्रयोग ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है.
क्या महज एक महीने के जीएसटी के प्रयोग को सफल मान लेना चाहिए? इस बात का जवाब समझने में एक हफ्ते के दिल्ली से पूर्वांचल और नेपाल बॉर्डर के सफर ने मदद की. ट्रेन के डिब्बों से लेकर चाय की दुकान कहीं न कहीं GST की चर्चा जरूर हुई.
कुछ ऐसे सवाल और सवालों के पीछे के कंफ्यूजन सामने आए-
- तमाम सिर से गुजरने वाले आर्थिक आंकड़ें, लंबे-चौड़े रिपोर्ट अभी भी आम आदमी को नहीं समझा सके हैं कि GST से क्या मिला ?
- कारोबारी अभी GST का पैटर्न ही समझने में उलझे हुए हैं. ‘उधार’ पर चलने वाले कुछ व्यापार तो इस कारण से ठप्प पड़े हैं.
- हर कारोबारी अपने नीचे के छोटे कारोबारी से GST के पहले का पूरा हिसाब साफ करने को कह रहा है. ऐसे में मौजूदा कारोबार थोड़ा मंद पड़ा हुआ है.
ऐसे में GST लागू होने के 1 महीने में सरकार, कारोबार और जनता के सरोकार से जुड़ी बातों पर एक नजर डालते हैं-
सरकार:
12 लाख से अधिक कारोबारियों ने कराया पंजीकरण
देशभर के 12 लाख से अधिक कारोबारियों ने GST सिस्टम के तहत नए रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है. राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने कहा-
- 10 लाख आवेदनों को रजिस्ट्रेशन के लिये मंजूर कर लिया गया है
- 2 लाख आवेदन अभी भी पेंडिंग हैं
- 30 जुलाई तक का समय दिया गया था
बता दें कि कोई भी कारोबारी जब GST के तहत रजिस्ट्रेशन लेता है तो उसे GISTN का अस्थाई नंबर दिया जाता है. दूसरे स्टेप में कारोबारी GST नेटवर्क पर अपना पूरा ब्योरा भर देता है तो उसे स्थायी रजिस्ट्रेशन दे दिया जाता है.
कंपोजिशन स्कीम अपनाने के लिए कारोबारियों को ज्यादा समय
GST के तहत कंपोजिशन स्कीम अपनाने के लिए समयसीमा बढ़ाकर 16 अगस्त कर दी गई है. इससे पहले 21 जुलाई तक का समय दिया गया था. सरकार ने कहा है कि अब तक 5 लाख कंपनियों ने GST के तहत कंपोजिशन स्कीम को चुना है.
क्या है कंपोजिशन स्कीम
इस योजना को ऐसे छोटे करदाताओं से टैक्स लेने के लिए एक विकल्प के तौर पर तैयार किया गया है जिनका कारोबार 75 लाख रुपये तक (आठ पूर्वोत्तर राज्यों और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए 50 लाख रुपये तक) है. इस योजना के तहत व्यापारी, विनिर्माता और रेस्तरां 1, 2 और 5 फीसदी की रेट से टैक्स का भुगतान कर सकते हैं,
प्राइवेट टीवी चैनल जागरूकता फैलाएं: सरकार
केंद्र ने प्राइवेट टीवी चैनलों से अपने स्क्रीन पर 'स्क्रॉल ' चला कर GST के बारे में जागरुकता फैलाने को कहा है. सभी प्राइवेट टीवी चैनलों को भेजे पत्र में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के निदेशक (प्रसारण) अमित कटोच ने कहा-
देश भर में जीएसटी जागरुकता अभियान ‘मंथन ‘ का आयोजन किया जा रहा है. इसका प्रचार करने के लिए यह अनुरोध किया जाता है कि चैनलों पर इस मुद्दे पर स्क्रॉल चलाए जा सकते हैं.
कारोबार:
सेंसेक्स बुलंदियों पर
GST को लेकर इन्वेस्टर्स शुरुआत से तनाव में थे. मार्केट पर इसके असर को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन GST लागू होने के बाद के पहले कारोबारी हफ्ते से लेकर आखिर हफ्ते तक तेजी देखने को मिली है.
- 25 जुलाई को पहली बार निफ्टी-50 ने 10 हजार का स्तर पार किया
- 25 जुलाई को ही सेंसेक्स ने भी नया रिकॉर्ड बनाया, सेंसेक्स ने 32,374 के ऊपरी स्तर को छुआ जो कि रिकॉर्ड है.
- 12 जुलाई को पहली बार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी ने 9,800 अंकों का आंकड़ा पार किया
- 13 जुलाई को पहली बार बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 32 हजार अंकों का आंकड़ा पार किया
- इस दौरान बाजार की बढ़त में बैंकिंग, ऑटो सेक्टर और FMCG सेक्टर का खास योगदान रहा
होटल उद्योग पर GST की मार
GST के लागू होने के 1 महीने के बाद होटलवालों ने शिकायत की है. उनका कहना है कि इसके कारण एमआईसीई खंड यानी सम्मेलन, प्रदर्शनी, बैठक को झटका लगा है. इससे पहले राजमार्गो पर शराब को प्रतिबंधित करने से भी उनका कारोबार प्रभावित हुआ था.
होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचआरएडब्ल्यूआई) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि बैठक, सम्मेलन के कार्यक्रम जो पहले से बुक थे, उन्हें बड़े पैमाने पर रद्द कराया गया है और गृह राज्य के बाहर होटलों द्वारा चलाई जानेवाली एमआईसीई गतिविधियों पर GST के तहत इनपुट टैक्स का लाभ नहीं मिलता है.
मोबाइल फोन बाजार पर असर नहीं
देश में साल 2017 में स्मार्टफोन की कुल मांग 23.4 करोड़ डिवाइस की रही, जोकि साल दर साल 11 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. इस पर GST का कोई असर नहीं होनेवाला है. ग्लोबाल मार्केट रिसर्च जीएफके ने ये जानकारी दी. इसमें कहा गया, "भारत में स्मार्टफोन की मांग तेज बनी हुई है और साल 2017 की दूसरी तिमाही में भी इसमें बढ़ोतरी देखने को मिली."
ऑटो, FMCG सेक्टर में कीमतों में कटौती
जीएसटी लागू होने के साथ ही इन कंपनियों ने कीमतों में कटौती की घोषणा कर दी थी.
फोर व्हीलर की इन कंपनियों में कटौती
- मारुति सुजुकी, टोयोटा किर्लोस्कर, JLR और BMW ने कई मॉडलों के दामों में 2,300 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये से अधिक की कटौती की.
- निसान, स्कोडा, इसुजू ने भी कीमतें घटाई हैं.
- टाटा ने कमर्शियल व्हीकल कैटेगरी में 8.2% तक की कटौती की है
टू-व्हीलर्स की इन कंपनियों में कटौती
हीरो मोटो कॉर्प, टीवीएस, बजाज ऑटो जैसी कंपनियां जो टू व्हीलर्स बनाती हैं उन्होंने कीमतों में 350 रुपये से लेकर 8600 तक की कटौती की है.
साबुन शैंपू, हेयर ऑयल सस्ता
हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल), गोदरेज ब्रांड, विप्रो कंज्यूमर केयर सोप मैन्युफैक्चरर्स ने भी अपने प्रॉडक्ट्स की कीमतों में कटौती की है.
जनता से सरोकार:
जेनेरिक दवाओं की किल्लत
कई मीडिया रिपोर्ट्स में एक बात सामने आई की जीएसटी लागू होने के एक महीने के बाद भी जेनरिक दवाओं की कमी दूर नहीं हुई है. सीएनबीसी आवाज की रिपोर्ट के मुताबिक जन औषधि केंद्रों में सर्दी जुकाम तक की दवा नहीं मिल रही है.
हालांकि, इन केंद्रों के लिए दवा उपलब्ध कारने वाली सरकारी कंपनी के मुताबिक दवा की कमी 15 अगस्त तक दूर हो जाएगी.
सैनिटरी नैपकिंस पर केंद्र सरकार को नोटिस
सैनिटरी नैपकिंस से जीएसटी हटाने की मांग करने वाली एक याचिका पर जवाब मांगते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार को 20 जुलाई को नोटिस भेजा है. बता दें कि एक गैर सरकारी संगठन ने सैनिटरी नैपकिन से जीएसटी हटाने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था.
वहीं 21 जुलाई को सरकार ने कहा कि सैनिटरी नैपकिंस पर लगाए गए GST को हटाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है.
सर्वे क्या कहते हैं?
मूडीज (+): भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट अगले 12 से 18 महीने के दौरान 6.5 से 7.5 % के दायरे में रहेगी और GSTआर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढाने में मदद करेगा.
मोर्गन स्टैनली (+): ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टैनली ने 2017 के लिए भारत के बारे में अपना इंफ्लेशन (मुद्रस्फीति) अनुमान घटाकर 3.1% कर दिया है जो पहले 3.6% है. इसके पीछे अहम कारण GST का लागू होना और मानसून का बेहतर रहने की उम्मीद होना है.
नोमूरा (-): जापानी फाइनेंशियल सर्विस फर्म नोमूरा के मुताबिक जून तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट लगभग 6.6 प्रतिशत रहना अनुमानित है. फर्म ने एक अध्ययन में कहा है कि ग्रोथ रेट में तेजी पर कुछ नकारात्मक असर जीएसटी को लेकर पड़ा है.
(इनपुट: IANS, PTI)
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