केंद्र ने सोमवार को बताया कि WPI यानी थोक मुद्रास्फीति (थोक महंगाई) मार्च 2022 में बढ़कर 14.55% हो गई है. पिछले साल मार्च 2021 में यह दर 7.89% थी.
केंद्र ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि, "मार्च 2022 में मुद्रास्फीति (महंगाई) की उच्च दर मुख्य रूप से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, मूल धातुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई है और ग्लोबल सप्लाय चेन में रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष की वजह से हुई है."
आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में थोक महंगाई दर 13.11% पर थी जबकि जनवरी महीने में थोक महंगाई दर 13.68% थी.
थोक महंगाई क्या होती है?
होलसेल प्राइस इंडेक्स या थोक महंगाई इस इंडेक्स से थोक बाजार में सामान की औसत कीमतों में हुए बदलाव का पता चलता है. इस इंडेक्स की मदद से डिमांड और सप्लाय की स्थिति का भी पता चल जाता है.
ध्यान रहे इस इंडेक्स में सर्विस सेक्टर की कीमतों को शामिल नहीं करते हैं. थोक महंगाई को मापने के लिए 2011-12 के साल को बेस ईयर को देखा जाता है. पहले इसे मापने का बेस ईयर 2004-2005 था.
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