पंजाब नेशनल बैंक और रोटोमैक घोटाले सरकार को हर तरफ से जोर का झटका दे रहा है. एक तो घोटाले में बैंकों की करीब 15 हजार करोड़ रकम चली गई. ऊपर से 7 दिनों में सरकारी बैंकों के शेयर गिरने से उसके 30,000 करोड़ रुपए स्वाहा हो गए. यानी गरीबी में गीला आटा.
कैसे हुआ ये नुकसान? 13 फरवरी को जब पंजाब नेशनल बैंक में नीरव मोदी का 11,300 करोड़ रुपए का घोटाला और फिर रोटोमैक घोटाला आने के पहले सरकारी बैंकों में सरकार की कुल हिस्सेदारी की वैल्यू 2.9 लाख करोड़ रुपए थी. लेकिन इसके बाद जो बैंक शेयरों की पिटाई का सिलसिला शुरू हुआ तो रकम साफ होती गई.
शेयर मार्केट से जुड़ी रिसर्च एजेंसी प्राइम डेटा बेस की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 13 फरवरी के बाद से सरकार, इंश्योरेंस कंपनियों और म्युचुअल फंड इंडस्ट्री ने बैंकिंग सेक्टर में जो हिस्सा है उसकी वैल्यू 44 हजार करोड़ रुपए घट गई.
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अभी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के घोटाले का हिसाब चल रहा था कि अगले दिन कानपुर से 3700 करोड़ के घोटाले की खबर आ गई. इसके बाद सरकारी बैंकों के शेयरों जो जमकर धुलाई हुई कि सरकारी बैंकों में सरकार के 2 लाख 90 हजार करोड़ रुपए के शेयरों के दाम घटकर दो लाख 60 हजार करोड़ ही रह गए. यानी वैल्युएशन में 10 परसेंट की गिरावट, कुल नुकसान 30 हजार करोड़ रुपए का.
सरकारी बैंक शेयर गिरने से नुकसान
- म्यूचुअल फंड - करीब 8500 करोड़ रुपए
- इंश्योरेंस कंपनियां - करीब 6500 करोड़ रुपए
- LIC को नुकसान- 6000 करोड़
प्राइम डेटा बेस के मुताबिक इंश्योरेंस सेक्टर की 40 बैंकों में पांच परसेंट से 15 परसेंट तक हिस्सेदारी है. 13 फरवरी के बाद 7 दिनों में लेकिन इसके दाम 6 परसेंट घटकर 1.14 लाख करोड़ रुपए रह गए हैं.
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के बैंक शेयरों के दाम 4 परसेंट गिरकर 1.75 लाख करोड़ रुपए रह गया है.
शेयर बाजार में सबसे बड़ी घरेलू निवेशक संस्था एलआईसी को ही 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है. बैंकिंग सेक्टर में निवेश इसके निवेश की वैल्यू 86,583 करोड़ रुपए से घटकर 80,590 करोड़ रुपए रह गई है.
सबसे ज्यादा घाटे में रही सरकार
देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पीएनबी में सरकार का हिस्सा 57 परसेंट है. 13 फरवरी को इसके दाम 22,400 करोड़ रुपए के आसपास थे, लेकिन घोटाले का ऐसा झटका लगा कि दाम 30 परसेंट साफ हो गए. यानी 7 दिन में 6247 करोड़. अब सरकारी हिस्सेदारी की कीमत सिर्फ 16,117 करोड़ ही रह गई है.
इसी तरह पीएनबी में एलआईसी के हिस्से के दाम 5464 करोड़ से घटकर सिर्फ 3,938 करोड़ रुपए ही रह गए हैं.
नीरव मोदी-गीतांजलि घोटाले के सामने आने के बाद उन सभी बैंकों की शेयर बाजार में पिटाई हुई है जिन बैंकों ने बाजार से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी एलओयू खरीदे थे. स्टेट बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक, आईडीबीआई बैंक, एक्सिस बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक का भी बुरा हाल रहा.
अभी बैंक नीरव मोदी-गीतांजलि घोटाले से संभले भी नहीं थे कि रही सही कसर रोटोमैक घोटाले ने पूरी कर दी. इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ बैंक ऑफ महाराष्ट्र और ओरिएंटल बैंक को भी लपेटे में ले लिया.
बैंक शेयर गिरने से सरकार को नुकसान
- भारतीय स्टेट बैंक- 7%
- यूको बैंक - 9%
- बैंक ऑफ बड़ौदा- 15%
- बैंक ऑफ इंडिया- 14%
स्टेट बैंक में सरकार की हिस्सेदारी के दाम सिर्फ 1.31 लाख करोड़ रुपए ही रह गए हैं. इसी तरह यूको बैंक में 4,057 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा में 19,455 करोड़ और बैंक ऑफ इंडिया में सिर्फ 11,123 करोड़ रुपए ही रह गई है.
लेकिन इन घोटालों से सबसे बड़ा नुकसान हुआ है भरोसे को जो लंबे वक्त में बनता है. इस भरोसे को दोबारा बनाने के लिए सरकार को घोटालों में सख्त कार्रवाई करनी होगी और ऐसे मामले दोबारा ना हों इसके लिए सिस्टम तैयार करना होगा.
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