चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर में एक दूसरे के खिलाफ हमले तेज हो गए हैं. अमेरिका की ओर से 50 अरब डॉलर के चीनी सामानों पर टैरिफ के ऐलान के बाद चीन ने ताबड़तोड़ दो हमले किए हैं. 2 अप्रैल को उसने अमेरिका से आने वाले 3 अरब डॉलर के वाइन, फ्रूट, पोर्क और स्टील पाइप समेत कुछ अन्य आइटमों पर टैरिफ लगा दिया और फिर 4 अप्रैल को ही सोयाबीन, केमिकल और विमानों पर भी टैरिफ का ऐलान कर दिया.
अमेरिका के लिए अब बड़ी चिंता की बात यह है कि चीन अब कहीं उसके ट्रेजरी बांड खरीदना न रोक दे. चीन और अमेरिका के इस कारोबारी झड़प से पूरी दुनिया के शेयर बाजार पर असर दिखा और इससे भारतीय शेयर बाजारों में भी खासी गिरावट दर्ज की गई.
चीन ने कहा था कि वह 128 अमेरिकी आइटमों पर टैरिफ लगाएगा. बुधवार को उसने कहा कि वह सोयाबीन, ऑटोमोबाइल, केमिकल और विमान समेत अमेरिका से आने वाले 50 अरब डॉलर के सामान पर एकस्ट्रा 25 फीसदी लेवी लगाएगा.
अमेरिका ने चीन के 1300 आइटमों पर टैरिफ लगाने की तैयारी कर रखी है. अमेरिकी टैरिफ की जद में ज्यादातर इंडस्ट्रियल मशीनरी और टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट हैं.
डब्ल्यूटीओ में चीन के दूत झांग झियांगचेन ने कहा अमेरिका जान बूझ कर डब्ल्यूटीओ के बुनियादी सिद्धांतों पर हमला कर रहा है. टैरिफ लगा कर वह डब्ल्यूटीओ के गैर भेदभाव वाली नीतिय और टैरिफ नैतिकता का उल्लंघन कर रहा है.
कुछ अमेरिकी अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चीनी सामानों पर अमेरिकी टैरिफ का मकसद चीन की औद्योगिक महत्वाकांक्षा पर लगाम लगाना है. लेकिन यह भी ध्यान रखेगा कि इस टैरिफ का असर उसके अपने उपभोक्ताओं पर न पड़े.
चीन मेड ऑफ चाइना पॉलिसी 2025 के तहत दस ऐसे सेक्टरों पर जोर देगा जो चीन को एक एडवांस मैन्यूफैक्चरिंग ताकत में तब्दील कर दे. चीन इनफॉरेमेशन टेक्नोलॉजी से ले कर रोबोटिक्स और एयरोस्पेस इंडस्ट्री की बड़ी ताकत के तौर पर पर उतरना चाहता है. आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में चीन बड़ा निवेश कर रहा है.
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