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डिजिटल बैंकिंग में 65 दस्तखत और 56 पन्नों के फॉर्म का क्या काम?

ऑनलाइन बैंकिंग  के इस दौर में खाता खुलवाने के लिए लंबी-चौड़ी कागजी कार्यवाही

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डिजिटल और नेट बैंकिंग के इस दौर में भी देश के नामी-गिरामी बैंक पेपर युगमें जी रहे हैं. देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई में भी आपको करंट अकाउंट खुलवाने के लिए 56 पेज के दस्तावेज पर 65 जगह दस्तख्त करने पड़ते हैं. हद तो ये कि आधार लिंकिंग और EKYC के लिए भी पेपर पर सहमति ली जाती है.

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एंटरप्रेन्योर और वेंचर कैपिटलिस्ट संजय स्वामी ने ट्वीट कर बताया है कि किस तरह तीन पार्टनर वाली अपनी फर्म के लिए वे आईसीआईसीआई बैंक के पास करंट अकाउंट खुलवाने के लिए पहुंचे. लेकिन वहां इसके लिए हरेक को 56 पेज के दस्तावेज पर 65 जगह दस्तख्त करने पड़े.

स्वामी बताते हैं कि अकाउंट खोलने के लिए कागजी कार्यवाही के दौरान जो फॉर्म दिया गया उसमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के लिए अकाउंट को आधार लिंक करने पर सहमति देने को कहा गया था. जबकि एप्लीकेशन हमारी कंपनी के लिए करंट अकाउंट खोलने के लिए दिया गया था.

संजय स्वामी का कहना था कि कहां तो उन्हें उम्मीद थी कि बैंक उन्हें कोई मोबाइल एप या वेबसाइट पर डिटेल बताने और डॉक्यूमेंट अपलोड करने के लिए कहेगा लेकन औैर पूरे प्रोसेस के बाद ई-सिग्नेचर की मांग करेगा. लेकिन यहां अभी भी पुराने ढर्रे पर ही काम चल रहा था.

स्वामी कहते हैं कि सरकार बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस के साथ टेलीकॉम सेक्टर में 'कागजबंदी' शुरू करवाए. ज्यादातर पेपर डॉक्यूमेंट्स न तो रखने में सुविधाजनक होते हैं और न ही उन्हें आसानी से खोजा जा सकता है. ज्यादातर बैंक आईटी शॉप्स होते हैं जिसमें एक सीआईओ होता है. उन्हें सॉफ्टवेयर कंपनी बनना जरूरी है जिसमें सीटीओ हो.

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