भारतीय रुपया डॉलर (Dollar vs Rupee) के मुकाबले बुधवार को कमजोर हुआ जब अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंची, जिसकी वजह अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया. दरअसल पहले से ही अमेरिका में मंदी के संकेत और बढ़ती महंगाई निवेशकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है.
रुपया बुधवार को 79.16 पर बंद हुआ. 2022 में डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक 6 फीसदी कमजोर हो चुका है.
ट्रेड डेफिसिट बढ़ने की वजह से भी रुपये पर दबाव पड़ा है. मंगलवार शाम को जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में भारत का व्यापार घाटा (Trade Deficit) 31 अरब डॉलर था, जो जून में 26.18 अरब डॉलर था. फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से वैश्विक स्तर पर सामानों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और परिणामस्वरूप 2022 में व्यापार घाटे में दबाव देखा गया है.
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार ने कहा, “रुपया लगातार चार दिन से फिसल रहा है और एशियाई करेंसी के बीच कमजोर प्रदर्शन कर रहा है. यह सब रिकॉर्ड उच्च व्यापार घाटे की वजह से और डॉलर की मांग के बीच आया है क्योंकि व्यापारी यूएस-चीन तनाव से जुड़े जोखिमों से चिंता में हैं.
पेलोसी की ताइवान यात्रा और इस पर चीन की तीखी प्रतिक्रिया ने दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव पैदा कर दिया है जिसे लेकर चिंताएं और बढ़ गई हैं. इसने बड़े बैंकों को डॉलर खरीदने के लिए प्रेरित किया, यानी विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय संपत्ति की बिक्री की संभावना है.
आईएफए ग्लोबल के सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा कि डॉलर की भारी मात्रा में खरीददारी देखी गई है. रुपये में गिरावट बिकवाली के लिए अवसर है.
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