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जीएसटी का रिवर्स चार्ज सिस्टम और तीन महीने के लिए टला 

रिवर्स चार्ज विक्रेता को नहीं खरीदार को जमा करना पड़ता है

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सरकार ने जीएसटी में टीडीएस (स्रोत पर टैक्स कलेक्शन) और टीसीएस (स्रोत पर टैक्स कलेक्शन) और रिवर्स चार्ज (उल्टी वसूली व्यवस्था- आरसीएम) से जुड़े प्रावधानों पर अमल और तीन महीने के लिए टाल दिया है. सरकार के एक आला अफसर के मुताबिक इन प्रावधानों को लागू करना सितंबर तक के लिए टल गया है. जीएसटी परिषद की 10 मार्च को हुई बैठक में इन प्रावधानों को लागू करना 30 जून तक टालने का फैसला किया था.

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ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए राहत

शीर्ष अधिकारी ने कहा कि राजस्व सचिव की अध्यक्षता वाली जीएसटी कार्यान्वयन समिति ने टीडीएस / टीसीएस के साथ साथ आरसीएम से जुड़े प्रावधानों को तीन महीने और टालने का फैसला किया है. इससे ई-कामर्स प्लेटफार्म कंपनियों को राहत की सांस मिली होगी क्योंकि उन्हें इन प्रावधानों के सामान की सप्लायर कंपनियों से बिक्री स्रोत पर एक फीसदी की दर से टीसीएस काट कर जमा करना पड़ेगा.

जीएसटी 1, जुलाई 2017 को लागू हुआ था लेकिन इसमें रिवर्स चार्ज और टीसीएस / टीडीएस जैसे कुछ प्रावधानों पर अमल को रोक रखा गया है. रिवर्स चार्ज व्यवस्था के तहत एक रजिस्टर्ड डीलर को किसी गैर रजिस्टर्ड डीलर से माल खरीदने टैक्स खुद भरना होगा.

क्या है जीएसटी में रिवर्स चार्ज प्रावधान

रिवर्स चार्ज में टैक्स पेमेंट वस्तु और सेवा का सप्लायर नहीं बल्कि इसे हासिल करने वाला अदा करता है. मान लीजिये मोहन ने सोहन को एक लाख का गुड्स बेचा. जीएसटी के सामान्य के प्रावधान के मुताबिक मोहन, सोहन से जीएसटी लेगा और सरकार को अदा करेगा. अगर रिवर्स चार्ज लागू होता तो सोहन, मोहन को टैक्स देने के बजाय सीधे सरकार को देता.

रिवर्स चार्ज सिस्टम में जो व्यक्ति सामान या सेवा खरीदता है यानी उसके पास ही जीएसटी वसूलने की जिम्मेदारी होती है. जबकि, सामान्य प्रक्रिया में खरीदार जीएसटी नहीं वसूल सकता. सामान या सेवा खरीदने वाले की ही सरकार के पास जीएसटी जमा करने की भी जिम्मेदारी होती है. जबकि सामान्य प्रक्रिया में जीएसटी जमा करने की जिम्मेदारी विक्रेता की होती है. यह वजह है कि ऐसे मामलों में अपनाई गई टैक्स वसूली की उल्टी प्रक्रिया को ”रिवर्स चार्ज” का नाम दिया गया है.

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