ADVERTISEMENTREMOVE AD

ग्रोथ पर संकट बरकरार,बिजनेस सेंटिमेंट तीन साल की तलहटी पर 

भारत में कैपिटल इनवेस्टमेंट कॉन्फिडेंस बेहद कमजोर है

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

धीमी इकनॉमिक ग्रोथ, जल संकट और रेगुलेटरी अड़चनों की वजह से देश में जून महीने के दौरान बिजनेस सेंटिमेंट तलहटी में पहुंच गया. 2016 के बाद यह बिजनेस सेंटिमेंट में गिरावट का सबसे निचला स्तर है. रिसर्च फर्म IHS Markit की एक रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
IHS Markit की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी में प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों का आउटपुट ग्रोथ +18 फीसदी था लेकिन जून में यह गिर कर +15 फीसदी पर पहुंच गया. यह लेवल तीन साल पहले आया था. हालांकि 2009 में ये डेटा उपलब्ध होने के बाद से ये न्यूनतम स्तर है.

कई मोर्चों पर चिंतित है कंपनियां

हालांकि IHS Markit के प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि सरकार की बिजनेस समर्थक नीतियों और बेहतर फाइनेंशियल फ्लो से इस साल उत्पादन और मुनाफा में इजाफा जारी रह सकता है. कंपनियां अतिरिक्त बहालियों का प्लान कर रही हैं लेकिन कंपनियों की ओर से खर्च के दूसरे मोर्चे लेकर सेंटिमेंट कमजोर है.

भारत में कैपिटल इनवेस्टमेंट कॉन्फिडेंस बेहद कमजोर है
बजट में निवेशकों पर टैक्स बढ़ाने के प्रावधानों से उद्योग जगत में निराशा है
फोटो :  रॉयटर्स 
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कैपिटल इनवेस्टमेंट कॉन्फिडेंस सबसे कमजोर

रॉयटर्स की खबर के मुताबिक रिपोर्ट में जिन देशों के तुलनात्मक आंकड़े मौजूद हैं उनमें भारत में कैपिटल इनवेस्टमेंट कॉन्फिडेंस सबसे कमजोर है. सिर्फ चीन और यूके इससे पीछे हैं. रिसर्च और डेवलपमेंट में उम्मीद के मामले में यह औसत से नीचे है.

भारत ने इस बार अपनी इकनॉमी में 7 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज करने का अनुमान लगाया है. पिछले वित्त वर्ष में इसकी ग्रोथ 6.8 फीसदी रही थी जो पांच साल में सबसे कम थी. देश के सामने ग्रोथ को लेकर सबसे बड़ी चुनौती राजकोषीय घाटे को काबू करने की है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इसके अलावा देश मानसून की बारिश की कमी का सामना कर रहा है. इससे खरीफ सीजन के फसल उत्पादन में गिरावट की आशंका जताई जा रही है. देश में 55 फीसदी खेती मानसून पर निर्भर है. सर्वे में कहा गया है कंपनियां रुपये में गिरावट को लेकर भी आशंकित हैं. इससे उनका आयात महंगा हो सकता है. स्किल्ड लेबर की कमी, टैक्स में बढ़ोतरी, वित्तीय दिक्कतें और कस्टमर की ओर से छूट की मांग भी कंपनियों का विश्वास कम कर रही हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×