ह्यूस्टन में नरेंद्र मोदी का जबरदस्त समर्थन करने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी कंपनियों के लिए रियायत हासिल करने पर अड़े हुए हैं. मोदी की इस यात्रा में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी साथ थे. उम्मीद लगाई जा रही थी कि दोनों देश टैरिफ और दूसरे मतभेदों को सुलझा कर किसी ट्रेड डील का ऐलान करेंगे. लेकिन ट्रंप के इस तरह के ऐलान के बावजूद ऐसी किसी डील का ऐलान नहीं हुआ.
कई चीजों से टैरिफ हटवाना चाहता था अमेरिका
विदेश सचिव विजय गोखले ने तो इस बारे में खुल कर ज्यादा कुछ नहीं कहा लेकिन ‘द हिंदू’ ने दोनों देशों के बीच कारोबारी सौदों की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से अहम जानकारी दी है. अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका अपने ICT ( इनफॉरमेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी) प्रोडक्ट्स के लिए भारत से 20 फीसदी का टैरिफ हटवाना चाहता था. लेकिन भारत को डर था इससे भारतीय बाजार में चाइनीज टेक्नोलॉजी की बाढ़ आ जाएगी. अमेरिका भारत में अपने स्टेंट, घुटने में इस्तेमाल होने वाले इंप्लांट्स, डेयरी प्रोडक्ट और कुछ एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट के लिए ज्यादा मार्केट एक्सेस चाहता था.
भारत की ओर से GSP के तहत अपना पुराना दर्जा बरकरार रखने की मांग
दूसरी ओर भारत GSP के तहत अमेरिकी मार्केट में अपनी पहुंच की सुविधा की पुनर्बहाली चाहता था. अमेरिका ने इस साल जुलाई में इस व्यवस्था के तहत भारत को मिलने वाली सुविधाएं खत्म कर दी थीं. इसके साथ ही भारत अपने कुछ एग्रीकल्चर प्रोडक्ट मसलन अंगूर, अनार जैसे फलों के लिए ज्यादा मार्केट एक्सेस की मांग कर रहा था.
विदेश सचिव गोखले ने मतभेदों को दूर करने की उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा कि दोनों ओर से बातचीत के बाद सीमित ट्रेड पैकेज का ऐलान भले ही नहीं हो पाया हो लेकिन मतभेदों को दूर करने में काफी हद तक मदद मिली है.
मोदी और ट्रंप के बीच ट्रेड और टेररिज्म पर पर 40 मिनट तक बातचीत हुई. मोदी के साथ 13 सदस्यीय दल था. इसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, विदेश सचिव विजय गोखले और अमेरिका में भारत के राजदूत हर्ष सिंगला शामिल थे.
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