पिछले साल भारतीयों की औसत आय छह साल में सबसे कम रफ्तार से बढ़ी जबकि इकोनॉमी की रफ्तार अच्छी रही और महंगाई कम रही.
मार्च 2018 में खत्म हुए वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान भारतीयों की औसत या प्रति व्यक्ति 1,12, 835 रुपये थी. जबकि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान भारतीयों की औसत आय 1, 03,870 रुपये थी. सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्यवन मंत्रालय के मुताबिक यह बढ़ोतरी 8.6 फीसदी रही जो छह साल की सबसे धीमी गति रही.
प्रति व्यक्ति याऔसत आय मौजूदा कीमतों पर प्रति व्यक्ति की शुद्ध राष्ट्रीय से गणना कर निकाली जातीहै. यह इकोनॉमी की ग्रोथ और महंगाई दोनों से प्रभावित होती है.
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर अर्जुन जयदेव कहते हैं कि 2012-13 और 2013-14 में प्रत व्यक्ति आय में जो इजाफा हुआ उसमे काफी हद तक कम महंगाई का हाथ रहा. इन वर्षों के दौरान खुदरा महंगाई दर क्रमशः 10.2 और 9.5 फीसदी रही. इससे प्रति व्यक्ति आमदनी में इजाफा हुआ. निरंतर कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय चार साल में सबसे कम रही.
प्रति व्यक्ति आयमें भारत का रैंक काफी नीचे है. आईएमएफ की 2017 की रिपोर्ट के रैंकिंग के मुताबिक200 देशों की सूची में भारत की रैकिंग 126वीं है.
आईजीआईडीआर में प्रोफेसर श्रीजीत मिश्रा ने कहा कि कमजोर आर्थिक विकास, रोजगार सघन सेक्टर में नौकरियों की कमी की वजह से गरीबी कम नहीं हो रही है. 2016-17 की तुलना में 2017-18 के दौरान कृषि, खनन और खदान सेक्टर में विकास दर कम रही.
वर्ल्ड बैंक की असमानता रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जैसे आर्थिक पावरहाउस धीमी गति से प्रगति क रहे हैं. ग्रोथ रेट में उतार-चढ़ाव जारी है. 2016 में जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिए विकास दर निरंतर बढ़नी चाहिए ताकि लोगों का जीवनस्तर में लगातार सुधार हो.
इनपुट - ब्लूमबर्ग क्विंट
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