दूरसंचार मंत्रालय (डॉट) ने रिलायंस जियो इन्फोकॉम के कार्टेलाइजेशन के आरोप पर भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया पर ट्राई के 3050 करोड़ रुपये के जुर्माने का समर्थन किया है. मामला 2016 का है जब मोबाइल बिजनेस में नई आई रिलांयस जियो को इंटर-कनेक्शन देने से इनकार करने पर ट्राई ने भारती एयरटेल और वोडाफोन पर 3050 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.
जुर्माने पर DOT की राय पर फैसला इस सप्ताह
भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया पर जुर्माने में डॉट की राय पर डिजिटल कम्यूनिकेशंस कमीशन में इस सप्ताह विचार होगा. यह दूरसंचार मंत्रालय में फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था है.मेंबर टेक्नोलॉजी, शिव शंकर सिंह ने कहा कि इस मामले में लाइसेंस प्रोविजन और सर्विस क्वालिटी के नियमों का उल्लंघन हुआ था. इसलिए ट्राई का जुर्माना लगाने का फैसला सही है. डॉट इस कार्रवाई को मंजूरी दे सकता है.
फैसले पर टेलीकॉम इंडस्ट्री की निगाह
डीसीसी की ओर से इस मामले में फैसला लेने के बाद तीन साल पुराने इस विवाद का अंत हो सकता है. विवाद की शुरुआत सितंबर 2016 में रिलायंस जियो के कॉमर्शियल सर्विसेज शुरू करने के बाद हुई थी. जियो ने आरोप लगाया था कि पुरानी टेलीकॉम कंपनियां - भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया उसे पर्याप्त प्वाइंट्स ऑफ इंटरकनेक्शन यानी POI नहीं दे रही थीं. इससे उसके नेटवर्क पर 75 फीसदी कॉल फेल हो रहे थे. इसका उसकी सर्विस पर असर पड़ रहा था. प्वाइंट्स ऑफ इंटरकनेक्शन पर एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर कॉल ट्रांसफर होती है.
अगर इस सप्ताह पेनाल्टी लगाने के फैसले को मंजूरी मिल जाती है तो देश में टेलीकॉम इतिहास के सबसे विवादास्पद मुद्दे का अंत हो जाएगा.इस विवाद की वजह से टेलीकॉम उद्योग दो हिस्सों में बंट गया था. एक ओर भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया सेल्यूलर जैसी कंपनियां हैं तो दूसरी ओर रिलायंस जियो जैसी नई कंपनी. पिछले दिनों टेलीकॉम कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने इस मामले में ट्राई पर पक्षपात का आरोप लगाया था और सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी.
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