मोदी सरकार रिजर्व बैंक पर और कड़ी निगरानी रखने का इरादा संजोये हुए है. सरकार इस संबंध नियमों को बदलने की कोशिश में है. इसके तहत सरकार आरबीआई बोर्ड को ज्यादा ताकतवर बना सकती है, जिसमें इसकी ओर से नॉमिनेटेड सदस्य हैं. इस मामले की जानकारी रखने वालों लोगों ने यह खुलासा किया है.
निगरानी के नियम बना सकता है आरबीआई बोर्ड
सरकार ने पेशकश की है कि आरबीआई बोर्ड ऐसे नियम बनाए जिससे फाइनेंशियल स्टेबिलिटी, मॉनेटरी पॉलिसी और विदेशी मुद्रा प्रबंधन से जुड़े कामकाज पर निगरानी के लिए पैनल बनाए जा सकें. इस तरह सरकार का इरादा रिजर्व बैंक को बोर्ड को ताकतवर बनाना है.
सरकार जिन सिफारिशों पर विचार कर रही है उनमें आरबीआई के दो या तीन बोर्ड मेंबरों की कमेटियां बनाना शामिल है. आरबीआई बोर्ड को आरबीआई एक्ट की धारा 58 के तहत नियम बनाने का अधिकार है. इसके लिए संसद की मंजूरी जरूरी नहीं है.
याद रहे कि आरबीआई बोर्ड में सरकार के नॉमिनेटेड सदस्य हैं. बोर्ड के पास आरबीआई की निगरानी की ताकत है. कें सरकार की ओर से नई पेशकश से आरबीआई और सरकार के बीच तनाव और बढ़ सकता है. पिछले कुछ वक्त से सरकार और केंद्रीय बैंक के अधिकारों के लेकर भारी तनातनी चल रही है. द्रीय बैंक के रिजर्व बैंक के बोर्ड की बैठक 19 नवंबर को हो रही है.
आरबीआई बोर्ड बैठक में मुद्दे
- सरप्लस फंड के ट्रांसफर पर चर्चा
- डूबे हुए कर्ज से जुड़े नियमों को नरम करने पर बात हो सकती है
- एनबीएफसी के लिए लिक्विडिटी बढ़ाने की जरूरत पर चर्चा
सरकार और आरबीआई में तनातनी जारी
सरकार का कहना है कि आरबीआई देश में इकनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने की इसकी कोशिश में मदद नहीं कर रहा है. जबकि आरबीआई का कहना है कि अगर इसने सरकार को सरप्लस ट्रांसफर किया तो इसकी आजादी को चोट पहुंचेगी और इससे बाजार को भारी नुकसान पहुंचेगा.
बहरहाल, आला अफसरों को सरकार की इस कोशिश के बारे में फोन करके पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. जबकि आरबीआई की ओर से कोई भी फिलहाल बयान देने के लिए तैयार नहीं था.
इनपुट : ब्लूमबर्गक्विंट
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