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बजट 2018ः जेटली की पोटली से रियल एस्टेट को नए तोहफों की उम्मीद

बाकी क्षेत्रों की तरह देश के रियल एस्टेट की भी वित्तमंत्री के बजट के पिटारे से नई घोषणाओं की उम्मीद है.

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वित्तमंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगे और बाकी क्षेत्रों की तरह देश के रियल एस्टेट की भी वित्तमंत्री के बजट के पिटारे से नई घोषणाओं की उम्मीद है. नोटबंदी के प्रभावों और रियल एस्टेट कानून 2016 के प्रावधान को लागू किए जाने से रियल एस्टेट सेक्टर अभी तक पूरी तरह उबरा नहीं है. ऐसे में कारोबार का यह क्षेत्र नए बजट से नई उम्मीदें लगाए बैठा है.

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टैक्स प्रणाली आसान बनाने की उम्मीद

कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवेलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष अमित मोदी का मानना है कि 2017 की आखिरी तिमाही रियल एस्टेट के लिए उत्साहजनक रही है. साथ ही 2018 में इस क्षेत्र में मांग बढ़ने की उम्मीद है. उन्हें उम्मीद है कि बजट-2018 इस क्षेत्र के लिए अधिक सहूलियत, निवेश और टैक्स प्रणाली में सुधार जैसी कुछ बड़ी घोषणाएं लेकर आएगा.

सिंगल विंडो क्लियरेंस की जरूरत

रियल एस्टेट डेवलपर्स लंबे समय से आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए सिंगल-विंडो क्लियरेंस की मांग कर रहे हैं. फिलहाल इसके अभाव में डेवलपर्स को कई तरह के अनुमोदन और मंजूरियां लेनी होती हैं. उन्हें कई नौकशाहों के विभागों में चक्कर लगाने पड़ते हैं, जिससे परियोजना को शुरू होने में 18 से 36 महीने का समय लग जाता है.

इसे आसान बनाने के लिए सिंगल वीडियो क्लियरेंस सिस्टम लागू करनी चाहिए, ताकि प्रोजेक्ट की डिलीवरी समय पर दी जा सके. इस क्षेत्र में निर्माण कार्य की गति और लागत भी महत्वपूर्ण है जो एक घर की उचित कीमत तथा परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता को सुनिश्चित करते हैं.

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जीसएटी दर कम करने की उम्मीद

नोटबंदी के सालभर बाद रियल एस्टेट किफायती आवास श्रेणी के दायरे को बढ़ाए जाने और इस क्षेत्र पर एक अप्रैल से लागू हो रही जीएसटी की मौजूदा दर को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी किए जाने की उम्मीद कर रहा है.

इसके साथ ही घर की कीमत में भूमि की कीमत की छूट को 33 फीसदी से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग है. देशभर के रियल एस्टेट डेवलपर्स आईटी अधिनियम 1961 की धारा 80 आईए के तहत ‘इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटी’ की परिभाषा में भी बदलाव की मांग कर रहे हैं.
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हाउसिंग सेक्टर को इंफास्ट्रक्चर का दर्जा

द इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन फाउंड्रीमैन (आईआईएफ) के डायरेक्टर ए के आनंद ने कहा, "हम रियल एस्टेट डेवलपर्स आवास क्षेत्र यानी हाउसिंग सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं. साथ ही हम चाहते हैं कि निर्माणाधीन संपत्ति पर भी जीएसटी दर कम हो." उन्होंने कहा-

“सरकार को पहली बार घर खरीदने वाले उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए पांच लाख रुपये तक के होम लोन पर टैक्स कटौती की सीमा बढ़ानी चाहिए. फिलहास यह सीमा दो लाख रुपये सालाना है. इसी तरह की छूट 1 लाख रुपये लोन के पुनर्भुगतान पर भी मिलनी चाहिए.”

मिले इंडस्ट्री का दर्जा

इस क्षेत्र से जुड़े लोग लंबे समय से रियल रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं. ऐसा होने से बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों से आर्थिक मदद मिलने में आसानी होगी. उद्योग का दर्जा मिलने से कम लागत पर ऋण मिलेगा, जिसका फायदा उपभोक्ता को होगा.

(इनपुट: IANS)

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