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बाजार को कैसे खुश कर सकता है बजट 2018, एक्‍सपर्ट से समझ‍िए

बजट के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों को समझना बहुत जरूरी है.

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इस साल 1 फरवरी को आने वाला बजट कैसा होगा? सरकार के लिए सबसे जरूरी बात क्या है, इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाह रहा है, ब्लूमबर्ग क्विंट के मार्केट एडिटर नीरज शाह ने इसे आसान भाषा में समझाया है.

नीरज शाह बताते हैं कि बजट के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों को समझना बहुत जरूरी है. एक फिस्कल डेफिसिट और दूसरा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG).

बढ़ सकता है वित्तीय घाटा

फिस्कल डेफिसिट पिछले साल 2017 में जीडीपी का 3.2 फीसदी था, जबकि इस बार सरकार फिस्कल डेफिसिट बढ़ाकर जीडीपी का 3.5 फीसदी तक ले जा सकती है. लेकिन अगर इससे ऊपर चला गया, तो मार्केट को पसंद नहीं आएगा. तब मार्केट ये समझ जाएगा कि सरकार का नुकसान बढ़ रहा है.

क्या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगेगा?

हर साल मार्केट में एक मुद्दा ये भी बनता है कि क्या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) लगेगा? लोग बात करते हैं कि अगर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स आ गया, तो क्या शेयर मार्केट का क्या होगा, क्या मार्केट गिर जाएगा?

नीरज शाह बताते हैं कि मार्केट के लिए ये जरूरी है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स न आए. टैक्स सिस्टम को बदला नहीं जाना चाहिए, इससे मार्केट में कॉन्फिडेंस बढ़ेगा. मार्केट चाहता है कि सरकार को बजट में कोई फालतू खर्चा नहीं करना चाहिए. अगर बजट मार्केट की पसंद के मुताबिक नहीं हुआ, तो शेयर बाजार गिर भी सकता है.

म्‍यूचुअल फंड्स में बढ़ा निवेश

नोटबंदी के बाद छोटे निवेशकों को काफी फायदा हुआ है, क्योंकि पिछले एक साल में म्‍यूचुअल फंड्स में खूब निवेश किया गया है और आगे भी इसमें निवेश बढ़ाने की जरूरत है.

जिन लोगों को शेयर मार्केट की समझ नहीं है, वो लोग म्‍यूचुअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं. इससे पैसा एक ऐसे व्यक्ति के जरिए बाजार में जा रहा है, जिसे शेयर मार्केट की समझ है.

नीरज शाह बताते हैं कि म्‍यूचुअल फंड्स में निवेश को और ज्यादा प्रोत्साहन देने के लिए सरकार को टैक्स स्लैब बढ़ाना चाहिए. इससे छोटे निवेशकों को राहत मिलेगी. वो म्‍यूचुअल फंड्स और मार्केट में ज्यादा निवेश कर पाएंगे.

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