रिलायंस इंडस्ट्रीज के चीफ मुकेश अंबानी बड़े पैमाने पर अपने ग्रुप को रिटेल इंडस्ट्री में उतारने की योजना बना रहे हैं.रिलायंस इंडस्ट्रीज के ऑनलाइन रिटेल बाजार में आने से डिजिटल स्टोरों की संख्या 15 हजार से बढ़कर 2023 तक 50 लाख से अधिक हो जाएगी. इन स्टोरों में 90 फीसदी किराना दुकानें हैं.
सबसे बड़ा ऑनलाइन-टु-ऑफलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की तैयारी
रिलायंस ग्रुप सबसे बड़ा ऑनलाइन-टु-ऑफलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म तैयार करना चाहता है. जियो किराना दुकानों को पीओएस के जरिए अपने 4G नेटवर्क से जोड़ने का मौका तलाश रही है. इसका इस्तेमाल कंज्यूमर तक डिलीवरी के लिए होगा. इस कैटेगरी में वह स्नैपबिज, नुक्कड़ शॉप्स और गोफ्रुगल जैसी कंपनियों को टक्कर देगी.
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का रिटेल बाजार करीब 700 अरब डॉलर का है और इनमें 90 प्रतिशत हिस्सेदारी असंगठित क्षेत्र की है. असंगठित क्षेत्र में ज्यादातर मोहल्लों की किराना दुकानों की हिस्सेदारी है.
ये किराना स्टोर आज की रिटेल इंडस्ट्री के साथ कदम मिलाने के लिए खुद को डिजिटली तैयार करना चाहते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है मॉडर्न ट्रेड और ई-कॉमर्स की बढ़ती प्रतिस्पर्धा में वो खुद को तैयार करना चाहते हैं. जीएसटी लागू होने से भी इसे गति मिली है और मॉर्डनाइजेशन का दबाव बढ़ा है.
सस्ता POS बनेगा गेमचेंजर
रिपोर्ट में कहा गया कि रिलांयस सिर्फ तीन हजार रुपये में मोबाइल पॉइंट ऑफ सेल मशीनें दे रही है. जबकि स्नैपबिज इसके लिए 50 हजार रुपये लेती है. नुक्कड़ शॉप्स की मशीनें 30 हजार रुपये से 55 हजार रुपये में मिलती हैं, जबकि गोफ्रुगल के लिए 15 हजार रुपये से एक लाख रुपये का पेमेंट करना होता है. ऐसे में रिलायंस का POS गेमचेंजर साबित हो सकता है.
रिपोर्ट का अनुमान है कि रिलायंस के आने से रिटेल दुकानों को डिजिटाइज करने की रफ्तार काफी तेज हो जाएगी क्योंकि पॉइंट ऑफ सेल मशीनों की लागत काफी कम हो जाएगी. कुल मिलाकर रिलायंस अभी के 15 हजार डिजिटल स्टोर की संख्या 2023 तक बढ़ाकर 50 लाख के पार कर देगी.
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