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बदहाल है टर्किश लीरा लेकिन रुपया इतना क्यों गिरा?

तुर्की की अर्थव्यवस्था इन दिनों बेहद लड़खड़ाई हुई है, इसका असर रुपये पर पड़ा है

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हाल के उथलपुथल से उबर कर रुपया थोड़ा स्थिर हुआ था लेकिन तुर्की की मुद्रा लीरा यानी टर्किश लीरा समेत उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करंसी में गिरावट से इसकी कीमत गिर कर अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई. सोमवार को रुपये के मूल्य में 1.48 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 69.86 रुपये के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया.

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तुर्की-अमेरिकी रिश्तों में कड़वाहट का नतीजा ?

रुपये में इस भारी गिरावट में सबसे ज्यादा हाथ तुर्की की मुद्रा लीरा की है. बाजार के कॉन्फिडेंस को इसने हिला कर रख दिया है. शुक्रवार को तुर्की से धातुओं के आयात पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से तुर्की के स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर टैरिफ दोगुना बढ़ाने को को मंजूरी मिलने के बाद ही तुर्की की मुद्रा लीरा में 20 फीसदी की गिरावट आ गई.

तुर्की की अर्थव्यवस्था इन दिनों बेहद लड़खड़ाई हुई है. साथ ही अमेरिका के साथ इसके खराब रिश्ते ही इकनॉमी को मुश्किल में डाले हुए है. तुर्की भारी कर्ज के बोझ से दबा है. चालू खाते का घाटा जीडीपी के 5 फीसदी तक पहुंच चुका है. तुर्की में महंगाई दर 15.9 फीसदी पहुंच चुकी है.

तुर्की के राष्ट्रपति रेसिफ एर्दोगॉन से अमेरिकी डॉलर बेच कर लीरा और सोना खरीदने की अपील की ताकि राष्ट्रीय संकट से निपटा जा सके. उन्होंने कहा कि लीरा में यह गिरावट इसकी अर्थव्यवस्था की वजह से नहीं आई है. बल्कि यह तुर्की के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन का नतीजा है. उनका इशारा अमेरिका की ओर था.

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दरअसल अमेरिका के एक पादरी को तुर्की हिरासत में रखे हुए है. इसे छोड़ने पर अमेरिका के साथ उसकी बातचीत में कोई प्रगति नहीं हुई है. अमेरिका के साथ रिश्तों में इस कड़वाहट का असर तुर्की पर पड़ रहा है. रिश्तों में इस कड़वाहट की वजह से अमेरिका ने तुर्की से आने वाले स्टील और एल्यूमीनियम टैरिफ दोगुना कर दिया है.

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