किसी कंपनी के हेडक्वार्टर की ओर से दूसरे राज्यों में स्थित उसकी शाखाओं को दी जाने वाली अकाउंटिंग, आईटी, एचआर जैसी सेवाओं के लिए दिए जाने वाले वेतन पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा. एडवांस रूलिंग अथॉरिटी (एएआर) की कर्नाटक बेंच की ओर से जारी आदेश के मुताबिक दो कार्यालयों के बीच इस तरह की गतिविधियां जीएसटी कानून के तहत आपूर्ति मानी जाएगी.
एएआर ने कहा, ‘‘अकाउंटिंग, अन्य प्रशासनिक और आईटी प्रणाली के रखरखाव के संदर्भ में कॉरपोरेट दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारी अन्य राज्यों में स्थित शाखाओं के लिए जो काम करते हैं, उन पर केंद्रीय माल एवं सेवा कर कानून 2017 (सीजीएसटी कानून) की धारा 25 (4) के तहत सीजीएसटी कानून की अनुसूची एक की प्रविष्टि दो के अंतर्गत आपूर्ति माना जाएगा.’’
इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल सकता है
विशेषज्ञों के मुताबिक इस व्यवस्था का मतलब है कि जिन कंपनियों के विभिन्न राज्यों में कार्यालय हैं, उन्हें मुख्य कार्यालय में कर्मचारियों की ओर से अन्य राज्यों में स्थित शाखाओं को कामकाज में मदद के एवज में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) वसूलना होगा. हालांकि, ऐसी आपूर्ति पर लिए जाने वाले जीएसटी के सदर्भ में ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट' (आईटीसी) का दावा किया जा सकता है.
जिन कंपनियों को जीएसटी से छूट है, वे ‘क्रेडिट’ का दावा नहीं कर पाएंगी. साथ ही इससे कंपनियों का अनुपालन बोझ बढ़ेगा क्योंकि उन्हें अंतर-राज्यीय सेवाओं के लिये इनवॉयस बनाना होगा. एएमआरजी एंड एसोसिएट्स पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि इस तरह से सेवाओं की आपूर्ति पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा.
यह देश भर में काम करने वाली कंपनियों के लिए झटका है. उनके मुताबिक दिए गए जीएसटी पर कर क्रेडिट मिलेगा. हालांकि, शिक्षा, अस्पताल, एल्कोहल और पेट्रोलियम जैसे क्षेत्र को जीएसटी से छूट प्राप्त है.
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