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आखिर डीजल गाड़ियों की बिक्री में क्यों आ रही है बेतहाशा गिरावट?

डीजल कार की कीमतों में लगातार गिरावट क्यों आ रही है?

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5 साल पहले तक देश में बिकने वाली हर दो में से एक कार डीजल वाली होती थी. अब ये आंकड़ा घटकर आधा हो गया है. यानी बिकने वाली हर 4 में से एक कार ही डीजल की है. डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के मुताबिक, ये ट्रेंड सेडान, कॉम्पेक्ट और एसयूवी, हर सेग्मेंट की गाड़ियों के लिए है.

डीजल गाड़ियों की बिक्री में आई गिरावट के कई कारण हैं. इनमें सबसे अहम है डीजल के कीमतों में आई बेतहाशा बढ़ोतरी.

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2012 से 2018 में ऐसे बदले आंकड़े

एक उदाहरण लेते हैं. 16 अप्रैल 2013 को दिल्ली में डीजल की कीमत थी 48.67 रुपये, वहीं पेट्रोल की कीमत थी 66.09 रुपये. यानी डीजल, पेट्रोल की कीमत में 17.42 रुपये का अंतर था.

अब 5 साल बाद यानी आज के हालात के मुताबिक, दिल्ली में पेट्रोल की कीमत है 76.87 रुपये और डीजल की कीमत है 68.08 रुपये. यानी दोनों के बीच का अंतर घटकर 8.79 रुपया ही रह गया है.

  • 2013 में डीजल-पेट्रोल के दाम में अंतर= 17.42 रुपये
  • 2018 में डीजल-पेट्रोल के दाम में अंतर= 8.79 रुपये

कीमतों में कुल अंतर इन 5 साल में आधा हो गया है. अब इन्हीं सालों के बीच सियाम के आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि जहां 2012-13 के बीच कुल बिकने वाली गाड़ियों में 47 फीसदी डीजल वाली होती थीं, वो 2017-18 में घटकर 23 फीसदी पर आ गई हैं. ये गिरावट भी तकरीबन आधी ही है.

ज्यादा दाम देकर कम फायदा!

किसी कंपनी की डीजल गाड़ियां उसके पेट्रोल वर्जन से करीब 1-1.5 लाख महंगी होती हैं. पहले जब डीजल और पेट्रोल के दाम में ज्यादा अंतर था, लोग कुछ पैसे ज्यादा देकर भी डीजल गाड़ियों को किफायती मानते थे. लेकिन अब ये डीजल की बढ़ती कीमतों को देखकर मूड बदला है और मांग में भारी कमी आई है.

डीजल कार पर बैन का खतरा?

प्रदूषण को लेकर सरकार सतर्क है. साल 2020 तक देशभर में BS-VI स्टैंडर्ड लागू करने का फैसला सरकार ने लिया है. जानकारों का मानना है कि इस शिफ्टिंग में सबसे ज्यादा असर छोटी डीजल कारों की कीमत पर पड़ सकता है.

बताया जा रहा है कि डीजल कारों की कीमत 50 हजार से 1 लाख तक बढ़ सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि BS-VI लेवल के डीजल पार्टिकुलेट फिल्टर (DPF) की कीमत तकरीबन 1 लाख है. जाहिर है कि कीमतें बढ़ेंगी, तो आगे डीजल कार की मांग और घट सकती है. ऐसे में ऑटोमोबाइल कंपनियां भी पेट्रोल कार की तरफ शिफ्ट कर रही हैं.

बता दें कि फिलहाल दिल्ली में डीजल कार का इस्तेमाल 10 साल तक हो सकता है, वहीं पेट्रोल कार 15 साल तक इस्तेमाल कर सकते हैं.

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