देश में सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तीन तिमाही के बाद पहली बार मुनाफे में लौट आया है. वन टाइम गेन और प्रॉविजन कम करने की वजह से बैंक को मुनाफा हुआ है.
हालांकि मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के नेट प्रॉफिट में पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही की तुलना में 40 फीसदी की गिरावट आई है यह 945 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल जानकारी में यह कहा है. हालांकि 945 करोड़ रुपये का यह प्रॉफिट ब्लूमबर्ग विश्लेषकों के 775 करोड़ रुपये प्रॉफिट अनुमान से ज्यादा है.
नेट प्रॉफिट में भारी गिरावट
भारतीय स्टेट बैंक के दूसरी तिमाही शुद्ध लाभ में भारी गिरावट दर्ज की गई. देश के सबसे बड़े बैंक ने सोमवार को कहा कि 30 सितंबर को समाप्त दूसरी तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 69 फीसदी घट कर 576.46 करोड़ रुपये रह गया. पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में बैंक का नेट प्रॉफिट 1,840.43 करोड़ रुपये रहा था. इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में फंसे कर्ज के लिए अधिक प्रावधान की वजह से बैंक को 4,875.85 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ.
पिछले साल की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 9.83 फीसदी पर था. इस दूसरी तिमाही में शुद्ध एनपीए शुद्ध कर्ज का 4.84 फीसदी रहा. इस साल जुलाई से सितंबर मध्य तक स्टैंड अलोन आधार पर बैंक का शुद्ध लाभ 944.87 करोड़ रुपये रहा. पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 1,581.55 करोड़ रुपये रहा था.
बैंक के एनपीए में इजाफा
भारतीय स्टेट बैंक ने कहा है कि इस अवधि में उसकी कुल कंसोलिडेटेड इनकम 79,302.72 करोड़ रुपये रही. पिछले साल इसी अवधि में बैंक की कुल इनकम 74,948.51 करोड़ रुपये रही थी. 30 सितंबर, 2018 को खत्म हुई तिमाही में बैंक की एनपीए बढ़ कर कुल ऋण की 9.95फीसदी रहा. पिछले साल की इस अवधि में यह आंकड़ा 9.83 फीसदी पर था.
मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह शुद्ध एनपीए शुद्ध कर्ज का 4.84 फीसदी रहा. इस साल जुलाई से सितंबर मध्य एकल आधार पर बैंक का शुद्ध लाभ 944.87 करोड़ रुपये रहा. पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 1,581.55 करोड़ रुपये रहा था.
IL&FS के डिफॉल्ट से बढ़ी चिंता
नतीजे जारी करने के बाद एसबीआई के एमडी और सीईओ रजनीश कुमार ने कहा किआईएलएंडएफएस ग्रुप में एसबीआई का 250 करोड़ रुपये लगा हुआ है, जो हिस्सेदारी के रूप में हैं.उन्होंने कहा, ‘आईएलएंडएफएस की 6 फीसदी हिस्सेदारी बैंक के पास है. आईएलएंडएफएस के डिफॉल्ट होने के बाद नॉन बैंकिंग फाइनैंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) में बैंकों के कर्ज को लेकर चिंता की स्थिति बनी हुई है.
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