प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात (Gujarat) के सूरत (Surat) शहर में दुनिया का सबसे बड़ा ऑफिस परिसर (Largest Office) का 17 दिसंबर को उद्घाटन किया. ये ऑफिस परिसर आकार में अमेरिका के पेंटागन से भी बड़ा है, ये आज से आधिकारिक तौर पर खुल गया है. ये नया ऑफिस परिसर सूरत के लिए कई और भी अवसर लाएगा.
इस कॉम्प्लेक्स को सूरत डायमंड बोर्स के नाम से जाना जाएगा. यह अंतरराष्ट्रीय हीरे और आभूषण व्यवसाय के लिए दुनिया का सबसे बड़ा और आधुनिक केंद्र होगा.
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा...
"'मेड इन इंडिया' आज देश भर के व्यवसायों के लिए लाभ सुनिश्चित करने वाला एक सशक्त ब्रांड बन गया है. बहुमूल्य रत्नों के क्षेत्र में उत्कृष्टता के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक, सूरत डायमंड बोर्स देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम-चेंजर है."
गुजरात में सूरत डायमंड बोर्स, जो 6.7 मिलियन वर्ग फुट (620,000 वर्ग मीटर) के निर्मित क्षेत्र को कवर करता है. ये जुलाई में 32 बिलियन रुपये (384 मिलियन डॉलर) में पूरा बन गया है. ये दुनिया का सबसे बड़ा कार्यालय परिसर है. इससे पहले अमेरिका में ऐसा सबसे बड़ा ऑफिस परिसर 1943 में बनाया गया था जिसका क्षेत्रफल 6.5 मिलियन वर्ग फुट है.
जबकि मुंबई लंबे समय से भारत में हीरों के निर्यात का केंद्र रहा है. वहीं "डायमंड सिटी" सूरत में दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत कच्चे हीरे काटे और पॉलिश किए जाते हैं. अमेरिका और चीन जैसी जगहों पर खरीदारों को बेचा जाता है.
सूरत डायमंड बोर्स के अध्यक्ष नागजीभाई सकारिया के अनुसार, इसमें 15 मंजिला टावरों की संख्या नौ है और लगभग 4,700 कार्यालय हैं. करीब 130 कार्यालय पहले से ही उपयोग में हैं.
सूरत डायमंड बोर्स इजरायल डायमंड एक्सचेंज से भी बहुत बड़ा बनाया गया है. इजरायल का एक्सचेंज 80,000 वर्ग मीटर में फैला है. हालांकि, तेल अवीव परिसर में न केवल 1,000 से अधिक कार्यालय हैं, बल्कि इसमें बीमाकर्ता, बैंक, एक डाकघर, एक सीमा शुल्क कार्यालय और मनोरंजन, खाने-पीने और धार्मिक सुविधाएं जैसी सेवाएं भी शामिल हैं.
PM मोदी ने क्या कहा?
जुलाई में जब डायमंड बोर्स बनकर तैयार हुआ तब पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि, सूरत डायमंड बोर्स सूरत के हीरा उद्योग की गतिशीलता और विकास को प्रदर्शित करता है. यह भारत की उद्यमशीलता की भावना का भी प्रमाण है. यह व्यापार, नवाचार और सहयोग के केंद्र के रूप में काम करेगा, हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और रोजगार के अवसर पैदा करेगा.
ऐतिहासिक रूप से, अरब सागर तट के पास होने के कारण सूरत भारत और ब्रिटेन, नीदरलैंड और पुर्तगाल जैसे देशों के बीच सबसे महत्वपूर्ण बिजनेस लिंक में से एक था. हालांकि 17वीं और 18वीं शताब्दी में बंबई के फलने-फूलने के कारण इसने सूरत की जगह ले ली. इसके हीरा उद्योग ने लगभग छह दशक पहले संचालन शुरू किया था और 1990 के दशक में भारत के आर्थिक सुधारों के बाद इसमें तेजी आई.
दरअसल मुंबई की दुनिया के साथ बेहतर कनेक्टिविटी के कारण यह बिजनेस केंद्र बना हुआ है. 1994 में शहर में न्यूमोनिक प्लेग फैलने के बाद सूरत से श्रमिकों के पलायन के बाद उद्योग को एक बड़ा झटका लगा था.
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