अमेरिका व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने बदनाम बाजारों की लिस्ट में दिल्ली (Delhi) के पालिका बाजार एसोसिएशन को शामिल किया है. एसोसिएशन पर नकली प्रोडक्ट बेचने का आरोप है. शुक्रवार, 18 फरवरी को पालिका बाजार एसोसिएशन ने USTR द्वारा लिए गए फैसले पर आपत्ति जताते हुए इसे फर्जी आरोप बताया है और इस कदम को वापस लेने की मांग की है. पालिका बाजार एसोसिएशन के प्रेसीडेंट दर्शन लाल कक्कड़ ने कहा कि हम लगाए गए झूठे आरोपों की कड़ी निंदा करते हैं, यह बहुत ही चौंकाने वाला निर्णय है.
जारी की गई लिस्ट के मुताबिक पालिका बाजार नकली उत्पादों जैसे मोबाइल एक्सेसरीज, कॉस्मेटिक्स, घड़ियां और आईवियर बेचने में शामिल है.
गुरुवार, 17 फरवरी को जारी की गई 2021 की कुख्यात बाजारों की लिस्ट में दुनिया भर के 42 ऑनलाइन और 35 फिजिकल मार्केट शामिल किए गए हैं. इनके बारे में बताया गया है कि ये ट्रेडमार्क जालसाजी या कॉपीराइट चोरी में शामिल हैं. लिस्ट के अन्य नामों में लोकप्रिय ई-कॉमर्स वेबसाइट IndiaMart.com और देश भर के तीन बाजार (मुंबई में हीरा पन्ना, कोलकाता में किडरपुर और दिल्ली में टैंक रोड) शामिल किए गए.
हम मांग करते हैं कि हमारे खिलाफ लगाए गए आरोपों को वापस लिया जाए और गुजारिश है कि ऐसे प्रतिष्ठित और ग्राहक-अनुकूल बाजार के खिलाफ इस तरह के झूठे आरोप नहीं लगाए जाएं. हम ग्राहकों को सस्ता माल प्रदान करते हैं.दर्शन लाल कक्कड़, प्रेसीडेंट, पालिका बाजार
पालिका बाजार दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित है और नई दिल्ली नगर परिषद के अधिकार क्षेत्र में आता है. बाजार में कपड़े से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान तक के प्रोडक्ट बिकते हैं.
पालिका बाजार एसोसिएशन के चेयरमैन बलजीत कोहली ने कहा कि यह एक ऐसा बाजार है जहां लोग, विशेष रूप से युवा, कॉलेज जाने वाली लड़कियां और मध्यम वर्गीय परिवारों के लड़के 1,000 रुपये से कम में जींस, जूते, टी-शर्ट खरीद सकते हैं.
किसी भी प्रोडक्ट की फर्स्ट कॉपी की कीमत कम से कम 6,000 रुपये है. हम इस्तेमाल की गई वस्तुओं, कपड़े और जूते बेचते हैं लेकिन यहां कोई भी नकली और पायरेटेड उत्पाद नहीं बेचा जाता है. यूएसटीआर की ओर से जो भी किया गया है, यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है.बलजीत कोहली, चेयरमेन, पालिका बाजार
उन्होंने आगे कहा कि यह पहली बार नहीं है जब बाजार का नाम लिस्ट में शामिल किया गया है. दो साल पहले भी उन्होंने अपनी लिस्ट में पालिका बाजार को शामिल किया था. बाद में हमने विरोध किया और यूएसटीआर को पत्र लिखकर मामला सुलझाया गया था.
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