बुधवार को जेट एयरवेज ने अपनी सारी उड़ानें बंद कर दी. कर्ज से लदी इस एयरलाइंस को 400 करोड़ रुपये का इमरजेंसी फंड भी नहीं मिल सका और पैसे की कमी की वजह से इसे अपना ऑपरेशन पूरी तरह रोक देना पड़ा. अब जेट एयरवेज के 16 हजार कर्मचारियों के सामने नौकरी का संकट खड़ा हो गया है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि देश की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइंस इतने गहरे संकट में फंस गई. अब इसका क्या होगा. क्या यह इस संकट से निकल पाएगी.
नरेश गोयल की इन गलतियों ने जेट को जमीन पर ला पटका
8000 करोड़ से ज्यादा के कर्ज से लदी जेट एयरवेज के सीईओ (पूर्व) नरेश गोयल से गलितयां हुई उसने इसे जमीन पर ला दिया. आइए देखते हैं उन्होंने क्या गलतियां की
- 2006 में उन्होंने 3500 करोड़ रुपये कैश देकर एयर सहारा को खरीदा
- गोयल इस भारी निवेश की कीमत वसूल नहीं पाए और यह पैसा डूब गया
- नरेश गोयल इंडिगो, स्पाइस जेट और गो एयरलाइंस जैसी बजट एयरलाइंस की तेज ग्रोथ को भांप नहीं पाए
- जेट एयरवेज ने बाजार की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया और अपने हिसाब से भारी भरकम खर्चे करती रही
- एयरलाइंस की स्मार्ट रीस्ट्रक्चरिंग नहीं की.
- जेट के पास दूसरी एयरलाइंस के मुकाबले प्रति प्लेन बहुत ज्यादा कर्मचारी हैं.
- 2010 से जेट एयरवेज का घाटा लगातार बढ़ता गया और प्रमोटरों ने इसे कम करने की कोई कोशिश नहीं की.
- लागत से कम में टिकट बेचने की कोशिश आत्मघाती साबित हुई.
- आखिरकार ऐसी स्थिति आई कि नरेश गोयल की कंपनी के लिए खरीदार मिलना मुश्किल हो गया.
अब आगे क्या होगा
पिछले दो महीनों की लगातार कोशिश के बावजूद जेट को खरीदार नहीं मिल सका है. नरेश गोयल पूरी तरह बोर्ड से हट चुके हैं. दोबारा बोली लगाने की उनकी संभावना भी खत्म हो गई है. जेट की उड़ानें बंद होने से इसके 16 हजार कर्मचारी अब सड़क पर आ गए हैं. अब क्या होगा. क्या जेट का हश्र भी विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस की तरह होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि उड़ानें बंद होने की वजह से जेट का संकट काफी गहरा गया है. अब जेट को इन हालातों को सामना करना पड़ सकता है.
- बकाये पैसे के लिए जेट के सर्विस प्रोवाइडर और कर्मचारी इसे दिवालिया कोर्ट में ले जाएंगे
- सर्विस प्रोवाइडर , प्लेन लीज में देने वाले कंपनियां और सर्विस प्रोवाइडर सभी मिल कर जेट को इस कोर्ट में घसीटेंगे
- दिवालिया प्रक्रिया एक बार शुरू होने पर इसे दो-तीन महीने की मोहलत मिल जाएगी. इससे इसके एसेट नहीं बिकेंगे लेकिन यह राहत अस्थायी होगी
- सोमवार को जेट में निवेश करने के लिए एतिहाद एयरवेज, नेशनल इनवेस्टेमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, प्राइवेट इक्विटी फर्म TPG कैपिटल और इंडिगो को शॉर्टलिस्ट किया गया था.
- लेकिन इसमें निवेश पर कोई फैसला नहीं हो सका. एसबीआई के अगुआई वाले ऋणदाताओं ने कहा कि जब तक कोई निवेशक नया पूंजी नहीं लगाता वह और फंड नहीं देगा.
देखना होगा कि जेट एयरवेज को खरीदने के लिए कोई आगे आता है नहीं. जेट को कर्ज देने वाले फिलहाल अपना कर्जा . अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे कर्जदार अपने कर्ज की वसूली के लिए डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं.इससे जेट की संपत्तियां बिक जाएंगी. इसके बाद इसके लिए निवेशक ढूंढना और मुश्किल होगा. हालांकि यह तर्क भी दिया जा रहा है कि जेट को बचाने के लिए DGCA पहल कर सकता है. जेट के कर्मचारियों ने सरकार से दखल की मांग की है. माना जा रहा है कि चुनावी सीजन में सरकार 16 हजार जेट कर्मचारियों का रोजगार बचाने के लिए कोई न कोई कोशिश जरूर करेगी.
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