सेबी और इनकम टैक्स के टारगेट पर एक साथ आईं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramakrishna) आर्थिक जगत का एक जाना पहचाना नाम रह चुकी हैं. पूरी दुनिया में स्टॉक एक्सचेंज के क्षेत्र में बड़े पदों पर रहीं गिनी-चुनी महिलाओं में शामिल और कभी 'मार्केट क्वीन' (queen of the bourses) जैसे उपनामों से पहचानी जानी जाने वाली चित्रा के लिए यह प्रकरण प्रतिष्ठा को धक्का लगने जैसा ही है. वह 1992 में बने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना करने वाली टीम में शामिल थीं. फॉर्चून जैसी मैग्जीन ने चित्रा रामाकृष्ण को विश्व की 17वें नंबर की पॉवरफुल वुमन बताया था.
आज मुंबई में उनके परिसर में आयकर जांच टीमें धड़धड़ाते घुस आईं. पिछले हफ्ते ही सेबी ने एनएसई की इस पूर्व बॉस पर 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया था. इस घटनाक्रम ने NSE को शिखर तक पहुंचाने वाली इस महिला को नकारात्मक कारणों से खबरों की सुर्खियों में लाकर खड़ा कर दिया. आइए हम चित्रा की पूरी यात्रा पर गौर करते हैं.
दो दशक की मेहनत और सपना साकार
मूल तौर पर एक चार्टर्ड एकाउंटेंट चित्रा रामकृष्ण ने 1983 में आईडीबीआई के साथ अपना करियर शुरू किया. साल 1992 में वह आईडीबीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एसएस नाडकर्णी द्वारा चुने गए उन पांच लोगों में शामिल थीं जिन्हें पूरी तरह पेशेवर रूप से संचालित एक पारदर्शी और आधुनिक तकनीक से सजे हुए स्टॉक एक्सचेंज को स्थापित करने के लिए चुना गया था. यह वह साल था जब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में कुख्यात हर्षद मेहता घोटाला सामने आया था. यहां उन्होंने नादकर्णी से पदभार संभालने वाले रवि नारायण के अधीन काम करते हुए 12 साल बिताए, और स्टॉक एक्सचेंज की हर बारीकी को सीखा. नारायण बाद में एनएसई के वाइस प्रेसिडेंट बने और एक मेंटर व दोस्त के तौर के तौर चित्रा के उनके साथ मधुर संबंध रहे. सितंबर 2009 में चित्रा को एनएसई का ज्वॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया और इस एक्सचेंज में शामिल होने के दो दशक से अधिक समय बाद 1 अप्रैल 2013 को वह दिन भी आया जब प्रबंध निदेशक और सीईओ के तौर पर चित्रा को एनएसई की बागडोर सौंपी गई.
कैसी हस्ती, कैसा जलवा
चित्रा रामकृष्ण एशिया-पैसिफिक रीजन में किसी स्टॉक एक्सचेंज का नेतृत्व करने वाली मात्र तीसरी महिला थीं. उनसे पहले श्रीलंका के कोलंबो स्टॉक एक्सचेंज और चीन के शेनझेन स्टॉक एक्सचेंज के शीर्ष पदों तक महिलाएं पहुंंच पाई थीं. उनकी तेजी से उभरती पहचान और काबिलियत को देखते हुए उन्हें वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एक्सचेंज के बोर्ड का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था. चित्रा रामकृष्ण के नेतृत्व में 2016 तक एनएसई का दैनिक औसत कारोबार दोगुना होकर 3.5 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया. साढ़े तीन साल पहले जब उन्होंने बॉस की कुर्सी संभाली थी तब यह 1.6 ट्रिलियन रुपए था. एनएसई ने वित्त वर्ष 2016 में 1,026 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध लाभ अर्जित किया.
वित्त वर्ष 2016 में जब चित्रा ने पद छोड़ा तब वह फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर में दूसरी सबसे अधिक वेतन पाने वाली एक्ज्यूकेटिव थीं. उस वर्ष चित्रा का वेतन एचडीएफसी बैंक के तत्कालीन एमडी आदित्य पुरी (जिनकी टेक होम सैलरी 9.7 करोड़ रुपये थी) के बाद दूसरे स्थान पर आता था. वह उस समय के बीएसई के सीईओ आशीषकुमार चौहान की 3.3 करोड़ रुपये की सैलरी से लगभग तीन गुना अधिक वेतन लेती थीं.
यहां से बिगड़ा मामला
लेकिन 2015 में, चीजें उलझने लगीं. सिंगापुर स्थित एक व्हिसलब्लोअर ने आरोप लगाया कि दिल्ली के एक व्यक्ति की एनएसई के सर्वर तक पहुंच है, जहां से वह प्राइज इंफॉर्मेशन भी हासिल कर लेता है. बाद में इस घपले को लोकेशन स्कैम के नाम से जाना जाने लगा, जहां कथित तौर पर कुछ चुनिंदा व्यापारियों को एक्सचेंज में को-लोकेशन सुविधा के माध्यम से डेटा और ट्रेडिंग सिस्टम में तरजीह दी गई थी.
सेबी द्वारा नियुक्त एक तकनीकी सलाहकार समिति को भी इस बारे में कुछ सबूत मिले कि एनएसई कुछ व्यापारियों को बाकी पर तरजीह दे रहा था. यही वह दौर था जब चित्रा पर सवाल उठने लगे. सबसे ज्यादा सवाल तो उनके वरिष्ठ सलाहकार आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति पर उठे. सुगबुगाहटें उठने लगीं कि आखिर एक आदमी को नौकरी देने के लिए कैसे एक नया पद बना दिया गया. पहले वह कहीं 15 लाख रुपये साल की सैलरी पाता था तो उसका पैकेज यहां 1.38 करोड़ रुपए कैसे हो गया. हर साल प्रमोशन लेते हुए वह केवल तीन साल में ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर कैसे बन गया.
आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति को लेकर तब से उठे ये सवाल ही चित्रा को सेबी की कार्रवाई के दायरे में लाए हैं. शेयरधारकों ने उन पर इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में देरी करने का भी आरोप लगाया. इन सारे विवाद व आरोपों के बीच चित्रा रामकृष्ण ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए दिसंबर 2016 में एनएसई के सर्वोच्च पद से इस्तीफा दे दिया था.
और सामने आई सेबी की जांच
अभी हाल ही सेबी ने जब चित्रा के मामले की जांच करके अपने 190 पेज के आदेश को सुनाया तो कभी 'मार्केट क्वीन' का ताज पहनने वाली चित्रा की छवि को ही बदलकर रख दिया. सेबी ने बताया कि करीब 308 करोड़ की पूंजी वाले देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज की सीईओ अपने कार्यकाल के दौरान किसी योगी से ईमेल पर सलाह मांगती थीं. सेबी ने रिपाेर्ट में 338 बार इस अज्ञात योगी के बारे में लिखा. लोग इस रिपाेर्ट को पढ़कर इस चर्चा में जुट गए हैं कि क्या इतना बड़ा शेयर बाजार एक अज्ञात योगी के इशारे पर चल रहा था. मानें या ना मानें बाजार नियामक सेबी की जांच में तो यही उल्लेख है. बहरहाल 'मार्केट क्वीन' के ताज से अब IT रेड व 3 करोड़ की पेनल्टी तक की कार्रवाई इस पॉवरफुल वुमन के पतन की कहानी कह रही है.
चित्रा पर ये एक्शन
तीन साल के लिए स्टॉक एक्सचेंज मार्केट में काम करने से रोका.
अवकाश भत्ते के 1.54 करोड रुपए जब्त करने व 2.83 करोड़ रुपए बोनस रोकने के आदेश.
चित्रा रामकृष्णा पर 3 करोड़ रुपये और आनंद सुब्रमण्यम पर 2 करोड़ रुपये का जुर्माना
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