CCI यानी कंपीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया ने बुधवार को कहा कि उसने वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट के सौदे को मंजूरी दे दी है. वॉलमार्ट ने 16 अरब डॉलर में फ्लिपकार्ट की करीब 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. CCI ने अधिग्रहण की घोषणा के महज 3 महीने के भीतर ये मंजूरी दे दी है.
CCI ने ट्विटर पर ये जानकारी दी है. बता दें कि कारोबारियों के कई संगठन इस सौदे का विरोध कर रहे हैं. वॉलमार्ट ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि वो छोटे किसानों, मैन्युफैक्चरर और रिटेल कंज्यूमर्स का समर्थन कर भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान देने को प्रतिबद्ध है.
CAIT ने बताया गलत
इस बीच खुदरा कारोबारियो के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि वो इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएगा. CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल नेकहा, ‘‘ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीसीआई ने कैट की आपत्तियों को दरकिनार कर सौदे को मंजूरी दे दी है. सीसीआई ने कैट को पक्ष रखने का मौका नहीं देकर इंसाफ नहीं दिया. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और हम निश्चित तौर पर इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे.''
कैट ने इससे पहले जुलाई में वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदे के विरोध में प्रदर्शन किया था. ये प्रदर्शन कई शहरों में आयोजित किया गया. हालांकि, इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिला.
क्या है CAIT का आरोप?
संगठन का आरोप है कि पिछले कुछ साल में बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने भारी छूट और कम कीमत जैसे गलत तरीकों को अपनाकर ई-कॉमर्स मार्केट को खराब किया है. दावा किया जा रहा है कि ऐसे में जब वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट को खरीद लिया है अब रिटेल कारोबारियों के लिए और मुश्किलें खड़ीं होंगी.
CAIT का कहना है कि वास्तव में इस सौदे के जरिए वॉलमार्ट खुदरा कारोबार पर कब्जा करने के अपने छिपे एजेंडा को पूरा करेगी. कैट ने कहा कि वॉलमार्ट कोई ई-कॉमर्स कंपनी नहीं है और इस क्षेत्र में उसकी कोई विशेषज्ञता नहीं है. फिर भी वॉलमार्ट ने अपने असीमित संसाधनों के बल पर फ्लिपकार्ट से यह करार किया है, जिसके जरिये वह खुदरा बाजार में विदेशी उत्पादों का विशाल जाल बिछाएगी.
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