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बैंक और एयरलाइंस की GST के नाम पर वसूली को कोई तो रोक लो

रेल टिकट कैंसिलेशन में जीएसटी नहीं तो फ्लाइट में क्यों?

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क्या आपको मालूम है कि आप वहां भी जीएसटी दे रहे हैं जहां नहीं देना चाहिए? बैंक और एयरलाइंस कंज्यूमर से उन मामलों में भी जीएसटी वसूल रही हैं जहां सरकार लेना ही नहीं चाहती.

जीएसटी से छूट वाली मामलों में भी टैक्स वसूली का बड़ा कंफ्यूजन सरकार की आधी अधूरी सफाई से हुआ है. इसके अलावा बैंक और एयरलाइंस की गंभीर लापरवाही भी सामने आई है.

अब तक कारोबारी जीएसटी से कंफ्यूज थे अब कंज्यूमर भी भुगत रहा है. सरकार ने बैंकों की मुफ्त सर्विस में जीएसटी से छूट दे दी है. एटीएम से पैसा निकालने पर या फिर चेकबुक जैसी ग्राहक सेवाओं पर जीएसटी नहीं लगेगी. लेकिन बैंकों को साफ साफ नहीं बताया है कि तय सीमा से अधिक बार एटीएम का इस्तेमाल हुआ तो जीएसटी का क्या हिसाब होगा?

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बैंकों में कंफ्यूजन?

बैंकिंग सर्विस में जीएसटी की परिभाषा भ्रम फैलाने वाली ज्यादा है. जैसे बैंक जो जुर्माना या लेट फीस वसूलते हैं क्या उसपर भी जीएसटी लगेगी? सेंट्रल बोर्ड ऑफ इन डायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स तो कहता है पेनाल्टी पर GST नहीं वसूली जा सकती. लेकिन बैंक मानने को तैयार नहीं.

बैंक कहते हैं क्रेडिट कार्ड पर अगर बिल का बकाया भुगतान समय पर हुआ तो ठीक, लेकिन देरी होने पर लगने वाली पेनाल्टी पर जीएसटी देना होगा.

सीबीआईसी की सफाई

सीबीआईसी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स) कहता है कि बैंक ईसीएस (इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस) रिटर्न या चेकबाउंस होने पर जो जुर्माना लेते हैं उसमें जीएसटी जोड़ना गलत है. कोई भी बैंक अपने उपभोक्ता से पेनाल्टी पर जीएसटी नहीं ले सकता. सीबीआईसी ने एक सवाल के जवाब में इसकी पुष्टि भी की है.

टिकट पेनाल्टी पर कंफ्यूजन

रेलवे ने भी जब कैंसिलेशन टिकट पर जीएसटी लगाया था तो भारी हंगामा हुआ था और 27 जून 2017 को ही गाइडलाइन आ गई थीं कि रेलवे टिकट को कैंसल कराने पर पेनाल्टी पर जीएसटी नहीं लेता.

ये भी पढ़ें- खुशखबरी: आपका वेटिंग टिकट कंफर्म होगा या नहीं अब रेलवे खुद बताएगा

रेल टिकट कैंसिलेशन में GST नहीं तो फ्लाइट में क्यों?

एयर इंडिया से पेनाल्टी के बारे में एयरलाइंस की ऑनलाइन सेवा पर चैट करते हुए इस संवाददाता ने पूछा जब रेलवे टिकट कैंसिलेशन पर चार्ज नहीं लेता तो एयर इंडिया किस आधार पर ऐसा कर रहा है? वो टिकट नहीं दिखाने पर लेने वाले चार्ज के साथ भी जीएसटी लेता है. इसका आधार क्या है?

इन तमाम सवालों का एक ही जवाब मिला - “जीएसटी चार्ज लागू होंगे.” दोबारा जब उनसे नियमों के आधार पर इसका उत्तर देने को कहा गया तो उनका जवाब यही रहा- “अगर यात्रा भारत से शुरू हो रही है तो जीएसटी लागू होगा.”

हवाई टिकट कैंसिलेशन और पेनाल्टी पर जीएसटी वसूली के नियम

  • फर्स्ट क्लास और बिजनेस क्लास टिकट को दोबारा इश्यू करने के मामले में लगने वाले चार्ज में 12%जीएसटी
  • अगर इकनॉमी क्लास का टिकट दोबारा इश्यू कराया जाता है तो उस पर लगे चार्ज पर 5% जीएसटी
  • इसी तरह फर्स्ट क्लास और बिजनेस क्लास टिकट के कैंसिलेशन या रिफंड पर 12% जीएसटी
  • इकनॉमी क्लास का टिकट हो तो कैंसिलेशन/रिफंड पर 5% जीएसटी
कैंसिलेशन चार्ज की रकम कितनी ज्यादा होगी इसकी अंदाज इसी बात से लगाइए कि अगर रेलवे ने पेनाल्टी पर जीएसटी लेना जारी रखा होता तो वह यात्रियों से एक साल में करीब 250 करोड़ रुपए वसूल चुका होता. अब सोचिए एयरलाइंस यात्रियों से तो करोड़ों रुपए की ऐसी वसूली कर चुकीं होंगी जो एक तरह से अवैध है.

सवाल ये है कि जो नियम रेलवे के लिए है वही नियम फ्लाइट के लिए क्यों नहीं लागू हो रहा है?

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बैंक वालों को कौन समझाएगा

बैंक भी पेनाल्टी पर जीएसटी वसूले जा रहे हैं जबकि ये गलत है. बैंकों के अफसर तो इस मामले में मुंह खोलने को ही तैयार नहीं हैं. स्टेट बैंक के एक अफसर ने अपनी पहचान नहीं बताने की शर्त पर बताया.

हम तो नियमों से बंधे हैं. आप पेनाल्टी पर जीएसटी लेने का सवाल उठा रहे हैं. आपका सवाल सही है लेकिन, मामले को आगे बढ़ाइए. कोई न कोई गाइड लाइन आ जाएंगी, हम वही करेंगे.

देश के तमाम बैंक अपने उपभोक्ताओं से इन दिनों गलत तरीके से जीएसटी वसूल रहे हैं. इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है. जैसे

उपभोक्ता के अकाउंट में पैसा नहीं होता तो उसका ईसीएस यानी इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम बाउंस हो जाता है.  चाहे वो बीमा प्रीमियम, स्वास्थ्य बीमा, बचत, लोन की ईएमआई या किसी और चीज की क्यों न हो. अगर पूरे महीने उपभोक्ता के अकाउन्ट में पैसा नहीं होता तो बैंक उसी ईसीएस को दोबारा भी बाउंस करा देता है. इस तरह वो ईसीएस बाउंस चार्ज दो बार वसूलने के साथ हर बार उसमें जीएसटी भी जोड़ देता है.

जीएसटी के नाम पर मनमानी वसूली

बैंक उपभोक्ता के लिए ये कितनी बड़ी मुसीबत बन गयी है इसे समझना जरूरी है. एक ईसीएस के बाउंस होने का चार्ज 400 रुपये के करीब होता है जो हर बैंक में अलग अलग है. यह एक से ज्यादा बार बाउंस होने पर बढ़ता भी है. इसमें जीएसटी का 18 फीसदी इसमें जोड़ देते हैं तो ईसीएस का बाउंस चार्ज हो जाता है472 रुपये.

उपभोक्ता का गुनाह सिर्फ इतना है कि उसके पास ईसीएस कटने लायक पैसे नहीं थे. इसी को कहते हैं गरीबी में आटा गीला होना. 472 रुपये जेब से निकल गये, जिसमें जीएसटी का हिस्सा था 72 रुपये.

सवाल ये है कि क्या किसी बैंक को ईसीएस रिटर्न होने पर पेनाल्टी के साथ-साथ जीएसटी वसूल करने का अधिकार है? यह सवाल ईसीएस के साथ-साथ चेक बाउंस के मामले में भी लागू है.

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क्या बैंक जबरन वसूल रहे हैं टैक्स?

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स यानी सीबीआईसी ने (जो पहले सीबीईसी था) ये साफ कर दिया है कि किसी भी बैंक को पेनाल्टी पर जीएसटी टैक्स वसूल करने का अधिकार नहीं है. अगर बैंक ऐसी वसूली कर रहे हैं तो ये गलत है. सीबीआईसी ने एक उपभोक्ता को उसके सवाल का जवाब देते हुए साफ तौर पर लिखा है-

हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि किसी बैंक की ओर से पेनाल्टी पर जीएसटी टैक्स नहीं लिया जा सकता क्योंकि वो टैक्सेबल इनव्यॉयस जारी करने के उत्तरदायी नहीं हैं.
सीबीआईसी

इस कंफ्यूजन को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि सरकार और सीबीआईसी हर तरह की पेनाल्टी से साफ साफ नियम बैंक, एयरलाइंस समेत तमाम सर्विस कंपनियों तक पहुंचा दे ताकि किसी भ्रम की गुंजाइश ना रहे. वरना हर दिन कंज्यूमर से करोड़ों रुपए के ऐसे टैक्स की वसूली चलती रहेगी जो नियम के मुताबिक लगना ही नहीं चाहिए.

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