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कॉल ड्रॉप से निपटने के लिए जियो-एयरटेल करेंगे 74000 करोड़ का निवेश

कॉल ड्रॉप से निपटने के लिए अगले वित्त वर्ष में एयरटेल 24 हजार करोड़ और रिलायंस जियो 50 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी

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टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने कॉल ड्रॉप की समस्या से निपटने के उद्देश्य से अपने इंफ्रास्ट्रकचर के विस्तार और अपग्रेड के लिए 74 हजार करोड़ रुपये निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है. दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी.

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भारत में शायद ही ऐसा कोई मोबाइल फोन उपभोक्ता होगा, जो कॉल ड्रॉप की समस्या से न जूझता हो. पिछले काफी समय से भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की ओर इस समस्या से निपटने के लिए कई तरह की कोशिशें की जा रही है. इसके तहत मोबाइल सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियों को कड़े निर्देश भी जारी किये गए हैं. सरकार की इस सख्ती का असर अब दिखने लगा है.

बड़े निवेश का भरोसा

भारती एयरटेल और रिलायंस जियो जैसी टीएसपी की बड़ी कंपनियों के अधिकारियों ने मंगलवार को कॉल ड्रॉप के मुद्दे पर चर्चा के लिए दूरसंचार सचिव से मुलाकात की. मुलाकात के बाद दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने कहा कि एयरटेल ने आधारभूत ढांचे के लिए 16 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है और आगे 24 हजार करोड़ का निवेश करेगी. इसके अलावा रिलायंस जियो अगले वित्त वर्ष में एक लाख टॉवर लगाने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी. आइडिया सेलुलर और वोडाफोन ने भी अपने नेटवर्क में मोबाइल टावरों की संख्या बढ़ाने की प्रतिबद्धता जाहिर की है.

दूरसंचार कंपनियों ने मोबाइल टॉवर लगाने के लिए पर्याप्त संख्या में जगह की अनुपलब्धता की समस्या के बारे में भी बातचीत की. साथ ही इन कंपनियों ने अपने विश्लेषण में सचिव को बताया कि कॉल ड्रॉप की समस्या स्थिर है, लेकिन कॉल फेडिंग जैसी दूसरी समस्याओं में इजाफा हुआ है. क्योंकि कुछ मोबाइल फोन कंपनियों ने आवश्यक सर्टिफिकेशन मापदंडों का पालन नहीं किया है.
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भारत में मोबाइल टावरों पर ज्यादा बोझ

टेलीकॉम कंपनियों ने बताया है कि भारत में एक समय में एक मोबाइल टॉवर का 400 यूजर्स उपयोग करते हैं. वहीं चीन जैसे घनी आबादी वाले देश में इतने ही समय में 200-300 के बीच यूजर्स एक मोबाइल टॉवर का उपयोग करते हैं. जाहिर है, भारत में मोबाइल टावरों की तादाद में कमी के चलते प्रत्येक टावर पर लोड ज्यादा पड़ता है, जिससे मोबाईल यूजर्स को कॉल ड्राप और नेटवर्क की कमी जैसी मुसीबतों से जूझना पड़ता है.

दूरसंचार सचिव के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियां इस तरह की समस्या से निपटने के लिए टावर पर लगाए जाने वाले उपकरणों को बनाने वाली कंपनियों के साथ चर्चा कर रहे हैं.

(इनपुट: IANS)

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