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कस्टमर्स को धोखा देकर अब बच नहीं सकेंगी ई-कॉमर्स कंपनियां

नकली सामान बेचने वाली ई-कॉमर्स कंपनियां अब ये कह कर नहीं बच सकतीं कि वे सामान मुहैया कराने वाली प्लेटफॉर्म हैं

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ग्राहकों को नकली माल बेचने और दूसरी तरह की धोखाधड़ी करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों पर सरकार ने नकेल कसने की तैयारी कर ली है. इन कंपनियों के लिए अब सारा ठीकरा सेलर्स के माथे फोड़ कर बचने का रास्ता बंद हो जाएगा. अब ये कंपनियां यह कर बच नहीं पाएंगीं कि वे तो सिर्फ सामान मुहैया कराने वाली प्लेटफॉर्म हैं. सरकार ने इन गड़बड़ियों को बंद करने के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस तैयार किए हैं.

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सामान नकली हुआ तो साइटें जिम्मेदार

सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण कानून, 2019 के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए निर्देशों का जो ड्राफ्ट तैयार किया है वह बिजनेस टु कंज्यूमर प्लेटफॉर्म पर लागू होगा. यानी फ्लिपकार्ट या अमेजन जैसी साइटों से खरीदा गया सामान अगर नकली हुआ या लेन-देन में कोई गड़बड़ी पाई गई तो साइटें जिम्मेदार होंगी. हालांकि नए निर्देशों के ड्राफ्ट पर सभी स्टेक होल्डर्स से 16 सितंबर तक फीडबैक मांगा गया है. लेकिन इन नियमों को मामूली संशोधन के साथ लागू किया जा सकता है.

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गाइडलाइंस में कहा गया है कंपनियों को खराब या नकली प्रोडक्ट वापस लेने होंगे. निर्देश के मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों, टेली मार्केटिंग और डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों पर भी नए नियम लागू होंगे.

अगर प्रोडक्ट में खराबी पाई गई तो ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां यह कहकर बच नहीं पाएगी कि वे तो केवल सामान मुहैया कराने वाली प्लेटफॉर्म हैं. खराब प्रोडक्ट के लिए वे भी जिम्मेदार होंगी और उन्हें ग्राहकों को हर्जाना देना होगा. ई-कॉमर्स कंपनियों को एप या वेबसाइट पर बेचे जाने वाले प्रोडक्ट की मैन्यूफैक्चरिंग, लेबलिंग और साइड इफेक्ट्स की भी जानकारी देनी होगी. साथ ही वे कॉमर्शियल उद्देश्य के लिए कस्टमर की खरीदारी से जुड़ा कोई भी डेटा किसी तीसरी पार्टी को नहीं बेच पाएंगीं.
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देना होगा सेलर का पूरा ब्योरा

ई-कॉमर्स कंपनियों को अपनी साइट पर सेलर्स की सभी जानकारियां देनी होंगी. इनमें सेलर का बिजनेस, कानूनी नाम, प्रिंसिपिल ज्योग्राफिक एड्रेस, बेचे जाने वाले प्रोडक्ट, उनकी वेबसाइट, ई-मेल एड्रेस और संपर्क के दूसरे पते देने होंगे. यह भी बताना होगा और किन तरीकों से कस्टमर उनसे संपर्क कर सकते हैं. गाइंडलाइंस में यह कहा गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियां यह सुनिश्चित करें के वे किस तरह की बिजनेस एंटिटी हैं.

नकली सामान बेचने वाली ई-कॉमर्स  कंपनियां अब ये कह कर नहीं बच सकतीं कि वे  सामान मुहैया कराने वाली प्लेटफॉर्म हैं
भारत में ऑनलाइन शॉपर्स से धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे हैं
फोटो : रॉयटर्स 

अभी कई ई-कॉमर्स साइट्स, पॉपुलर शॉपिंग और रेस्टोरेंट प्लेटफॉर्म सेलर का पूरा ब्योरा नहीं देती हैं. नए गाइडलाइंस के बाद वे ऐसा नहीं कर पाएंगीं. इनसे ई-कॉमर्स साइट्स से ट्रांजेक्शन में पारदर्शिता बढ़ेगी. पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कुछ निर्देश इस तरह हैं

  • सामान लौटाने की शर्तें साफ बतानी होंगी
  • सामान एक्सचेंज,वारंटी और गारंटी नियम पारदर्शी बनाने होंगे
  • डिलीवरी, शिपमेंट पेमेंट मोड और शिकायतों के निपटारे के लिए भी सिस्टम बनाना होगा
  • वेबसाइट पर शिकायत अधिकारी का कॉन्टेक्ट देना होगा
  • एक महीने के अंदर शिकायतों का निपटारा करना होगा
  • ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तरीके से प्रोडक्ट, सर्विस के दाम प्रभावित नहीं कर सकेंगे
  • फर्जी कंज्यूमर बन कर रिव्यू पोस्ट करने पर पाबंदी होगी
  • प्रोडक्ट के फीचर्स और क्वालिटी बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने पर भी पाबंदी होगी
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दरअसल ज्यादातर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म इस वक्त सेलर के डिटेल नहीं देते. इससे कंज्यूमर फेक प्रोडक्ट के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहरा पाते. लेकिन ये गाइडलाइंस लागू होने के बाद इन पर लगाम लग जाएगी.

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