1 अप्रैल यानी आज से नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हो गया है और आपके लिए कई टैक्स रूल्स बदल गए हैं. इनमें लांग टर्म कैपिटेल गेन्स की वापसी से लेकर ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल खर्चे पर मिलने वाली टैक्स राहत के बजाय 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन की वापसी शामिल है. आइए देखते हैं बजट में लाए नए प्रावधान हम और आप जैसे आम टैक्सपेयर पर कैसे असर डालेंगे.
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- मेडिकल बिल और ट्रैवल अलाउंस टैक्स दायरे में- स्टैंडर्ड डिडक्शन की वापसी के बाद मेडिकल बिल और ट्रैवल अलाउंस टैक्स के दायरे में आ जाएंगे. पहले हर साल 15000 रुपये का मेडिकल बिल और हर महीने 1600 रुपये ट्रैवल अलाउंस टैक्स दायरे से बाहर था. लेकिन अब 40000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू होने ये टैक्स के दायरे में आ जाएंगे.
- स्टैंडर्ड डिडक्शन - इस साल टैक्स स्लैब तो नहीं बदला लेकिन अब ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल बिल पर जो टैक्स राहत मिलती थी, उसकी जगह 40000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन फिर से लागू हो गया है. नए नियम का असर सैलरी और पेंशन पाने वाले ढाई करोड़ लोगों पर पड़ेगा. सीबीडीटी के मुताबिक स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम लेने के लिए कोई फ्रूफ या बिल नहीं जमा करना होगा.
- फिर लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स - लांग टर्म गेन्स टैक्स 14 साल दोबारा लौट आया है. शेयरों की बिक्री से एक लाख रुपये से अधिक की कमाई पर अब 10 फीसदी टैक्स लगेगा. इससे पहले एक साल के भीतर शेयरों की बिक्री से होने वाली कमाई पर 15 फीसदी टैक्स लगता था. एक साल के बाद शेयर बेचने पर कोई टैक्स नहीं था.
- इक्विटी म्यूचुअल फंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स - बजट में इक्विटी म्यूचुअल फंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लागू किया गया है. अब इक्विटी एमएफ पर यह टैक्स 10 फीसदी होगा. अलग-अलग डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूटिंग स्कीम्स की बराबरी पर लाने के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंडपर यह टैक्स लगाया गया है.
- सेस अब 4 फीसदी हुआ- बजट में इनकम टैक्स और कॉरपोरेशन टैक्स पर लगने वाला सेस 4 फीसदी हो गया है. आम टैक्सपेयर अब 2 फीसदी की जगह 3 फीसदी सेस देंगे. 2 फीसदी प्राइमरी एजुकेशन के लिए और 1 फीसदी सेकेंडरी और हायर एजुकेशन के लिए
- टोल महंगा - अप्रैल से नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने टोल रेट बढ़ा दिया है. अब इसकी ओर से बनाए गए हाईवे पर टोल रेट 5 फीसदी की जगह 7 फीसदी हो जाएगा. टोल रेट बढ़ने का असर माल ढोने वाले ट्रक पर पड़ेगा और इससे महंगाई बढ़ने की आशंका है.
- प्रॉपर्टी पर टैक्स का दबाव - एलटीसीजी से बचने के लिए प्रॉपर्टी रखने की समय सीमा जो पहले 3 साल थी वह अब घट कर 2 साल होजाएगी. अब 2 साल पुरानी संपत्ति बेचने पर 20 फीसदी टैक्स लगेगा. पहले यह अवधि तीन साल थी.
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टॉपिक: फाइनेंशियल ईयर
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