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Crude Oil की कीमतों में क्यों हो रही गिरावट, मंदी का डर और क्या कारण?

Crude Oil: मंदी का बढ़ता डर और रूस-यूक्रेन जंग कैसे कच्चे तेल की कीमतों को गिरा रहा है?

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आंतरराष्ट्रीय बाजारों (Oil Prices Falling) में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. ब्रेंट क्रूड (Brent Cude Oil) में गुरुवार को गिरावट के बाद शुक्रवार को हल्की तेजी देखने को मिली लेकिन इसका प्राइस 110 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बना हुआ है, उधर अमेरिका का WTI का प्राइस और भी नीचे है यह 104 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है.

लेकिन ऐसा क्या हो रहा है कि अचानक अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के दाम गिर रहे हैं. क्या इससे भारत में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आएगी?

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Biz2Credit के को-फाउंडर और सीईओ रोहित अरोड़ा क्विंट ने हिंदी से बातचीत में कहा कि, कच्चे तेल का बिजनेस मार्केट में हो रहे उछाल और किसी भी तरह की हलचल से प्रेरित है. ये सारा खेल इसकी डिमांड और सप्लाई के आधार पर होता है और इसे प्रभावित कई सारे फैक्टर्स करते हैं जैसे कि अमेरिकी डॉलर की वैल्यू में बदलाव, तेल के प्रोडक्शन और इसकी इनवेन्ट्री में होने वाले बदलाव व वैश्विक अर्थव्यवस्था का हाल.

वर्तमान में हो रही गिरावट मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि यूएस फेड की सख्ती के कारण मार्केट से लिक्विडिटी खत्म हो रही है. इसके अलावा मंदी का बढ़ता डर प्रमुख कारण है जिसकी वजह से मांग में कमी हुई और परिणाम स्वरूप तेज गिरावट आई. लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए कि यह गिरावट अस्थायी है.
रोहित अरोड़ा, सीईओ, Biz2Credit

सीएनबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में एनर्जी एक्सपर्ट डैन यर्गिन भी इसके पीछे यही वजह मानते हैं वो कहते हैं कि अमेरिकी फेड द्वारा बधाई जा रही ब्याज दरों से महंगाई को टारगेट किया जा रहा है लेकिन इससे मंदी का डर भी बढ़ गया है. मंदी मांग में कमी लाती है. दूसरा, रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला होना भी एक बड़ी वजह है.

इसके अलावा वे कहते हैं कि चीन में कोरोना की वजह से लगी पाबंदियों ने भी वैश्विक ग्लोबल सप्लाई चेन में गड़बड़ कर दी है.

कच्चे तेल में गिरावट से क्या भारतीयों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों नें नरमी देखने को मिलेगी?

भारत में IOC यानि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के शेयर्स पिछले एक महीने में 12% गिरे हैं. पिछले दो महीनों में इसकी मार्केट वैल्यू में एक चौथाई से अधिक कमी आई है. IOC को मार्च 2022 की तिमाही में अपने रेवेन्यू में 43% की कुल वृद्धि हुई और यह 177.3 अरब रुपये पर है. हालांकि, कंपनी का प्रॉफिट 31.4% की गिरावट के साथ ₹69.5 बिलियन रहा.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट का क्या भारत में भी पॉजिटिव असर देखने को मिल सकता है? इस सवाल पर Biz2Credit के को-फाउंडर और सीईओ रोहित अरोड़ा क्विंट को बताते हैं -

भारत में पेट्रोल, डीजल की कीमतों में तुरंत लोगों को कोई राहत की उम्मीद नहीं है क्योंकि हाल ही में तेल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के साथ एक SOS साझा किया है कि तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल और डीजल को 19 रुपये और 25 रुपये प्रति लीटर के नुकसान पर बेच रही हैं.

आगे वे कहते हैं कि, "इसके अलावा, जनवरी 2022 से रुपया 5% नीचे है और इसका मुख्य कारण मजबूत अमेरिकी डॉलर इंडेक्स, तेल की कीमतों में वृद्धि और भारतीय इक्विटी और बॉन्ड बाजारों से विदेशी निवेशकों का बाहर निकलना हैं. इससे राहत मिलना हाल के भविष्य में काफी मुश्किल नजर आ रहा है."

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