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सऊदी अरब में उस रात ऐसा क्‍या हुआ, जो आपकी जेब पर असर डालेगा

सऊदी अरब में शाही खानदान में ऐसा क्या हुआ, जिसने भारत की फिक्र बढ़ा दी

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किसी देश में शायद ऐसा पहली बार हुआ कि एक साथ 49 प्रिंस, मंत्री, अमीर और उद्योगपति, सबके सब नजरबंद कर लिए गए. ऐसे लोग, जिन पर पहले कभी हाथ नहीं डाला गया, वो सब कैद में हैं. रियाद के एक फाइवस्टार होटल कार्लटन को ही जेल में बदल दिया गया है. ये सब कुछ हुआ है सऊदी अरब में, लेकिन एक खास कनेक्शन से इसका रिश्ता भारत से भी जुड़ गया है. ये संबंध है क्रूड यानी कच्चे तेल का. यही कनेक्शन अब भारत को भी परेशान भी कर सकता है.

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शाही सऊदी खानदान में भूकंप, भारत को क्रूड झटका

वैसे तो सऊदी खानदान से सीधे तौर पर भारत का दूर-दूर लेना-देना नहीं है, पर सऊदी या खाड़ी देशों में किसी भी हलचल से सबसे ज्यादा क्रूड पर असर होता है. ये क्रूड भारतीय इकनॉमी की सबसे संवेदनशील कड़ी है. करीब तीन साल पहले क्रूड में भारी गिरावट से इकनॉमी को छप्परफाड़ फायदा मिला था. लेकिन क्रूड में तेजी अब दबाव बनाने लगी है.

क्रूड में तेजी, बन सकती है मुसीबत

सितंबर से अब तक क्रूड 20 परसेंट महंगा हो चुका है. ब्रेंट क्रूड मई में 52 डॉलर पर था, जो अब 65 डॉलर के आसपास पहुंच गया है. क्रूड सप्लाई करने वाले देशों के संगठन ओपेक ने मार्च से क्रूड का उत्पादन सीमित रखा हुआ है. यूरोप और अमेरिका में ठंड बढ़ने से क्रूड के दाम में बढ़ोतरी होती है, इसलिए दाम नीचे आने के आसार कम हैं.

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क्रूड उत्पादक देशों के बीच अनबन और विवाद और युद्ध का खतरा क्रूड के दामों को नीचे नहीं आने दे रहा है.

सऊदी में क्या हुआ, ये बताएंगे, लेकिन पहले जान लीजिए क्रूड की भारतीय इकनॉमी के लिए क्या अहमियत है

ग्लोबल फाइनेंशयल फर्म नोमुरा के मुताबिक, क्रूड के दाम में बढ़ोतरी भारत की इकनॉमी के लिए कितनी बड़ी परेशानी है, इसका अंदाज इसी बात से लगाइए कि...

क्रूड के दाम हर 10 डॉलर बढ़ने के खतरे

  • फिस्कल डेफिसिट में 0.1% बढ़ोतरी
  • करेंट अकाउंट डेफिसिट 0.4% बढ़ोतरी
  • रिटेल महंगाई दर में 0.6% से 0.7% बढ़ोतरी
  • महंगाई दर बढ़ी, तो ब्याज दरों में कटौती थमेगी
  • जीडीपी ग्रोथ में करीब 0.15% कमी
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भारत जरूरत का करीब 80 परसेंट क्रूड इंपोर्ट करते हैं. इसलिए महंगा क्रूड पूरी की पूरी इकनॉमी को झटका दे डालता है.

इसको ऐसे समझिए कि सरकार ने ब्रेंट क्रूड की 54 डॉलर कीमत के हिसाब से मौजूदा और अगले वित्तीय साल के फिस्कल डेफिसिट का हिसाब लगाया था. लेकिन क्रूड अब 65 डॉलर के आसपास पहुंच गया है.

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महंगे क्रूड के असर से नहीं बचेगा कोई

पेट्रोल और डीजल के दाम अब बाजार तय करता है, इसलिए कच्चा तेल महंगा होना आपके बजट पर भी असर डालेगा, क्योंकि दोनों के दाम बढ़ेंगे. इसके अलावा सरकार का सब्सिडी बोझ बढ़ेगा, क्योंकि अभी भी केरोसिन में 12 रुपए लीटर और एलपीजी में 15 रुपए प्रति किलो सब्सिडी दी जा रही है.

अब अगर एक्साइज ड्यूटी कम करके पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से रोकने की कोशिश होती है, तो सरकार का बजट बिगड़ेगा.
पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ेंगे?
एक्साइज ड्यूटी में 1 रुपए की कमी से सरकार को सालाना 13,000 करोड़ रुपए  का नुकसान होगा. सरकार ही नहीं, महंगे क्रूड से इंडस्ट्री के खर्च बढ़ेंगे और मार्जिन कम होगा

तीन सालों की कमाई पर खतरा

क्रूड के दाम तीन साल से 40 से 50 डॉलर के बीच चल रहे थे. इससे भारत को बहुत फायदा हुआ था. फिस्कल और करेंट अकाउंट डेफिसिट घटा, महंगाई दर में कमी आई. पर अब हालात उलट गए हैं. क्रूड करीब तीन साल की ऊंचाई पर है. मांग बढ़ने और सप्लाई कम होने से इसलिए दाम गिरने की फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है.

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क्रूड दाम में बढ़ोतरी का सऊदी एंगल

सऊदी अरब के लिए क्रूड के दाम में बढ़ोतरी से फायदा ही फायदा है, इसलिए इस बात की कोई उम्मीद नहीं है कि वो दाम नीचे लाने कोशिश करेगा.

आईएमएफके मुताबिक भारी-भरकम फिस्कल डेफिसिट को पाटने के लिए सऊदी अरब चाहेगा कि क्रूड के दाम 70 डॉलर से ऊपर पहुंचे.

इसके अलावा सऊदी अरब सरकार दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादन कंपनी अरमाको का आईपीओ लेकर आ रही है. क्रूड के ऊंचे दाम की वजह से इस आईपीओ को अच्छे वैल्युएशन मिलने की उम्मीद है.

ताजा अनुमान के मुताबिक, क्रिसमस तक क्रूड के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चले जाएं, तो हैरानी नहीं होगी.

इकनॉमी के लिए क्रूड बेहद संवेदनशील कमोडिटी है. 2014 से 2015 के बीच क्रूड के दाम 50 परसेंट से ज्यादा गिरे थे, जिससे सरकार जीडीपी के करीब 1 परसेंट का विंडफॉल फायदा हुआ था. अभी भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत है, पर अगर क्रूड के दाम इन स्तरों से और बढ़े, तो सरकार का बजट बिगड़ने का पूरा खतरा है.

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ये हुई इकनॉमी की बाद. सऊदी अरब में हो रहे घटनाक्रम को विस्तार से जानने के लिए ये भी पढ़ें:

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