शेयर बाजार से विदेशी निवेशक लगातार अपना पैसा निकाल रहे हैं. अगस्त में सात कारोबारी सत्र के दौरान दौरान ही उसने बाजार से 9,197 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं. घरेलू इकनॉमी में स्लोडाउन और अंतरराष्ट्रीय हालातों में सुधार न होने की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजारों से दूर होते जा रहे हैं.
विदेशी निवेशकों के दूर होने से बाजार में चिंता बढ़ी है लेकन विश्लेषको का कहना है ऐसे हालात ज्यादा दिनों तक नहीं रहेंगे. जैसे ही सरकार FPI यानी फॉरन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स पर लगाए गए टैक्स को कम करेगी या इन्हें खत्म करेगी वैसे ही विदेशी निवेशक बाजार में लौटने लगेंगे.
टैक्स बढ़ाने के फैसले के बाद FPI
ताजा डिपोजिटरी आंकड़ों के मुताबिक FPI ने 1 से 9 अगस्त को शेयरों से 11,134.60 करोड़ रुपये निकाल लिए. जबकि इस दौरान इसने सिर्फ 1,937.54 करोड़ रुपये डेट में लगाए. इस तरह देखा जाए तो FPI ने कुल 9,197.06 करोड़ रुपये निकाल लिए. इसके पिछले महीने FPI ने इक्विटी और डेट मार्केट दोनों में 2,985.88 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार के बजट में ट्रस्ट और एसोसिएशन पर्सन्स के तौर पर रजिस्टर्ड FPI पर टैक्स बढ़ाने के ऐलान के बाद ही विदेशी निवेशक बिकवाली कर रहे हैं.
घरेलू और ग्लोबल इकनॉमी में स्लोडाउन से चिंता
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नैयर ने कहा कि इकनॉमी में स्लोडाउन को लेकर FPI काफी सतर्कता बरत रहे हैं. अमेरिका, यूरोप और चीन तीनों जगह जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार कम हुई है. चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर से हालात और खराब होने की आशंका है. ब्रेग्जिट का मामला न सुलझने और दूसरे भू-राजनैतिक मुद्दों की वजह से भी ग्लोबल इकनॉमी सुस्त रहने के आसार हैं
मॉर्निंगस्टार में रिसर्च के सीनियर एनालिस्ट मैनेजर हिमांशु श्रीवास्तव ने भी कहा है कि आर्थिक गतिविधियों में साफ तौर पर गिरावट दिख रही है. मानसून की कमी, कंपनियों के खराब नतीजे, अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर और ईरान समस्या से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दिक्कतें बढ़ी हैं. हालांकि सरकार की ओर से टैक्स घटाने के संकेतों के बाद FPI के बाजार में लौटने की उम्मीद पैदा हुई है.
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