सरकार ने अप्रैल महीने के इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) के आंकड़े और मई महीने के रिटेल महंगाई (CPI) के आंकड़े जारी नहीं किए हैं. अप्रैल के सिर्फ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के इंडेक्स आंकड़े जारी किए गए हैं. सरकार के इन आंकड़ों के जारी नहीं करने पर निवेशक, अर्थशास्त्री सवाल उठा रहे हैं.
सरकार के मुताबिक अप्रैल महीने का IIP पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 55.5 परसेंट गिरा है. ये साल 1996 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है.
लॉकडाउन का असर
जितने भी आंकड़े जारी किए गए हैं उनमें कोरोना वायरस और लॉकडाउन का साफ असर देखा जा सकता है. सरकार का कहना है कि कई सारी यूनिट में जीरो प्रोडक्शन हुआ है, इसलिए ये सही नहीं होगा कि हम अप्रैल 2020 के IIP आंकड़ों की तुलना पिछले महीनों से करके देखें.
खाद्य महंगाई 9.28% बढ़ी
सरकार ने मई महीने के महंगाई के कुछ आंकड़े जारी किए हैं. शहरी खाद्य महंगाई 9.69%, ग्रामीण इलाकों में खाद्य महंगाई 8.36% और कंबाइंड महंगाई 9.28% रही है. वहीं साल 2019 के मई महीने में खाद्य महंगाई सिर्फ 1.83% थी.
IIP और CPI का पूरा डाटा नहीं जारी करने के बाद विपक्ष, इंडस्ट्री एक्सपर्ट, निवेशक सरकार के रवैए पर सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया-
वित्त मंत्री कहती हैं अर्थव्यवस्था सुरक्षित हाथों में है. ये ऐसे सुरक्षित हाथों में है जहां सरकार अप्रैल 2020 के IIP के आंकड़े तक जारी नहीं कर रही. क्या सरकार बीस साल तक IIP के नंबर छिपा कर रखेगी?पी चिदंबरम, कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री
दिग्गज निवेशक संदीप सभरवाल ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. सभरवाल ने ट्वीट किया है -’सरकार ने मई का CPI डेटा नहीं दिया. अप्रैल का IIP डेटा नहीं दिया. कह रही है इस अप्रैल की तुलना पहले से नहीं करनी चाहिए, क्या डेटा इतन खराब था. चलिए शेयर बाजार के पंटरों के लिए अच्छा मौका है.’
इन्वेस्टर समीर कालरा ने लिखा है कि “भारत ने एक बार फिर IIP और CPI का डाटा जारी नहीं किया. आप मेक्रो ट्रेंड को कैसे मापते हो? क्या ये शर्मनाक नहीं है और बड़ा मुद्दा नहीं है जिसका हल निकाला जाना चाहिए.”
आंत्रप्रेन्योर संदीप मनुधाने लिखते हैं कि इतना अहम IIP और CPI डाटा जारी नहीं किया गया. सच से इतना क्यों डर रहे हो? ये बाहर आने दो, सबको पता चलना चाहिए.
देशभर में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने के बाद चार चरणों में लॉकडाउन लगाया गया. इस लॉकडाउन से इंडस्ट्री एक झटके में ठप पड़ गई. काम धंधे, कारोबार, रोजगार सब चौपट हो गया. इसी का नतीजा है कि इकनॉमी से जुड़े ये आंकड़े अब खराब आ रहे हैं.
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