GST काउंसिल की बैठक में राज्यों को दिए जाने वाले कंपनसेशन यानि मुआवजे पर चर्चा हुई है. बैठक में इस बात पर चर्चा होनी थी कि कंपनसेशन की समस्या को दूर करने के लिए क्या-क्या विकल्प हो सकते हैं. वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने बताया है कि इसमें केंद्र ने राज्यों को दो ऑप्शन सुझाए हैं. इसके बाद राज्यों के पास विचार करने के लिए 7 दिन का वक्त है.
ऑप्शन 1
RBI के साथ चर्चा करते हुए राज्यों को स्पेशल विंडो उपल्बध कराई जाए जिससे उचित ब्याज पर उन्हें 97,000 करोड़ रुपये दिए जाएं. इस रकम का भुगतान 5 साल के बाद भी सेस कलेक्शन से किया जा सकता है.
ऑप्शन 2
2,35,000 करोड़ के पूरे कंपनसेशन की भरपाई राज्य RBI की सलाह के साथ खुद करें.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 'राज्यों के सामने दो विकल्प रखे गए हैं. राज्यों ने इन विकल्पों को लेकर हमसे विस्तार में जानकारी मांगी है. साथ ही उन्हें इस पर विचार करने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया गया है. इसके बाद एक बार और GST काउंसिल की बैठक हो सकती है. एक बार GST काउंसिल में इसे लेकर सहमति बन जाए इसके बाद हम ड्यूज को तेजी के साथ क्लियर करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे.'
गुड्स एंड सर्विस टैक्स मतलब GST बकाए को लेकर कई राज्य सरकारें केंद्र सरकार से नाराज हैं, इसी बीच जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई है. GST काउंसिल की 41वीं बैठक पर सबकी नजर इसलिए भी रही है क्यों कि कि ठीक एक दिन पहले कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी, जिसमें जीएसटी कंपनसेशन का मुद्दा जोरों से उठाया गया था. मुख्यमंत्रियों ने बताया कि कोरोना काल में उनके राज्यों में रेवेन्यू पर भारी दबाव पड़ा है, ऐसे में आर्थिक रूप से उनकी हालत खराब हो रही है.
सोनिया के साथ बैठक में हर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र उनका GST बकाया देने में देर कर रहा है. छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने बताया कि उनके राज्य को चार महीने से जीएसटी मुआवजा नहीं मिला. 2828 करोड़ का बकाया है. कैप्टन बोले- मार्च के बाद पैसा नहीं मिला. 7000 करोड़ का बकाया है. उद्धव ने तो यहां तक कह दिया कि राज्य जीएसटी का अपना हक मांग रहे हैं, भीख नहीं.
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