गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) काउंसिल की 27वीं बैठक जारी है. इस बैठक में सरल टैक्स रिटर्न फॉर्म पेश किए जाने पर विचार करने के अलावा कई दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत हो सकती है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में अन्य राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हो रहे हैं.
यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही है. बैठक में जीएसटी से जुड़े इन पांच अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है.
1. रिटर्न प्रक्रिया को आसान बनाना
इस बैठक में सबसे प्रमुख मुद्दा रिटर्न प्रक्रिया को आसान बनाने को लेकर है. मार्च में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी रिटर्न के दो मॉडलों पर चर्चा हुई थी. इस दौरान सुझाव दिया गया था कि जीओएम प्रक्रिया को और आसान बनाने की दिशा में काम करेगा.
जानकारी के मुताबिक, एक बार जीएसटी काउंसिल से नए जीएसटी रिटर्न फॉर्मेट को मंजूरी मिलने के बाद कानून में भी संशोधन किया जाएगा. सुशील मोदी की अगुवाई वाले जीओएम ने चर्चा के लिए नए रिटर्न फॉर्म के तीन मॉडल रखे हैं.
2. डिजिटल पेमेंट पर डिस्काउंट
जीएसटी के सामने डिजिटल पेमेंट पर डिस्काउंट देने का प्रस्ताव नवंबर महीने में ही आ गया था. अगर उपभोक्ता पेमेंट डिजिटल माध्यम से करता है तो खुदरा लेनदेन के लिए जीएसटी की रियायती दर लगाई जा सकती है. फिलहाल यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए जीएसटी काउंसिल के पास है.
अगर इस प्रस्ताव को काउंसिल की मंजूरी मिलती है तो सौ फीसदी डिजिटल पेमेंट करने पर जीएसटी में 2 फीसदी की छूट मिल सकती है.
3. GSTN को सरकारी कंपनी बनाने पर हो सकती है चर्चा
जीएसटी काउंसिल इस बैठक में जीएसटीएन को सरकारी कंपनी बनाने की दिशा में भी विचार कर सकती है. काउंसिल इस बात पर विचार करेगी कि जीएसटीएन में केंद्र और राज्यों की मौजूदा 49 फीसदी की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 51 फीसदी से ज्यादा किया जाए. या फिर इसे सरकार के मालिकाना हक वाली कंपनी बनाया जाए.
फिलहाल निजी क्षेत्र के पांच वित्तीय संस्थानों एचडीएफसी लिमिटेड, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड, एनएसई स्ट्रैटिजिक इन्वेस्टमेंट कंपनी और एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड की जीएसटीएन में 51% हिस्सेदारी है. बाकी 49% हिस्सेदारी केंद्र सरकार के पास है. इसका गठन 28 मार्च 2013 को किया गया था.
4. शुगर पर सेस
चीनी उद्योग को संकट से उबारने के लिए जीएसटी काउंसिल दो अहम फैसले कर सकती है. काउंसिल ऐथनॉल पर जीएसटी की दर 18 से घटाकर 12 प्रतिशत कर सकती है. इसके साथ ही शुगर सेस लगाने का फैसला भी किया जा सकता है. हालांकि, कुछ राज्यों को यह सेस लगाने पर ऐतराज भी है.
ऐसा कहा जा रहा है कि सेस और सरचार्ज जीएसटी में समाहित हो जाएंगे, इसलिए चीनी पर अलग से सेस लगाने का मुद्दा विवादित हो गया है.
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