आयकर विभाग (Income Tax) ने बैंकों के साथ टैक्स भरने वालों की जानकारी साझा करने का निर्णय लिया है. यानि अब बैंक पर्मानेन्ट अकाउंट नंबर (PAN) की मदद से ग्राहकों के इनकम टैक्स रिटर्न्स (ITRs) का स्टेटस चेक कर सकते है. इस कदम से बैंकों को यह तय करने में आसानी हो जाएगी कि उन्हें किस ग्राहक का टीडीएस TDS काटना और किसका नहीं.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने बैंकों और पोस्ट ऑफिस के लिए 1 जुलाई 2020 से वेरिफिकेशन की सुविधा दी है. बैंक कैश से पैसा निकालने (Cash Withdrawal) वाले ग्राहकों का PAN नंबर डालकर इस बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 194N के तहत बैंक या पोस्ट ऑफिस कैश विड्रॉल पर टैक्स कटौती कर सकते हैं. यह कटौती एक वित्तीय वर्ष में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के कैश विड्रॉल पर लागू होता है. 1 करोड़ रुपये से जितनी ज्यादा
रकम निकाली जाएगी, उस रकम पर 2 फीसदी टीडीएस देय होता है.
TDS काटने के नियम
अगर बैंक से पैसा निकालने वाले शख्स ने बीते 3 साल में एक बार भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं की है तो उनके लिए यह लिमिट 20 लाख रुपये तक की होगी. टैक्स फाइल नहीं करने वालों को प्रति वित्तीय वर्ष 20 लाख रुपये से ज्यादा की रकम निकालने पर 2 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है.
अगर कोई व्यक्ति लगातार 3 साल तक टैक्स फाइल नहीं करता है और एक वित्तीय वर्ष में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की विड्रॉ करता है तो उन्हें 5 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है.
शेडयूल्ड कमर्शियल बैंकों को होगी आसानी
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 'शेड्यूल कॉमर्शियल बैंकों' (Schedule Commercial Banks) को भी उन एजेंसी की लिस्ट में शामिल किया था, जिससे टैक्स अथॉरिटीज जानकारी साझा कर सकते हैं.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा, 'डिपार्टमेंट ने आईटीआर फाइलिंग कम्प्लायंस चेक फैसिलिटी शुरू किया है. यह शेड्यूल कॉमर्शियल बैंकों के लिए उपलब्ध होगा ताकि वो बल्क मोड में पैन के आधार पर आईटीआर रिटर्न फाइलिंग चेक कर सकेंगे.
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