अंतरिम बजट 2024-25 (Interim Budget) पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने रिकॉर्ड छोटा भाषण पढ़ा.अच्छी बात है, बुद्धिमान लोग कम शब्दों में बड़ी बातें कह देते हैं.
दुर्भाग्य से वित्त मंत्री सरकार के दूसरे कार्यकाल के बड़े फ्लैगशिप मैन्युफैक्चरिंग टर्नअराउंड कार्यक्रम- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (Production-Linked Incentive-PLI) का जिक्र करना भूल गई. हो सकता है ये एक सोची समझी रणनीति हो या फिर वित्त मंत्री की एहतियाततन चुप्पी.
जबकि सरकार के निवेश को लेकर पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर- कैपेक्स) को खास जगह मिली. लेकिन PLI योजनाएं जाहिर तौर पर नदारद दिखीं.
PLI योजना की झलक बजट के दो दस्तावेजों में दिखी. पहला दस्तावेज- बजट पर एक नजर और दूसरा दस्तावेज- बजट की मुख्य बातें. सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय (MEITY) में PLI के प्रावधानों का उल्लेख किया गया था. इस मंत्रालय के अंतर्गत केवल दो PLI योजनाएं चलती हैं. लेकिन सरकार PLI पर मौन क्यों हो गई है? क्या PLI का प्रदर्शन इतना खराब हो गया है?
2020 में हुई शुरुआत
2020 के मार्च में 3 PLI योजनाओं को मंजूरी दी गई. इसके बाद इसी साल नवंबर महीने में 10 अन्य PLI योजनाओं को मंजूरी मिली. सरकार ने अप्रैल 2020 में सबसे बड़े PLI, यानी बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण (LSEM) का पहला राउंड लॉन्च किया.
इस तरह PLI योजना ने 2020-21 में भारत की नीति और सरकारी प्रचार पिच में प्रमुखता से काम करना शुरू कर दिया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को दिए अपने बजट भाषण में 2021-22 में PLI को लागू किया था.
उन्होंने गर्व के साथ, "राष्ट्रीय विनिर्माण चैंपियन बनाने और देश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए 13 प्रमुख क्षेत्रों" के लिए PLI योजनाओं के लिए 1.97 ट्रिलियन रुपये के बजट का ऐलान किया. इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया था कि PLI योजनाओं की वजह से "5 वर्षों में भारत में न्यूनतम उत्पादन 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा होने की उम्मीद है."
वित्त मंत्री ने जिस 5 साल का जिक्र किया था वह समय अब से दो साल बाद 2025-26 में खत्म हो जाएगा.
2020-21 में सरकार ने किसी PLI योजना को प्रोत्साहन नहीं दिया. 2021-22 में केवल 10.45 करोड़ रुपये दिए गए. दरअसल इस बारे में वास्तव में कुछ खास है नहीं जिसे लिखा जा सके.
2022-23 में PLI का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा
साल 2022-23 में पांच-वर्षीय PLI अवधि का दूसरा साल था. इस साल उम्मीद थी कि पहली बार PLI बजट का पूरा फंड दिया जाएगा. लेकिन इस साल सरकार ने PLI के लिए 7,481 करोड़ रुपये का बजट दिया.
तब तक घोषित किए गए 14 PLI में सबसे बड़ा प्रावधान LSEM PLI (जो मुख्य रूप से मोबाइल विनिर्माण को पूरा करता है) के लिए 5,300 करोड़ रुपये का था. LSEM को मिला बजट कुल PLI बजट का लगभग 70% था.
वहीं कम से कम 5 PLI योजनाओं में (उन्नत बैटरी, ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर, स्पेशलिटी स्टील और उच्च दक्षता सौर पैनल) को कोई बजट नहीं मिला. 3 PLI (ऑटोमोबाइल और ऑटोमोबाइल पार्ट्स, व्हाइट गुड्स और फार्मास्युटिकल ड्रग्स) में बहुत कम प्रावधान थे, हरेक के लिए केवल 3 करोड़ रुपये का प्रावधान था.
2022-23 बजट के संशोधित अनुमान में PLI के लिए कुल बजट प्रावधान को घटाकर 3,887 करोड़ रुपये कर दिया गया. जबकि फार्मास्युटिकल दवाओं के लिए बजट को 3 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 694 करोड़ रुपये कर दिया गया था.
वहीं LSEM के सबसे बड़े PLI योजना को घटाकर 2203 करोड़ रुपये कर दिया गया था. टेलिकॉम प्रोडक्ट के PLI के बजट में भी उल्लेखनीय कमी आई.
2022-23 में PLI का वास्तविक व्यय कम हो गया. 7,481 करोड़ रुपये के मूल बजट प्रावधान के लिहाज से देखें तो सिर्फ 2,917 करोड़ रुपये का बजट ही मिला. यानी मूल बजट का केवल 39 प्रतिशत और संशोधित अनुमान से 25% कम.
LSEM PLI के लिए प्रोत्साहन का वास्तविक वितरण केवल 1,655 करोड़ रुपये था. फार्मास्यूटिकल्स PLI को 655 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया गया और फूड प्रोसेसिंग PLI को 490 करोड़ रुपये का आवंटन मिला. बाकी के 8 PLI को केवल 1.65 करोड़ रुपये से लेकर 39.22 करोड़ रुपये तक की राशि आवंटित किए गए थे.
2022-23 PLI व्यय डेटा को आधिकारिक तौर पर 2024-25 बजट के हिस्से के रूप में पहली बार प्रस्तुत किया गया है. PLI के प्रदर्शन से संकेत मिलता है कि PLI कार्यक्रम को लागू करने में कुछ गंभीर दिक्कतें है. PLI योजना के पहले 2 सालों में जो प्रोत्साहन राशि दी गई थी वह योजना के बजट के 2 प्रतिशत से भी कम था.
क्या PLI की खराब प्रदर्शन इस योजना को बंद करने के संकेत देती है?
2023-24 में PLI के परफार्मेंस में भी नहीं दिखा विश्वास
14 PLI के लिए 2023-24 का 8,078 करोड़ रुपये का बजट 2022-23 के 7,481 करोड़ रुपये के बजट से वास्तव में ज्यादा नहीं था. एक बार फिर सरकार 14 PLI योजनाओं में से केवल 10 के लिए ही बजट दे सकी.
कुल बजट का 50% से ज्यादा LSIM PLI 4499.04 करोड़ रुपये के बजट के साथ ही इस योजना में अकेला खिलाड़ी नजर आता है. 604 करोड़ रुपये के बजट के साथ ऑटोमोबाइल और ऑटो-कंपोनेंट्स और 146 करोड़ रुपये के बजट के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर में संभावित बढ़ोतरी का संकेत दिया था.
कुल मिलाकर इस तरह का बजट प्रावधान काफी निराशाजनक था क्योंकि PLI योजनाओं को लागू हुए तीन साल हो चुके हैं.
सरकार ने 2023-24 के बजट के संशोधित अनुमान में 8,007 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान के साथ LSEM PLI के लिए बगैर किसी बदलाव के बजट को 2023-24 के लगभग समान स्तर पर बनाए रखने का विकल्प चुना है. ऑटोमोबाइल और ऑटो-कंपोनेंट्स के PLI के लिए बजट घटाकर 483.77 करोड़ रुपये और इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर के लिए 70.42 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इन्हें इस साल के दौरान लागू किए जाने की उम्मीद थी.
साल 2023-24 के दौरान भी कमजोर बजट PLI की निराशाजनक प्रदर्शन को दर्शाती है. 26 दिसंबर 2023 को जारी 2023 की ईयर एंड रिव्यू में सरकार ने केवल बीते साल के प्रदर्शन की रिपोर्ट देने का विकल्प चुना, यानी, "वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 2,900 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि आवंटित की गई."
वित्तीय वर्ष 2023-24 में आंवटन के लिए कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया था. काफी हद तक ऐसा लगता है कि सरकार के लिए इस साल 5,000 करोड़ रुपये देना भी मुश्किल हो गया होगा.
2024-25 के बजट में PLI की गिरती साख का आभास
अंतरिम बजट में PLI के लिए 2024-25 के बजट को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस साल बजट में किसी बड़े उछाल की संभावना नहीं है. ये साल PLI योजना को लागू हुए चौथा साल है. हालांकि, सरकार PLI में नई योजनाएं जोड़ीं हैं. अब दो नए PLI जोड़े गए हैं. ये हैं खिलौने और चमड़े के सामान. इनके जुड़ने से अब 16 PLI हो गए हैं.
फिर 2024-25 के बजट में केवल चार PLI को 13,069 रुपये बजट मिला है. जबकि इस साल का कुल PLI बजट ही 14,167 करोड़ रुपये है. यानी चार PLI में कुल PLI का 92 प्रतिशत से ज्यादा का बजट दिया गया है.
16 PLI में से कम से कम पांच (स्पेशलिटी स्टील्स, उच्च दक्षता वाले सौर पैनल, कपड़ा, खिलौने और चमड़े के सामान) में या तो शून्य या शून्य के करीब बजट दिया गया है. उन्नत बैटरी और स्पेशलिटी स्टील PLI में क्रमशः 250 करोड़ रुपये और 270 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है. ये इस बात का संकेत है कि शायद ये PLI वापस से उभर रहे हैं. बाकी के PLI को काफी कम बजट है.
2022-23 और 2023-24 में PLI योजनाओं के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए किसी को भी अंदाजा नहीं है कि 2024-25 में ये योजनाएं कैसा प्रदर्शन करेंगी. 2023-24 तक PLI के लागू होने के पहले तीन सालों में 8 हजार करोड़ रुपये से कम का कुल आवंटन मिला. ये आंकड़ा 1.97 ट्रिलियन रुपये की PLI बजट की 5 प्रतिशत हिस्से को भी पूरा नहीं कर सका.
भले ही 2024-25 के पूरे बजट प्रावधान का वास्तव में इस्तेमाल किया जाना हो, लेकिन पांच-वर्षीय अवधि के चौथे और 5वें हिस्से के खत्म होते-होते PLI अपने कुल आवंटन का मुश्किल से 10% हिस्सा ही वितरित कर पाएगा.
किसी भी सरकारी योजना की नाकामयाबी का इससे बेहतर संकेत शायद कोई नहीं हो सकता. PLI के लिए यह काफी निराशाजनक है क्योंकि योजना को भारत के विनिर्माण को बदलने के लिए गेम चेंजर के तौर पर पेश किया गया था.
(लेखक भारत के पूर्व आर्थिक मामलों के सचिव और वित्त सचिव हैं. यह एक ओपिनियन है और ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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