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JhaJi Achar: बिहार के दरभंगा से ननद-भाभी ने खड़ा कर दिया 10 करोड़ का बिजनेस

Shark Tank की जज विनीता सिंह और नमिता थापर ने खुद उनके घर जाकर फंडिंग दी.

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शार्क टैंक इंडिया (Shark Tank India) के पहले सीजन में हमने देश भर के कोने-कोने से आए एंटरप्रेन्योर को शार्क्स के सामने अपने बिजनेस के लिए फंडिंग मांगते देखा. शो में बहुत सारे पिच ने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था, जिसमें में एक था बिहार के छोटे से शहर से आए ननद-भाभी की जोड़ी.

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बिहार के दरभंगा से आई ननद-भाभी की जोड़ी अपने आचार के बिजनेस (JhaJi Achar) के लिए फंडिंग उठाने आयी थी. ननद कल्पना झा और भाभी उमा झा दोनों ही तकरीबन 53 साल की है, इतने छोटे से शहर और इस उम्र में अपने आचार के बिजनेस के लिए उन्हें फंडिंग मांगता देख शार्क्स ने उनके जज्बे को सलाम किया था.

हालांकि उन्हें पहले सीजन में किसी भी शार्क से फंडिंग नहीं मिली थी लेकिन बाद में दो शार्क विनीता सिंह और नमिता थापर खुद उनके घर दरभंगा उन्हें फंडिंग देने के लिए पहुंची.

जिन्हें शार्क टैंक के बारे में नहीं पता है उनके लिए बता दे कि शार्क टैंक एक रियलिटी शो है जहां उद्यमी अपने स्टार्टअप के लिए स्टार्टअप जगत के महारथियों से फंडिंग लेने आते हैं.

ऐसे आया आचार का बिजनेस करने का आइडिया

आचार के बिजनेस करने का आइडिया कहां से आया ये पूछने पर कल्पना झा बताती हैं-

उन्होंने नानी-दादी को आचार बनाते देख-देख कर आचार बनाने का हुनर बचपन में ही सीख लिया था. पहले वो आचार केवल अपने घर के लोगों के लिए बनाती थी. उनके बच्चों को उनके हाथ का आचार काफी पसंद था. लेकिन जब वो पढ़ाई और नौकरी की वजह से घर से बाहर निकले तो उन्हें मम्मी के आचार का रिप्लेसमेंट नहीं मिला. स्वाद के मामले में बाजार में उपलब्ध आचार घर के बने आचार के आस-पास भी नहीं थे. साथ ही वे काफी केमिकल और प्रिजर्वेटिव से बनते थे. तो ऐसे में उनके बच्चों ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वो अपना आचार का बिजनेस शुरू करें.

कोविड की दूसरी लहर के दौरान उनके बच्चे घर आए हुए थे तो उनके बच्चों ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वो अपने हाथ से बने आचार को मार्केट में उतारें और मिथिला के पारंपरिक विधि से बने आचार को देश के सभी लोगों तक पहुंचाएं.
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कल्पना झा बताती हैं कि उन्हें हमेशा से खुद से कुछ करने का मन था लेकिन उनके पति के एडिमिनिस्ट्रेटिव सेवा में होने के कारण उनका तबादला होता रहता था, जिसकी वजह से वो कभी भी एक जगह पर अच्छे से सेटल नहीं हो पाती थी. लेकिन जब उनके पति के रिटायरमेंट होने के कुछ ही दिन बचे थे तो उन्होंने अपने लिए खुद का कुछ करने का फैसला लिया और अपनी भाभी उमा झा के साथ झा जी स्टोर की शुरुआत की.

उमा झा पहले टीचर थी लेकिन जब उनकी ननद ने आचार का बिजनेस शुरू करने की इच्छा जाहिर की तो उन्हें ये आइडिया बहुत अच्छा लगा और वो भी उनके साथ जुड़ गई. ऐसे में, 20 जून 2021 को कल्पना और उषा झा ने 6 तरह के आचार के साथ झा जी स्टोर को ऑनलाइन लॉन्च कर दिया.

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खड़ा कर दिया 10 करोड़ का बिजनेस

पहले सीजन में उन्हें शार्क से फंडिंग नहीं मिली , लेकिन उनका मानना है कि उन्हें एक्सपोजर बहुत मिल गया. टीवी पर उनका एपिसोड टेलीकास्ट हो जाने के बाद केवल 3 घंटे में उन्होंने पिछले 3 महीनों के जितना सेल कर लिया. साथ ही साथ फंडिंग के लिए भी कई लोगो ने उन्हें एप्रोच किया. वे बताती हैं पहले लोग उनके आचार पर भरोसा कम करते थे लेकिन टीवी पर प्रसारण होने के बाद लोगों का उनपर भरोसा काफी बढ़ा.

शार्क टैंक में कल्पना और उमा झा ने 10% इक्विटी के लिए 50 लाख की फंडिंग मांगी थी. शार्क टैंक के मंच से भले ही उन्हें निराश लौटना पड़ा था, लेकिन ये निराशा खुशी में तब बदल गई जब कुछ महीनों बाद दो शार्क विनीता सिंह और नमिता थापर उन्हें फंडिंग देने के खुद उनके घर दरभंगा पहुंच कर उन्हें चौंका दिया और उन्हें 85 लाख का चेक दिया.

कल्पना और उमा झा को ये फंडिंग नमिता, विनीता और झारखंड एंजेल नेटवर्क की तरफ से 10 करोड़ रूपये के वैल्यूएशन पर मिली.
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शुरुआत में था थोड़ा डर

शुरुआत करते वक्त उनके मन में थोड़ा सा डर था कि देश के अलग अलग हिस्सों में रहने वाले लोगों को उनका आचार पसंद आएगा या नहीं. लेकिन उनका ये संदेह जल्द ही मिट गया. लोगों को मिथिला का आचार काफी पसंद आया और कस्टमर्स ने बहुत बेहतरीन रिव्यु दिए. इनसे ननद और भाभी को हौसला मिला. यह हौसला फिर कभी कम नहीं हुआ और कारोबार बढ़ता ही गया.

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देश-दुनिया तक पहुंचा रहीं मिथिला की परंपरा

कल्पना और उमा झा अपने बिजनेस में मिथिला के ट्रेडिशन को पकड़ कर चल रही हैं और वे उसमें कोई समझौता करती मालूम नहीं पड़ती. वे बताती हैं यही चीज उनको बाजार में उपलब्ध बाकी कंपनियों के आचार से अलग करती है.

झा जी स्टोर की ब्रांडिंग इस बात पर जोर देती है कि उनके आचार किसी भी तरह के केमिकल और प्रेसर्वेंटिव से फ्री हैं और पूर्णतः पारंपरंगत तरीके से बनाए गए आचार हैं जो आपको अपने नानी-दादी के हाथ से बनाए गए आचार जैसा स्वाद देते हैं.

औरतों को मिल रहा रोजगार

कल्पना और उमा झा के इस आचार के बिजनेस के कारण गांव के करीब 60 औरतों को रोजगार मिला. वे बताती हैं उनका इरादा कंपनी को आगे और विस्तार देने का  है जिससे वे और भी महिलाओं को अपने साथ जोड़ेंगी. इनके बिजनेस की वजह से अगल-बगल के गांवों की महिलाओं का जीवन बेहतर हो रहा है.

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देश का नंबर 1 आचार ब्रांड बनने का है सपना

कल्पना झा बताती हैं झा जी स्टोर में बहुत जल्द वो मिथिला के और पारंपरिक पकवान जैसे ठेकुआ, अनारसा आदि को लॉन्च करेंगी और मिथिला के खान-पान को देश-दुनिया के लोगों तक पहुंचाने का काम करेंगी.

उनका सपना है कि झा जी आचार देश का नंबर 1 आचार बने. उषा झा बताती हैं, उनका विजन है कि मिथिला का ये आचार हर घर के डाइनिंग टेबल पर हो और हर थाली में जरूर जाए. वो बताती हैं विदेशों से भी लोग उनके आचार का डिमांड कर रहे हैं. जल्द ही वे बाहर भी अपने आचारों की डिलीवरी शुरू करेंगी.

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