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एजुकेशन लोन लेने से पहले इन बातों का रखें खयाल

एजुकेशन लोन लेने के पहले कुछ बातों का खयाल रखना जरूरी है.

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उच्च शिक्षा की बढ़ती लागत ने आजकल एजुकेशन लोन को एक तरह से जरूरत बना दिया है. अगर आप आईआईएम, आईआईटी या आईएसबी जैसे शिक्षण संस्थानों में हायर एजुकेशन लेना चाहते हैं या फिर ऑक्सफोर्ड या हार्वर्ड जैसे विदेशी संस्थानों से डिग्री हासिल करना चाहते हैं, तो एक मोटी रकम की जरूरत पड़ती है. और, ये मोटी रकम आपको एजुकेशन लोन के तौर पर मिल सकती है.

लेकिन एजुकेशन लोन लेने के पहले कुछ बातों का खयाल रखना जरूरी है.

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किन्हें मिल सकता है एजुकेशन लोन

एजुकेशन लोन हर उस छात्र या छात्रा को मिल सकता है, जिसने उच्च शिक्षा के लिए देश-विदेश के किसी प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान में दाखिले की पात्रता हासिल कर ली हो. बैंक एजुकेशन लोन को मंजूर करने के पहले शैक्षिक संस्थान का इंटिमेशन लेटर भी दिखाने को कहते हैं.

बैंक एजुकेशन लोन की रकम को छात्र के अकाउंट में नहीं, बल्कि सीधे शैक्षिक संस्थान के अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं. ज्यादातर बैंक बड़ी रकम के लोन के लिए जमानती या गारंटर की मांग भी करते हैं. आम तौर पर छात्र के माता-पिता एजुकेशन लोन के गारंटर या को-एप्लिकेंट बनते हैं. छात्र के उस लोन को चुकाने में असमर्थ होने पर जिम्मेदारी गारंटर या को-एप्लिकेंट की होती है.

एजुकेशन लोन किन खर्चों के लिए मिलता है

आम तौर पर एजुकेशन लोन में आपके कोर्स की ट्यूशन फीस, होस्टल चार्ज, एक्जामिनेशन फीस, लैपटॉप की कीमत और ट्रैवल कॉस्ट शामिल होते हैं. लेकिन इसके नियम भी अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग होते हैं. ज्यादातर बैंक पढ़ाई के खर्च का 70 से 95 फीसदी तक एजुकेशन लोन के रूप में देते हैं. भारत में आपको अधिकतम 75 लाख रुपए का एजुकेशन लोन मिल सकता है, जिसे चुकाने की अधिकतम अवधि होती है 15 साल. ये भी याद रखें कि बैंक प्रोसेसिंग चार्ज के तौर पर लोन की रकम का 2 फीसदी तक वसूलते हैं.

कहां से मिलेगा एजुकेशन लोन

एजुकेशन लोन आपको देश के ज्यादातर बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों से मिल जाएगा. लेकिन हर बैंक या वित्तीय संस्थान के कर्ज की शर्तों, मसलन ब्याज दर, प्रोसेसिंग चार्ज और डॉक्यूमेंटेशन में अंतर हो सकता है. एजुकेशन लोन पर ब्याज दरें सालाना साढ़े आठ परसेंट से लेकर 15 परसेंट तक हो सकती हैं. आम तौर पर सरकारी बैंकों से एजुकेशन लोन लेना सस्ता पड़ता है.

एजुकेशन लोन लेने के पहले कुछ बातों का खयाल  रखना जरूरी है.
एजुकेशन लोन पर ब्याज दरें सालाना साढ़े आठ परसेंट से लेकर 15 परसेंट तक हो सकती हैं
(फोटो: क्विंट हिंदी)

कई बातों पर निर्भर होती है एजुकेशन लोन की ब्याज दर

ये याद रखें कि एजुकेशन लोन पर ब्याज दरें कई चीजों पर निर्भर करती हैं. जैसे लोन सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड, शैक्षिक संस्थान की प्रतिष्ठा कैसी है, लोन कितने वर्षों के लिए लिया जाना है. मिसाल के लिए, आईआईटी के लिए एजुकेशन लोन पर ब्याज दर कम होगी, जबकि एनआईटी के लिए उसी रकम के एजुकेशन लोन पर ब्याज दर थोड़ी ज्यादा होगी.

कई बैंक और वित्तीय संस्थान छात्राओं और महिलाओं को एजुकेशन लोन के ब्याज में अतिरिक्त छूट देते हैं. साथ ही, कई बार बैंकों के खास शैक्षिक संस्थानों के साथ टाई-अप होते हैं और उनमें दाखिला लेने वाले छात्रों को उन बैंकों से एजुकेशन लोन पर अतिरिक्त छूट मिलती है.

एजुकेशन लोन लेने के पहले सभी बैंकों के ब्याज दरों की जांच-पड़ताल के लिए सरकार ने एक वेबसाइट बनाई है, जिसका नाम है विद्या लक्ष्मी. यहां 34 बैंकों और वित्तीय संस्थानों से मिलने वाले एजुकेशन लोन की पूरी जानकारी मिल जाएगी. इसके जरिए छात्र लोन के लिए आवेदन भी कर सकते हैं. एक लोन एप्लिकेशन फॉर्म के जरिए छात्र एक साथ अपनी पसंद के 3 बैंकों में एजुकेशन लोन के लिए आवेदन दे सकते हैं.

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एजुकेशन लोन चुकाने में इन बातों का भी रखें ध्यान

एजुकेशन लोन चुकाने वालों के लिए सबसे जरूरी काम की बात ये है कि इसके ब्याज पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80ई के तहत टैक्स छूट मिलती है. ब्याज की रकम पर कोई लिमिट नहीं है, यानी आपने जितना ब्याज चुकाया है, उतनी पूरी रकम आपकी टैक्सेबल इनकम में से घटा दी जाती है. हालांकि ये छूट अधिकतम 8 साल तक मिलती है, इसलिए छात्रों को कोशिश करनी चाहिए कि वो इस अवधि में ही लोन पूरा चुका दें.

दूसरी बात ये ध्यान रखने की है कि एजुकेशन लोन में मोरेटोरियम पीरियड होता है, यानी वो अवधि जिस दौरान छात्र को लोन की ईएमआई नहीं चुकानी होती. आम तौर पर बैंक कोर्स खत्म होने के बाद 12 महीने तक या नौकरी लगने के 6 महीने तक की अवधि को मोरेटोरियम पीरियड मानते हैं.

ये याद रखें कि ये पीरियड भी इंटरेस्ट-फ्री नहीं होता. ब्याज आपके लोन में जुड़ता रहता है, आपको सिर्फ विकल्प मिलता है कि आप लोन की ईएमआई इस पीरियड के बाद चुकाएं या कोर्स खत्म होने के तुरंत बाद शुरू कर दें. इसलिए बेहतर है कि ब्याज का बोझ कम रखने के लिए ईएमआई जल्द से जल्द शुरू कर दी जाए.

तीसरी बात ये ध्यान रखने की है कि आपके हाथ में आने वाली सैलरी का 30 फीसदी से ज्यादा आपके एजुकेशन लोन की ईएमआई न हो. इसके लिए जरूरी है कि आप जिस संस्थान में पढ़ाई करने जा रहे हों, वहां के छात्रों की औसत प्लेसमेंट सैलरी जरूर पता लगाएं. इससे आपको ये फैसला करने में आसानी होगी कि आपके एजुकेशन लोन की अवधि कितने वर्ष की होनी चाहिए. और अगर आपको 8 साल से ज्यादा के लिए एजुकेशन लोन लेना पड़े, तो भी हिचके नहीं. अपनी सैलरी बढ़ने के बाद आप इस लोन का 8 साल के भीतर ही प्री-पेमेंट भी कर सकते हैं.

(धीरज कुमार अग्रवाल जाने-माने जर्नलिस्‍ट हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)

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