भारत के सबसे अमीर और दुनिया के 12वें सबसे अमीर व्यक्ति और रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने हाल ही में रिलायंस के उत्तराधिकारी की बात कही है. यानी 200 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा मूल्य के साम्राज्य की बागडोर आने वाले समय में कौन संभालेगा, इसका जिक्र मुकेश अंबानी ने एक पारिवारिक समारोह में बोलते हुए किया.
"युवा पीढ़ी अब लीडरशिप की भूमिका निभाने के लिए तैयार है"
28 दिसंबर को धीरूभाई अंबानी के जन्मदिन के मौके पर मुकेश अंबानी ने कहा, "युवा पीढ़ी अब लीडरशिप की भूमिका निभाने के लिए तैयार है. अब मैं उत्तराधिकार की प्रक्रिया को तेज करना चाहता हूं. हमें नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करना चाहिए. उन्हें सक्षम बनाना चाहिए. उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए और बैठकर तालियां बजानी चाहिए."
वो कहते हैं, "मैं हर दिन रिलायंस के लिए बच्चों के जुनून, कमिटमेंट और समर्पण को देख और महसूस कर सकता हूं. मैं उनमें वही आग और काबिलियत देखता हूं, जो मेरे पिता के पास लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाने और भारत के विकास में योगदान देने के लिए थी."
उन्होंने आगे कहा, "समय आ गया है कि इस बड़े अवसर का लाभ उठाकर रिलायंस के भविष्य के विकास की नींव रखी जाए. रिलायंस एक कपड़ा कंपनी के रूप में शुरू हुई थी. अब कई बिजनेसेस में शामिल हैं. इसकी ऑयल टू केमिकल वाली कंपनी अब रिटेल, टेलिकॉम, ई-कॉमर्स जैसे सेक्टर में नंबर वन है. हमने अपने एनर्जी बिजनेस को भी पूरी तरह से नया रूप दिया, अब रिलायंस क्लीन एंड ग्रीन एनर्जी और मटेरियल्स में ग्लोबल लीडर बनने की ओर अग्रसर है."
साल 2002 में उत्तराधिकार की लड़ाई लड़ चुके हैं अंबानी
साल 2002 को याद कीजिए जब धीरूभाई अंबानी की मौत हुई थी बिना वसीयत लिखे. जिसके बाद उत्तराधिकार की लड़ाई मकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच तीन साल तक चलती है. बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार शायद इसी वजह से मुकेश अंबानी अपने बिजनेस की बागडोर अपने बच्चों के हाथ अभी से सौंपना चाहते हैं. वहीं कुछ दिन पहले ऐसी खबरें चल रही थी कि मुकेश अंबानी अपने बिजनेस को ट्रस्ट में बदल सकते हैं, जैसे कई अमीर घरानों ने किया है.
लेकिन मुकेश अंबानी ने ये हिंट दे कर साफ कर दिया है कि बागडोर उनके बच्चों के हाथ में जाएगी. हालांकि अधिकारिक रूप से उन्होंने नहीं बताया है कि ये सब किस तरह से आगे बढ़ेगा.
अंबानी के बच्चों की उनके बिजनेस में भूमिका साफ झलकती है, फिर चाहे एनुअल जनरल मीटिंग में कंपनी के भविष्य को लेकर बात रखनी हो या अरबों डॉलर्स की डील फाइनल करनी हो.
अपने बच्चों को लेकर उन्होंने साफ साफ कहा कि उन्हें कोई शक नहीं है कि उनके बच्चे रिलायंस को ऊंचाइयों पर ले जाएंगे.
अंबानी के बच्चों- ईशा, आकाश और अनंत की फिलहाल क्या भूमिकाएं हैं?
30 साल के जुड़वां भाई-बहन ईशा अंबानी और आकाश अंबानी 24 साल की उम्र से 2014 में ही रिलायंस जियो इन्फोकॉम और रिलायंस रिटेल वेंचर्स के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हुए थे.
ईशा 2013 में येल यूनिवर्सिटी से सायकॉलजी और साउथ एशियन स्टडी में ग्रेदुएट हुईं थीं. रिलायंस में जुड़ने से पहले ईशा ने कंसल्टेंसी फर्म मैकेंजी के साथ कुछ समय तक काम किया था. इस बीच आकाश ने ब्राउन यूनिवर्सिटी से इकॉनमिक्स की पढ़ाई की और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बनने से पहले जियो के साथ काम किया. जियो की स्ट्रैटेजी का प्रमुख और इसकी कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में आकाश ने जियो के प्रोडक्ट डेवलपमेंट को नजदीक से देखा है.
इसके अलावा, ईशा ने फैशन पोर्टल Ajio के लॉन्च में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और आकाश आईपीएल टीम मुंबई इंडियंस को संभालते हैं.
वहीं 26 साल के अनंत अंबानी ने भी अपने भाई की तरह ब्राउन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. जिसके बाद उन्हें भी रिलायंस में शामिल किया गया. अनंत को रिलायंस की ग्रीन एनर्जी पहल के तहत सोलर कंपनी के बोर्ड में शामिल किया गया है. आने वाले समय में कंपनी दस बिलियन डॉलर ग्रीन एनर्जी में निवेश करने वाली है.
अभी किन लोगों के हाथों में रिलायंस इंडस्ट्रीज की कमान?
रिलायंस इंडस्ट्रीज की वेबसाइट के अनुसार RIL का नेतृत्व कुल पांच लोग कर रहे हैं. पहले बोर्ड मेम्बर हैं हेतल आर मेसवानी, जो पेट्रोलियम रिफाइनरी और मार्केटिंग संबंधी बिजनस देखते हैं. इनके अलावा निखिल आर मेसवानी जो रिफाइनरी से संबंधित बिजनस संभालते हैं और कॉर्पोरेट अफेयर्स, ग्रुप टैक्सेशन जैसे कई कॉर्पोरेट्स देखते हैं.
वहीं पीएमएस प्रसाद भी लंबे समय से कार्यकारी निदेशक के रूप में रिलायंस से जुड़े हुए हैं जो फाइबर्स, केमिल्स, रिफाइनिंग और मार्केटिंग में ऊंचे पदों पर बने हैं.
रिलायंस के एक कार्यकारी निदेशक हैं पवन कुमार कपिल जिनके नेतृत्व में जामनगर रिफाइनिंग ने बड़ी कामयाबी हासिल की. इनके अलावा रघुनाथ अनंत माशेलकर स्वतंत्र निदेशक की भूमिका में हैं
रिलायंस का साम्राज्य और चुनौतियां
McKinsey के अनुसार आने वाले दिनों में रिलायंस मोबाइल इंटरनेट/टेलीकॉम, रिटेल और न्यू एनर्जी ग्रोथ में अच्छी तरक्की करेगा. ये तीनों दुनिया की 10 फीसदी टॉप कंपनियों में शामिल हैं जिनके पास आने वाले समय में 80 फीसदी मुनाफा हो सकता है. साथ ही रिलांयस अब एक ऐसी कंपनी बन चुकी है जिसके पास कोई कर्ज नहीं हैं और उसके पास इन क्षेत्रों में अवसरों का फायदा उठाने का मौका है.
जियो देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम ऑपरेटर है. कंपनी ने हाल ही में अपने टैरिफ रेट बढ़ाए हैं जिससे कंपनी को अधिक मुनाफा होने की उम्मीद है. वहीं रिलायंस ने सस्ता मोबाइल बनाने के लिए गूगल के साथ करार किया है.
हालांकि रिटेल में रिलायंस को कड़ी टक्कर मिल सकती है लेकिन रिलायंस ने अच्छा प्रदर्शन करने के लिए भी योजना बनाई है, कंपनी ने वाट्सएप के साथ करार किया है. रिटेल में रिलायंस बहुत पीछे भी नहीं खड़ी है इसका कड़ा मुकाबला टॉप कंपनी ऐमजॉन से ही है.
बात न्यू एनर्जी की करें तो अडानी ग्रुप है जो अंबानी को कड़ी टक्कर दे सकता है. एक ओर अडानी ने इस सेक्टर में मुकाम हासिल करने के लिए 70 अरब डॉलर के निवेश की योजना बनाई है तो वहीं अंबानी ने ग्रीन एनर्जी सेक्टर में अगले तीन साल में 10 अरब डॉलर निवेश करने की योजना बनाई है. रिलायंस ने पिछले 6 महीनों में क्लीन एनर्जी सेक्टर में कई डील्स की हैं.
बिजनस टुडे के अनुसार, आईएसबी, हैदराबाद में प्रोफेसर और फैमिली बिजनस स्पेशलिस्ट कविल रामचंद्रन कहते हैं कि अंबानी 64 वर्ष के हैं और इस लिहाज से उत्तराधिकार की योजना के लिए समय उपयुक्त है. एक बार जब कोई व्यवसायी नेता 55-60 आयु वर्ग में होता है तो उत्तराधिकार की तैयारी करना स्वाभाविक होता है. वे कहते हैं, "अंबानी जो कर रहे हैं वह अपेक्षित है".
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